रेपो रेट में बदलाव नहीं, अर्थव्यवस्था अभी भी कमज़ोर - आरबीआई
केंद्र सरकार के दूसरे बजट के बाद गुरुवार को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने पहली बार मुौद्रिक नीति का ऐलान किया। आरबीआई ने रेपो रेट में फेरबदल नहीं करते हुए उसे फ़िलहाल 5.15 फीसदी ही रखने का फैसला किया है। ज़ाहिर है इससे बैंक ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेंगे और ऑटो-घर के क़र्ज़ की किस्तों में राहत मिलने की संभावना नहीं है.
आरबीआई ने गुरुवार को छठी और 2019-20 की आखिरी मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में विकास दर 6 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई के मुताबिक महंगाई अभी भी एक चुनौती बनी हुई है और फ़िलहाल इसे लेकर कुछ कहना मुश्किल है। हालांकि, इसे कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
आरबीआई ने कहा कि दूध और दाल की कीमत फ़िलहाल ऊपर बनी रहेगी। डीज़ल-पेट्रोल के दाम भी अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से स्थिर नहीं रहने का अनुमान है। आरबीआई ने माना है कि फ़िलहाल अर्थव्यवस्था कमजोर है और उत्पादन में अभी भी बहुत कमी है। आर्थिक गतिविधियां अभी भी निचले स्तर पर हैं और कुछ सूचकांक हाल में ऊपर गए थे लेकिन वे अभी तक स्थिर नहीं हो पाए हैं। इनके अलावा आरबीआई ने रेपो रेट में फेरबदल नहीं करते हुए उसे फ़िलहाल 5.15 फीसदी ही रखने का फैसला लिया है। ज़ाहिर है कि इससे बैंक ब्याज़ दरों में बदलाव नहीं करेंगे और ऑटो-घर के क़र्ज़ की किस्तों में कोई राहत फ़िलहाल नहीं मिलने वाली। आरबीआई ने हाल ही में हुए इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव, रबी फसल के बाजार में आने और दुनिया में व्यापार को लेकर कम हुई बंदिशों के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यस्था 6 फीसदी से बढ़ने का अनुमान लगाया है.
आरबीआई ने कहा कि दूध और दाल की कीमत फ़िलहाल ऊपर बनी रहेगी। डीज़ल-पेट्रोल के दाम भी अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से स्थिर नहीं रहने का अनुमान है। आरबीआई ने माना है कि फ़िलहाल अर्थव्यवस्था कमजोर है और उत्पादन में अभी भी बहुत कमी है। आर्थिक गतिविधियां अभी भी निचले स्तर पर हैं और कुछ सूचकांक हाल में ऊपर गए थे लेकिन वे अभी तक स्थिर नहीं हो पाए हैं। इनके अलावा आरबीआई ने रेपो रेट में फेरबदल नहीं करते हुए उसे फ़िलहाल 5.15 फीसदी ही रखने का फैसला लिया है। ज़ाहिर है कि इससे बैंक ब्याज़ दरों में बदलाव नहीं करेंगे और ऑटो-घर के क़र्ज़ की किस्तों में कोई राहत फ़िलहाल नहीं मिलने वाली। आरबीआई ने हाल ही में हुए इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव, रबी फसल के बाजार में आने और दुनिया में व्यापार को लेकर कम हुई बंदिशों के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यस्था 6 फीसदी से बढ़ने का अनुमान लगाया है.
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