भारत में 24 करोड़ 70 लाख बच्चों का भविष्य ख़तरे में: यूनिसेफ

by Abhishek Kaushik 3 years ago Views 2994

24 crore 70 lakh children in India are at risk: UN
कोरोनोवायरस की महामारी का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है लेकिन बच्चों की सेहत और शिक्षा ख़ासतौर से प्रभावित हुई है. भारत भी इससे अछूता नहीं है जहां 24 करोड़ 70 लाख बच्चे इस महामारी के चलते तरह-तरह की चुनौतियों से जूझ रहे हैं. यह दावा यूनिसेफ की रिपोर्ट में किया गया है और भारत समेत समूचे दक्षिण एशिया में 60 करोड़ बच्चों का हाल बेहाल है.

भारत में कोरोनावायरस की दस्तक और उसके बाद लॉकडाउन जैसी सख़्त पाबंदियों के चलते स्कूल बंद है. लिहाज़ा, 24 करोड़ 70 लाख से ज्यादा बच्चे प्राइमेरी और सेकंडरी क्लासेज़ लेने से वंचित रह गए. इनके अलावा 2 करोड़ 80 लाख बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ रहे थे, उन्हें भी लॉकडाउन ने घर बैठने पर मजबूर कर दिया. इससे इतर 60 लाख बच्चे ऐसे है जो महामारी फैलने के पहले ही स्कूलों से दूर थे.


केंद्र और राज्य सरकारों ने ऑनलाइन क्लासेज़ के ज़रिए स्कूली शिक्षा जारी रखने का ऐलान किया लेकिन इस माध्यम को अमलीजामा पहना पाना बेहद मुश्किल है. ग़रीबी और संसाधनों की कमी के चलते हर बच्चे के लिए ऑनलाइन शिक्षा ले पाना आसान नहीं है.

बीते सोमवार को गुजरात के राजकोट में आठवीं क्लास की एक छात्रा ने ऑनलाइन क्लासेज़ से तंग आकर ख़ुदकुशी कर ली. यह परिवार ग़रीबी से जूझ रहा है और बच्ची को स्मार्ट फोन और इंटरनेट की सुविधा दे पाना आसान नहीं था. ठीक इसी तरह का मामला केरल के मल्लापुरम में भी आ चुका है जहां देविका नाम की एक छात्रा ऑनलाइन शिक्षा का हिस्सा नहीं बन पाई और ख़ुदकुशी कर ली. यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि देश में सिर्फ 24 फीसदी घरों में इंटरनेट की सुविधा है.

मगर सवाल सिर्फ शिक्षा का नहीं है. भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल समेत समूचे दक्षिण एशिया में 60 करोड़ बच्चे शिक्षा के अलावा टीकाकरण, पोषण और भूख से जूझ रहे हैं. यूनिसेफ की रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि इन चुनौतियों के चलते अगले छह महीनों में लगभग 4 करोड़ 50 लाख बच्चों की ज़िंदगी ख़तरे में पड़ सकती है.

भारत में यूनिसेफ़ की प्रतिनिधि डॉक्टर यास्मीन अली हक़ ने कहा कि कोरोनावायरस की महामारी ने बच्चों के लिए बेहद मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं. हालांकि संक्रमण के मुक़ाबले दूसरे कारणों का असर बच्चों के विकास पर ज़्यादा पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि संकट के इस दौर में सामाजिक सुरक्षा वाली योजनाओं के ज़रिए ऐसे लाखों बच्चों को बचाए जाने की ज़रूरत है.

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