सेल्फी अपने लिए लें ना कि दुनिया के लिए - रिसर्च
सेल्फीज़ के बढ़ते क्रेज को देख अब इस पर अलग अलग शोध किये जा रहे हैं, ताकि इससे लोगों के व्यवहार का भी आंकलन किया जा सके। यूनिवर्सिटी ऑफ़ एरिज़ोना ने शोधकर्ताओं ने हाल में ही किशोर लड़कियों की सेल्फी लेने के आदत पर एक रिसर्च की है। शोध से पता लगा की लडकियां एक साथ कई।
सेल्फी लेती है और फिर इनमे से एक को चुनने में काफी समय बिताती है। ऐसा करने से उनमे खुद को ओब्जेक्टिफाई करने की प्रवृति आती है। रिसर्च के मुताबिक किशोर लड़किया अच्छी सेल्फीज़ के मामले में अपनी दूसरी लड़कियों से तुलना भी करती है जिसके कारण उनमे शारीरिक शर्म, चिंता और अधिक नकारात्मक विचार पैदा होते हैं। साथ ही कई बार, दूसरों से खुद का आंकलन करने से वे अपना मनोबल को कमज़ोर बनाती है इसलिए कई बार लोगों की तीखी टिप्पणियों से उन्हें ठेस पहुचंती है।
शोधकर्ता बताते हैं की सेल्फ-ऑब्जेक्टिफ़िकेशन एक ऐसा विचार है जिससे आप खुद को दूसरे लोगों द्वारा देखे जाने वाले केवल एक ऑब्जेक्ट के रूप में सोचते हैं। जर्नल ऑफ चिल्ड्रन एंड मीडिया में प्रकाशित शोधकर्ताओं की इस रिपोर्ट ने 14 से 17 वर्ष की आयु के 278 किशोर लड़कियों का अध्ययन किया। इन किशोरियों को एक ऑनलाइन सर्वे पूरा करने के लिए दिया गया जिसमे उनसे सोशल मीडिया, सेल्फी और मोबाइल पर सुन्दर बनाने वाली तकनीकों के बारे में सवाल पूछे गए थे। इस रिपोर्ट को तैयार करने वालों का कहना है की सेल्फी लेना बुरी बात नहीं है, बल्कि सेल्फी लेने के बाद घंटो एक अच्छी सेल्फी ढून्ढ कर उसे लोगो के पसंद के लायक बनाना विकार पैदा करता है।
शोधकर्ता बताते हैं की सेल्फ-ऑब्जेक्टिफ़िकेशन एक ऐसा विचार है जिससे आप खुद को दूसरे लोगों द्वारा देखे जाने वाले केवल एक ऑब्जेक्ट के रूप में सोचते हैं। जर्नल ऑफ चिल्ड्रन एंड मीडिया में प्रकाशित शोधकर्ताओं की इस रिपोर्ट ने 14 से 17 वर्ष की आयु के 278 किशोर लड़कियों का अध्ययन किया। इन किशोरियों को एक ऑनलाइन सर्वे पूरा करने के लिए दिया गया जिसमे उनसे सोशल मीडिया, सेल्फी और मोबाइल पर सुन्दर बनाने वाली तकनीकों के बारे में सवाल पूछे गए थे। इस रिपोर्ट को तैयार करने वालों का कहना है की सेल्फी लेना बुरी बात नहीं है, बल्कि सेल्फी लेने के बाद घंटो एक अच्छी सेल्फी ढून्ढ कर उसे लोगो के पसंद के लायक बनाना विकार पैदा करता है।
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