पेट्रोल से महंगा हुआ डीज़ल तो सीएनजी वेरिएंट की गाड़ियों की बिक्री बढ़ी
डीज़ल के दामों में लगातार उछाल का असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी दिखने लगा है. दिल्ली में एक लीटर डीज़ल की क़ीमत 80 रुपए के पार पहुंचने के बाद अब छोटी और मिड सेगमेंट की गाड़ियों के ख़रीदार पेट्रोल या सीएनजी वाली गाड़ियों को ज्यादा पसंद कर रहे है. ऐसे में ऑटोमोबाइल कंपनियां अब डीज़ल को छोड़कर सीएनजी गाड़ियों के प्रोडक्शन पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं. देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुती सुजुकी बाजार में कम बजट वाले सेगमेंट की लीडर है. मारुती अब अपने हैचबैक, सेडान और कुछ एसयूवी मॉडलों में डीज़ल मॉडल को बंद करने की तैयारी में है.
आंकड़े बताते हैं कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के वित्त वर्ष 2019-20 में गाड़ियों की बिक्री में 18 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई जबकि इसी दौरान मारुती की डीज़ल गाड़ियों की बिक्री में 37 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. हालांकि यह गिरावट सीएनजी वेरिएंट में नहीं दिखी जहां 7 फीसदी इज़ाफ़े के साथ एक लाख छह हज़ार यूनिट्स ज्यादा बिकी. यह आंकड़े बताते हैं कि लोग अब डीजल से ज्यादा सीएनजी की गाड़ियां ख़रीद रहे हैं. साल 2013 में जहां मारुती की 51 हज़ार से ज्यादा सीएनजी गाड़ियां बिकी थी, वहीं 2019 आते आते 76 हज़ार 600 से ज्यादा हो गई और इस साल रिकॉर्ड एक लाख छह हज़ार 443 सीएनजी कारें बिकी हैं.
कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऑफ़ सेल्स एंड मार्केटिंग शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि डीजल पहले काफी सस्ता था लेकिन अब ये फर्क़ मिट गया है. यही वजह है कि डीज़ल कार खरीदने में अब कोई फायदा नहीं रहा है और डीज़ल से चलने वाली गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आ रही है. आंकड़े बताते हैं कि कंपनी की बिक्री का 60 फीसदी हिस्सा डीज़ल कारों का था लेकिन कुछ साल में ये घटकर 20 फीसदी रह गया है. वहीं छोटी गाड़ियों में ये 5 फीसदी से भी कम है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2013 में डीजल और पेट्रोल के दाम में 30 रूपये का फर्क़ था जो 2019 में 7.50 रूपये रह गया और पिछले महीने डीज़ल पेट्रोल से महंगा हो गया है. वहीं सीएनजी की कीमतें साल 2013 में 45.60 रूपये प्रति किलो थी जो आज घटकर 43 रूपये प्रति किलो हो गई है.
कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऑफ़ सेल्स एंड मार्केटिंग शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि डीजल पहले काफी सस्ता था लेकिन अब ये फर्क़ मिट गया है. यही वजह है कि डीज़ल कार खरीदने में अब कोई फायदा नहीं रहा है और डीज़ल से चलने वाली गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आ रही है. आंकड़े बताते हैं कि कंपनी की बिक्री का 60 फीसदी हिस्सा डीज़ल कारों का था लेकिन कुछ साल में ये घटकर 20 फीसदी रह गया है. वहीं छोटी गाड़ियों में ये 5 फीसदी से भी कम है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2013 में डीजल और पेट्रोल के दाम में 30 रूपये का फर्क़ था जो 2019 में 7.50 रूपये रह गया और पिछले महीने डीज़ल पेट्रोल से महंगा हो गया है. वहीं सीएनजी की कीमतें साल 2013 में 45.60 रूपये प्रति किलो थी जो आज घटकर 43 रूपये प्रति किलो हो गई है.
Latest Videos