क्या भारतीय बाज़ार में 80 नई कारें लॉन्च के ऐलान से ऑटो सेक्टर की मंदी के बादल छंट पाएंगे?
ग्रेटर नोएडा में चल रहे ऑटो एक्सपो में दुनियाभर की दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनिया 80 नई कारें भारतीय बाज़ार में उतारने की तैयारी कर रही हैं लेकिन भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस वक्त संकट के दौर से गुज़र रहा है. जहां देश में गाड़ियों की बिक्री में हर महीने गिरावट दर्ज हो रही है, वहीं आरबीआई के हालिया आंकड़े बता रहे हैं कि गाड़ियों की ख़रीद के क़र्ज़ लेने की रफ़्तार भी मद्धिम पड़ गई है.
ग्रेटर नोएडा में चल रहे ऑटो एक्सपो में दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां जमा हो गई हैं. यहां तक़रीबन 28 ऑटोमोबाइल कंपनियों ने ऐलान किया है कि वे भारतीय बाज़ार में 80 नई कारें लॉन्च करेंगी. माना जा रहा है कि नए कारों के साथ ग्राहकों को लुभावने ऑफर दिए जाएंगे ताकि गाड़ियां ख़रीदने की रफ़्तार बढ़े ताकि इससे भारतीय ऑटो सेक्टर को संकट से बाहर निकलने में मदद मिल सके.
मगर मंदी की गिरफ़्त में आ चुकी अर्थव्यवस्था की सबसे तगड़ी मार ऑटो मोबाइल सेक्टर पर ही पड़ी है. आरबीआई के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि गाड़ियां ख़रीदने के लिए कर्ज़ लेने की रफ़्तार सुस्त हो गई है. आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2018 में वाहन कर्ज़ की वृद्धि दर 8.8 फीसदी थी जो 2019 दिसंबर में घटकर 7.2 फीसदी रह गई। विशेषज्ञों के मुताबिक पटरी से उतर गई अर्थव्यवस्था के चलते लोगों का भरोसा डगमगा गया है और वे गाड़ी ख़रीदने के लिए कर्ज़ लेने से कतरा रहे हैं. फेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबाइल डीलर असोसिएशन के आंकड़े भी बताते है कि 2018 के मुकाबले दिसंबर 2019 में देश में गाड़ियों की बिक्री घट गई. देशभर में दिसंबर 2018 में 18 लाख 80 हज़ार 995 गाड़ियां बिकी थीं जो दिसंबर 2019 में घटकर 16 लाख 6 हज़ार 2 रह गईं. यानी बिक्री में 15 फीसदी की गिरावट हुई जोकि वित्त वर्ष 2019-20 की सबसे बड़ी गिरावट है. वीडियो देखिये ज़ाहिर है लोग गाड़ियों और ऑटो लोन से मुँह फेरकर बैठे हैं। मंदी के इस दौर में ऑटो एक्सपो 2020 के ज़रिये बाज़ार को उठाने की कोशिश हो रही है लेकिन सवाल वही है कि जब मन में अपनी जेब ख़ाली होने का डर घर कर गया है तो गाड़ी ख़रीदने के लिए कर्ज़ लेने का जोखिम कौन उठाएगा.
मगर मंदी की गिरफ़्त में आ चुकी अर्थव्यवस्था की सबसे तगड़ी मार ऑटो मोबाइल सेक्टर पर ही पड़ी है. आरबीआई के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि गाड़ियां ख़रीदने के लिए कर्ज़ लेने की रफ़्तार सुस्त हो गई है. आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2018 में वाहन कर्ज़ की वृद्धि दर 8.8 फीसदी थी जो 2019 दिसंबर में घटकर 7.2 फीसदी रह गई। विशेषज्ञों के मुताबिक पटरी से उतर गई अर्थव्यवस्था के चलते लोगों का भरोसा डगमगा गया है और वे गाड़ी ख़रीदने के लिए कर्ज़ लेने से कतरा रहे हैं. फेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबाइल डीलर असोसिएशन के आंकड़े भी बताते है कि 2018 के मुकाबले दिसंबर 2019 में देश में गाड़ियों की बिक्री घट गई. देशभर में दिसंबर 2018 में 18 लाख 80 हज़ार 995 गाड़ियां बिकी थीं जो दिसंबर 2019 में घटकर 16 लाख 6 हज़ार 2 रह गईं. यानी बिक्री में 15 फीसदी की गिरावट हुई जोकि वित्त वर्ष 2019-20 की सबसे बड़ी गिरावट है. वीडियो देखिये ज़ाहिर है लोग गाड़ियों और ऑटो लोन से मुँह फेरकर बैठे हैं। मंदी के इस दौर में ऑटो एक्सपो 2020 के ज़रिये बाज़ार को उठाने की कोशिश हो रही है लेकिन सवाल वही है कि जब मन में अपनी जेब ख़ाली होने का डर घर कर गया है तो गाड़ी ख़रीदने के लिए कर्ज़ लेने का जोखिम कौन उठाएगा.
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