देश में रिश्वतखोरी चरम पर, हर दो में एक व्यक्ति को देना पड़ता है रिश्वत

by Ankush Choubey 4 years ago Views 2486

1 IN 2 INDIANS PAID BRIBES THIS YEAR, MOSTLY TO GO
एक रिपोर्ट के अनुसार देश के सरकारी कार्यालयों में धड़ल्ले से रिश्वत खोरी जारी है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकलसर्कल्स के सर्वे के मुताबिक ये चौकाने वाली बात सामने आयी है। रिपोर्ट के मुताबिक़ देश के हर दो में से एक आदमी ने इस साल रिश्वत दे कर काम करवाया है। जो पीएम मोदी के ना खाऊँगा ना खाने दूंगा वाले दावे के बिकुल विपरीत है ।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकलसर्कल्स के सर्वे के मुताबिक साल 2019 में हर दो में से एक भारतीय ने अपना काम करने के लिए रिश्वत दी है।  लेकिन चौकाने  वाली बात ये है कि इस सर्वे के अनुसार सरकारी कार्यालयों में धड़ल्ले से रिश्वत घोरी हो रही है।


ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल इंडिया और लोकलसर्कल्स ने देश के 20 राज्यों में रिश्वतखोरी को लेकर ये सर्वे कराया है। जिसमे कुल 1 लाख 90 हजार लोगों ने लोकलसर्कल्स और ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल इंडिया के सवालों के जवाब दिए जिससे पता चला कि 50 प्रतिशत से ज्यादा भारतीयों ने रिश्वत देने की बात काबुली है ।

10 राज्यों  में किये गए इस सर्वे में केरल, दिल्ली, ओडिशा, हरयाणा पश्चिम बंगाल और गुजरात ऐसे 6 राज्य है जहाँ रिश्वतखोरी 0 से 49 प्रतिशत के बीच है। वहीँ उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और गोवा वो 6 राज्य है जहाँ रिश्वतखोरी  50 से 59 प्रतिशत है।

जबकि  8 राज्य ऐसे है जहाँ 60 प्रतिशत से ज्यादा रिश्वत दी जाती है इनमे राजस्थान, पंजाब, यूपी, बिहार, झारखण्ड, तेलंगाना, तमिल नाडु और कर्नाटक शामिल है। इस सर्वे के मुताबिक देश में सबसे कम रिश्वतखोरी यानी 10 प्रतिशत केरल में जबकि सबसे ज्यादा 78 प्रतिशत रिश्वत राजस्थान में दी जाती है।

सर्वे में ये बात सामने आयी है कि सबसे ज्यादा घूसखोरी प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के दौरान हुई है। 26 प्रतिशत लोगों ने माना कि उन्होंने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए घूस दी है।  दूसरे नंबर है पुलिस, 19 प्रतिशत लोगो ने ये बात काबुली की उन्होंने काम करवाने के लिए पुलिस को भी रिश्वत दी है। 

जबकि 13 लोगों ने नगर निगम और 13 प्रतिशत ने परिवहन कार्यालय में अपनी फाइलों को आगे बढ़वाने के लिए रिश्वत देने की बात मानी है।

लोगों ने माना की सबसे ज्यादा घुस इन्होने कॅश में दी है। पिछले 12 महीनो में 49.3 प्रतिशत लोगों ने नगदी में रिश्वत देने की बात काबुली है। जबकि करीब 42 प्रतिशत ने किसी एजेंट के ज़रिये सीधे भुगतान किया वहीँ करीब 8.5 प्रतिशत लोगो ने कैश की बजाये कोई गिफ्ट या किसी और तरीके से घुस दी। 

साल 2018 में 60 प्रतिशत ने कैश में जबकि 38 प्रतिशत ने एजेंट से ज़रिय भुक्तान किया और 2017 में करीब 64 प्रतिशत ने नगदी और 34 % ने एजेंट के ज़रिये घुस दी है। हालाँकि सपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकलसर्कल्स के सर्वे में हर दो में से एक भारतीय ने अपना काम करने के लिए रिश्वत देने की बात कहीं गई जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन और ना खाऊँगा ना खाने दूंगा वाले दावे के बिकुल विपरीत है।

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