आमदनी घटने से मई के अंत तक राजकोषीय घाटा बजट अनुमानों का 58 फीसदी से ज़्यादा हुआ
कोरोना महामारी ने पहले से ही चल रहे आर्थिक संकट को गहरा दिया है। वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का व्यापक असर इकोनॉमी पर देखने को मिलने लगा है। ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि देश का फिस्कल डेफिसिट यानि राजकोषीय घाटे बढ़ गए हैं।
देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में ही बढ़कर 4.66 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमानों के 58.6 फीसदी पर पहुंच गया। इस आंकड़े के बढ़ने की वजह है लॉकडाउन से रुका आर्थिक गतिविधियों का चक्का। तालाबंदी के समय चक्का घुमा नहीं और सरकार को कोई कर या टैक्स के तौर आमदनी हुई नहीं। इसी वजह से रोजकोषीय घाटे में यह बढ़ोत्तरी देखने को मिली।
पिछले साल अप्रैल-मई में यह आंकड़ा 52 फीसदी पर था। बता दें, सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 7.96 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के 3.5 फीसदी पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। योजना थी की सरकार अपनी आमदनी बढ़ाएगी, खर्चे घटाएगी और घाटे को कम रखेगी। लेकिन कोरोना महामारी के चलते मची वैश्विक उथल-पुथल से भारत भी अछूता ना रहा और उसकी अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। जानकार बता रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में ही घाटा बढ़ा है इसलिए सरकार का अपना घाटा कम रखने के लक्ष्य से चुकेगी और इन आंकड़ों में बड़ा संशोधन देखने को मिल सकता है। वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.6 फीसद पर पहुंच गया था, जो सात साल का उच्चतम स्तर रहा था। पिछले वर्ष वैश्विक मंदी के चलते राजस्व में कमी आयी थी और मार्च के आखिरी हफ्ते में हुई तालाबंदी से राजकोषीय घाटा लक्ष्य से काफी आगे निकल गया। आर्थिक जानकारों के मुताबिक ये साल सरकार के लिए बेहद ही मुश्किल रहने वाला है क्योंकि एक तरफ आमदनी घट रही है और दूसरी तरफ खर्चे बढ़ रहे हैं।
पिछले साल अप्रैल-मई में यह आंकड़ा 52 फीसदी पर था। बता दें, सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 7.96 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के 3.5 फीसदी पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। योजना थी की सरकार अपनी आमदनी बढ़ाएगी, खर्चे घटाएगी और घाटे को कम रखेगी। लेकिन कोरोना महामारी के चलते मची वैश्विक उथल-पुथल से भारत भी अछूता ना रहा और उसकी अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। जानकार बता रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में ही घाटा बढ़ा है इसलिए सरकार का अपना घाटा कम रखने के लक्ष्य से चुकेगी और इन आंकड़ों में बड़ा संशोधन देखने को मिल सकता है। वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.6 फीसद पर पहुंच गया था, जो सात साल का उच्चतम स्तर रहा था। पिछले वर्ष वैश्विक मंदी के चलते राजस्व में कमी आयी थी और मार्च के आखिरी हफ्ते में हुई तालाबंदी से राजकोषीय घाटा लक्ष्य से काफी आगे निकल गया। आर्थिक जानकारों के मुताबिक ये साल सरकार के लिए बेहद ही मुश्किल रहने वाला है क्योंकि एक तरफ आमदनी घट रही है और दूसरी तरफ खर्चे बढ़ रहे हैं।
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