40 करोड़ आबादी एक कमरे के घर में रहने को मजबूर, कैसे करेंगे खुद को सेल्फ आइसोलेट?
कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए तमाम देश उपाय कर रह हैं. पीएम मोदी ने देश के नागरिकों से 22 मार्च को जनता कर्फ्यू यानी घर में रहने की अपील की है. हालांकि आंकड़े बताते है कि देश में 40 करोड़ लोग महज़ एक कमरे के घर में रहते हैं और उनका ख़ुद को आइसोलेट करना इतना आसान नहीं है.
कोरोनावायरस 181 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है. पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इसे मानव जाति के लिए एक संकट क़रार दिया है. उन्होंने देशवासियों से 22 मार्च को जनता कर्फ्यू यानी घरों में रहने की अपील की है. सेंसस के आंकड़े बताते हैं कि देश में तक़रीबन 40 करोड़ लोग महज़ एक कमरे के घर में रहते हैं जहां लोगों को ख़ुद को आइसोलेट करना मुश्किल होगा.
जनता कर्फ्यू का प्रयोग केरल समेत कुछ राज्यों में कारगर हो सकता है क्योंकि यहां 84 फ़ीसदी शहरी और 79 फ़ीसदी ग्रामीण इलाक़ों में बसने वाले परिवारों के पास तीन या तीन कमरों से ज़्यादा का घर है. इसी तरह जम्मू-कश्मीर में 63 फ़ीसदी और असम में 40 फ़ीसदी लोगों के पास तीन या तीन कमरे से ज़्यादा का घर है. यहां आसानी से पूरा परिवार जनता कर्फ्यू का पालन करने के साथ-साथ ख़ुद को अलग-अलग कमरों में आइसोलेट कर सकता है लेकिन देश के बाक़ी हिस्सों में ऐसा मुमकिन नहीं है. ज़्यादातर राज्यों में बड़ी आबादी एक कमरे के मकान में रह रही है. तमिलनाडु में 48 फीसदी, बिहार में 44 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 43 फीसदी आबादी एक कमरे के घर में रहती है या फिर बेघर है. ऐसे लोगों से जनता कर्फ्यू की उम्मीद करना बेमानी होगी क्योंकि इनके बीच आपसी संपर्क कम करना बेहद मुश्किल है. वीडियो देखिए सेंसस 2011 के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल घरों की संख्या 24 करोड़ 66 लाख 92 हज़ार 667 थी. इनमें 40 करोड़ से ज्यादा भारतीय एक कमरे के घर में रह रहे हैं. सेंसस 2011 का आंकड़ा यह भी कहता है कि देश में 17.7 लाख बेघर थे और 6.5 करोड़ से ज्यादा लोग झुग्गी-बस्तियों में रहने को मजबूर हैं।
कोरोनावायरस 181 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है. पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इसे मानव जाति के लिए एक संकट क़रार दिया है. उन्होंने देशवासियों से 22 मार्च को जनता कर्फ्यू यानी घरों में रहने की अपील की है. सेंसस के आंकड़े बताते हैं कि देश में तक़रीबन 40 करोड़ लोग महज़ एक कमरे के घर में रहते हैं जहां लोगों को ख़ुद को आइसोलेट करना मुश्किल होगा.
जनता कर्फ्यू का प्रयोग केरल समेत कुछ राज्यों में कारगर हो सकता है क्योंकि यहां 84 फ़ीसदी शहरी और 79 फ़ीसदी ग्रामीण इलाक़ों में बसने वाले परिवारों के पास तीन या तीन कमरों से ज़्यादा का घर है. इसी तरह जम्मू-कश्मीर में 63 फ़ीसदी और असम में 40 फ़ीसदी लोगों के पास तीन या तीन कमरे से ज़्यादा का घर है. यहां आसानी से पूरा परिवार जनता कर्फ्यू का पालन करने के साथ-साथ ख़ुद को अलग-अलग कमरों में आइसोलेट कर सकता है लेकिन देश के बाक़ी हिस्सों में ऐसा मुमकिन नहीं है. ज़्यादातर राज्यों में बड़ी आबादी एक कमरे के मकान में रह रही है. तमिलनाडु में 48 फीसदी, बिहार में 44 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 43 फीसदी आबादी एक कमरे के घर में रहती है या फिर बेघर है. ऐसे लोगों से जनता कर्फ्यू की उम्मीद करना बेमानी होगी क्योंकि इनके बीच आपसी संपर्क कम करना बेहद मुश्किल है. वीडियो देखिए सेंसस 2011 के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल घरों की संख्या 24 करोड़ 66 लाख 92 हज़ार 667 थी. इनमें 40 करोड़ से ज्यादा भारतीय एक कमरे के घर में रह रहे हैं. सेंसस 2011 का आंकड़ा यह भी कहता है कि देश में 17.7 लाख बेघर थे और 6.5 करोड़ से ज्यादा लोग झुग्गी-बस्तियों में रहने को मजबूर हैं।
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