कोरोनाकाल में कारोबारियों के लिए किये गए ऐलान बेदम, नहीं मिल रहा फायदा: सर्वे
कोरोना काल में जूझ रहे कारोबारियों को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने कई स्कीमों की घोषणा की है लेकिन फिक्की और ध्रुवा एडवाइज़र्स के सर्वे में सरकारी योजनाएं नाकाम साबित होती दिख रही है। इस सर्वे में 100 कॉर्पोरेट कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
सरकार की जीईसीएल योजना 100 फीसदी गारंटी कवरेज देती है जिसका मकसद छोटे व्यवसायों को आसानी से लोन देना है ताकि महामारी से हुए नुकसान के दौर में भी कंपनियां अपने कामकाज़ जारी रख सकें लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस सर्वे में पता चला कि 79 फीसदी कारोबारियों को नहीं लगता कि गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन योजना उनके लिए कुछ फायदेमंद रही है. वहीं 77 फीसदी ने बताया कि ब्याज दर में कमी से उनकी कंपनियों को फायदा नहीं हुआ है।
वहीं सरकार की तमाम स्कीमों के बाद भी 57 फीसदी कंपनी मालिकों ने कहा कि क़ारोबार को वापस सामान्य स्थिति में आने के लिए पूरा साल भर लगेगा। वहीं 24 फीसदी ने 9 महीने और 19 फीसदी ने सामान्य स्थिति में आने के लिए 6 महीने का समय बताया है। इसी तरह कंपनियों को काम करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें सबसे ज्यादा 60 फीसदी ने पैसों की दिक्कत बताई, 59 फीसदी ने मांग में कमी, 57 फीसदी ने वित्तीय तरलता, 43 फीसदी ने लेबर और 40 फीसदी ने ट्रांसपोर्टेशन जैसी दिक्कतों के बारे में बात की. वीडियो देखिए इस सर्वे से ये साफ़ है कि केंद्र सरकार की तरह-तरह की स्कीमें सुनने में अच्छी लगती हैं लेकिन इनकी ज़मीनी हक़ीक़त ठीक उलट है.
वहीं सरकार की तमाम स्कीमों के बाद भी 57 फीसदी कंपनी मालिकों ने कहा कि क़ारोबार को वापस सामान्य स्थिति में आने के लिए पूरा साल भर लगेगा। वहीं 24 फीसदी ने 9 महीने और 19 फीसदी ने सामान्य स्थिति में आने के लिए 6 महीने का समय बताया है। इसी तरह कंपनियों को काम करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जिसमें सबसे ज्यादा 60 फीसदी ने पैसों की दिक्कत बताई, 59 फीसदी ने मांग में कमी, 57 फीसदी ने वित्तीय तरलता, 43 फीसदी ने लेबर और 40 फीसदी ने ट्रांसपोर्टेशन जैसी दिक्कतों के बारे में बात की. वीडियो देखिए इस सर्वे से ये साफ़ है कि केंद्र सरकार की तरह-तरह की स्कीमें सुनने में अच्छी लगती हैं लेकिन इनकी ज़मीनी हक़ीक़त ठीक उलट है.
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