पेट्रोल डीजल महंगा होने से सीएनजी गाड़ियों की बिक्री में उछाल
कोरोना महामारी से गहराई मंदी के कारण सभी सेक्टर ठप है और अर्थव्यवस्था सिकुड़ रही है। इसमें सबसे बुरी मार ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को पड़ी है जिसने इतिहास में पहली बार बिना एक भी वाहन बेचे पूरा महीना निकाला है। उसके ऊपर से पिछले कुछ हफ़्तों में पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों ने स्थिति और कठिन कर दी है।
ऐसा पहली बार हुआ जब डीजल पेट्रोल से भी आगे निकल गया है और दोनों अब 80 का आंकड़ा पार कर चुके है। ऐसे में ऑटोमोबाइल कंपनियां अब डीजल को छोड़ सीएनजी गाड़ियों के प्रोडक्शन पर ज्यादा ध्यान दे रही है। इसके पीछे का कारण है सीएनजी का सस्ता होना जिससे सेल्स को बढ़ाया जा सके।
मारुती सुजुकी भारत के बाजार में कम बजट वाले सेगमेंट में एक बड़ी हिस्सेदार है। कंपनी ने अपने पिछले वित्तीय वर्ष में डीजल गाड़ियों में 37 फीसदी गिरावट दर्ज की है जबकि सीएनजी वेरिएंट में 6 फीसदी का इज़ाफ़ा हुआ और एक लाख छह हज़ार यूनिट्स से ज्यादा बिकी है। यानी लोग अब डीजल से ज्यादा सीएनजी की गाड़ी पसंद कर रहे है। साल 2013 में जहा मारुती की 51 हज़ार से ज्यादा सीएनजी गाड़ियां बिकी थी, वहीं वो 2019 आते आते 76 हज़ार 600 से ज्यादा हो गई और इस साल रिकॉर्ड एक लाख छह हज़ार 443 सीएनजी कार बिकी है। इसके मुक़ाबले डीजल की गाड़ियों में गिरावट देखी जा रही है। पेट्रोल डीजल के दामों का सीधा असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ा है। साल 2013 में डीजल और पेट्रोल में 30 रूपये का अंतर था जो 2019 तक आते आते 7.50 रूपये रह गया और पिछले कुछ दिनों में डीजल ने पेट्रोल को पीछे छोड़ दिया है। जबकि सीएनजी की कीमतें साल 2013 में 45.60 रूपये प्रति किलो थी और आज के दाम के हिसाब से 43 रूपये प्रति किलो हैं। इसके साथ केंद्र सरकार के देशभर में सीएनजी आउटलेट के प्रस्तावित विस्तार से कंपनियों को अच्छी सेल्स की उम्मीद है।
मारुती सुजुकी भारत के बाजार में कम बजट वाले सेगमेंट में एक बड़ी हिस्सेदार है। कंपनी ने अपने पिछले वित्तीय वर्ष में डीजल गाड़ियों में 37 फीसदी गिरावट दर्ज की है जबकि सीएनजी वेरिएंट में 6 फीसदी का इज़ाफ़ा हुआ और एक लाख छह हज़ार यूनिट्स से ज्यादा बिकी है। यानी लोग अब डीजल से ज्यादा सीएनजी की गाड़ी पसंद कर रहे है। साल 2013 में जहा मारुती की 51 हज़ार से ज्यादा सीएनजी गाड़ियां बिकी थी, वहीं वो 2019 आते आते 76 हज़ार 600 से ज्यादा हो गई और इस साल रिकॉर्ड एक लाख छह हज़ार 443 सीएनजी कार बिकी है। इसके मुक़ाबले डीजल की गाड़ियों में गिरावट देखी जा रही है। पेट्रोल डीजल के दामों का सीधा असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ा है। साल 2013 में डीजल और पेट्रोल में 30 रूपये का अंतर था जो 2019 तक आते आते 7.50 रूपये रह गया और पिछले कुछ दिनों में डीजल ने पेट्रोल को पीछे छोड़ दिया है। जबकि सीएनजी की कीमतें साल 2013 में 45.60 रूपये प्रति किलो थी और आज के दाम के हिसाब से 43 रूपये प्रति किलो हैं। इसके साथ केंद्र सरकार के देशभर में सीएनजी आउटलेट के प्रस्तावित विस्तार से कंपनियों को अच्छी सेल्स की उम्मीद है।
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