कोरोना के बढ़ते मरीज़ों के बीच ऑक्सीज़न का संकट गहराया, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अलर्ट जारी किया
दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि हर हफ्ते कोरोना वायरस के दस लाख मरीज़ सामने आ रहे हैं। ऐसे में दुनिया के कई देशों में ऑक्सीज़न की किल्लत खड़ी हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि इस हफ्ते में दुनिया में कोरोना के मामले एक करोड़ से ज़्यादा हो जाएंगे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस ने कहा, ‘कई देशों को अब अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर की सप्लाई में दिक्क़त हो रही है. जितनी आपूर्ति है, मांग उससे ज़्यादा है.’ उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों पर दुनियाभर में प्रति दिन 6 लाख 20,000 क्युबिक मीटर ऑक्सीज़न या 88 हज़ार ऑक्सीज़न सिलिंडर की खपत होगी.
उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने 14 हज़ार ऑक्सीज़न कॉन्सनट्रेटर की ख़रीदारी की है जो हवा से ऑक्सीज़न को फिल्टर करने का काम करेगा. ये कॉन्सनट्रेटर आने वाले दिनों में 120 देशों को सप्लाई किए जाएंगे. इसके अलावा अगले छह महीन में दस करोड़ डॉलर की लागत से 170,000 ऑक्सीज़न कॉन्सनट्रेटर की खरीदारी की जाएगी और तमाम देशों में सप्लाई किए जाएंगे. कोपेनहेगन में यूनिसेफ के मार्केटिंग डिपार्टमेंट के एक अधिकारी जोनाथन हॉवर्ड ने कहा, ‘यूनिसेफ ने अबतक 700 कॉन्सनट्रेटर का सप्लाई किया है। साथ ही 90 देशों में सप्लाई के लिए 16,000 कॉन्सनट्रेटर के ऑर्डर दिए गए हैं.’ एक कॉन्सनट्रेटर की कीमत लगभग हज़ार या दो हज़ार डॉलर होती है जो बिजली न होने पर जेनरेटर या बैटरी पर भी चलाए जा सकते हैं। आमतौर पर कॉन्सनट्रेटर हवाओं से 90 फीसदी शुद्ध ऑक्सीज़न का उत्पादन कर सकता है. आंकड़े बताते हैं कि मई महीने में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉंगो में 123 कोरोना के मरीज़ों का इलाज हुआ जिनमें 56 मरीज़ों को ऑक्सीज़न की ज़रूरत थी. मगर स्वास्थ्य ढांचा की स्थिती ख़राब होने की वजह से 26 मरीज़ों की मौत हो गई और इनमें ज़्यादातर मरीज़ों ने 24 घंटे के भीतर ही दम तोड़ दिया. साउथ अफ्रीकी देश नाइजीरिया भी ऑक्सीज़न की कमी से जूझ रहा है. यूनिसेफ में स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख संजना भारद्वाज ने बताया कि मई के बाद से लागोस और कानोस के अस्पतालों में ऐसे सैकड़ों मरीज़ आए जिन्हें ऑक्सीज़न की ज़रूर पड़ती है.
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उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने 14 हज़ार ऑक्सीज़न कॉन्सनट्रेटर की ख़रीदारी की है जो हवा से ऑक्सीज़न को फिल्टर करने का काम करेगा. ये कॉन्सनट्रेटर आने वाले दिनों में 120 देशों को सप्लाई किए जाएंगे. इसके अलावा अगले छह महीन में दस करोड़ डॉलर की लागत से 170,000 ऑक्सीज़न कॉन्सनट्रेटर की खरीदारी की जाएगी और तमाम देशों में सप्लाई किए जाएंगे. कोपेनहेगन में यूनिसेफ के मार्केटिंग डिपार्टमेंट के एक अधिकारी जोनाथन हॉवर्ड ने कहा, ‘यूनिसेफ ने अबतक 700 कॉन्सनट्रेटर का सप्लाई किया है। साथ ही 90 देशों में सप्लाई के लिए 16,000 कॉन्सनट्रेटर के ऑर्डर दिए गए हैं.’ एक कॉन्सनट्रेटर की कीमत लगभग हज़ार या दो हज़ार डॉलर होती है जो बिजली न होने पर जेनरेटर या बैटरी पर भी चलाए जा सकते हैं। आमतौर पर कॉन्सनट्रेटर हवाओं से 90 फीसदी शुद्ध ऑक्सीज़न का उत्पादन कर सकता है. आंकड़े बताते हैं कि मई महीने में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉंगो में 123 कोरोना के मरीज़ों का इलाज हुआ जिनमें 56 मरीज़ों को ऑक्सीज़न की ज़रूरत थी. मगर स्वास्थ्य ढांचा की स्थिती ख़राब होने की वजह से 26 मरीज़ों की मौत हो गई और इनमें ज़्यादातर मरीज़ों ने 24 घंटे के भीतर ही दम तोड़ दिया. साउथ अफ्रीकी देश नाइजीरिया भी ऑक्सीज़न की कमी से जूझ रहा है. यूनिसेफ में स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख संजना भारद्वाज ने बताया कि मई के बाद से लागोस और कानोस के अस्पतालों में ऐसे सैकड़ों मरीज़ आए जिन्हें ऑक्सीज़न की ज़रूर पड़ती है.
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