80 साल की जोधइया बाई की पेंटिंग्स इटली के मिलान की आर्ट गैलरी के लिए चुनी गई

by Arushi Pundir 4 years ago Views 2166

80-year-old jodhaiya Bai's paintings made for arti
80 की उम्र में जब उम्मीदें टूट जाती हैं तब मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले की आदिवासी महिला जोधइया बाई की उड़ान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुई है। उनकी बनाई गई  paintings की प्रदर्शनी इटली के मिलान शहर में चल रहे Art festival में लगाई गई है, इटली के मिलान शहर में लगी उनके चित्रों की प्रदर्शनी की सबसे खास बात यह है कि इसके लिए जोधइया बाई ने अपनी तरफ से कोई कोशिश नहीं की.

दरअसल स्थानीय कला प्रेमी आशीष स्वामी की नजर इन चित्रों पर पड़ी, जिन्होंने भोपाल के बोन ट्राइवल आर्ट में ट्राइबल आर्ट की जानकार पदमा श्रीवास्तव को इसकी जानकारी दी.. सभी जोधइया बाई की paintaings से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाने का मन बनाया। जिसके बाद इटली की गैलेरिया फ्रांसिस्को जनूसो संस्था से संपर्क किया गया। संस्था को भी जोधइया बाई की paintaings भा गई और इस तरह जोधइया बाई की कला देश की सरहद को लांघकर इटली तक पहुंच गई।


मिलान की आर्ट गैलरी में लगी जोधइया बाई के चित्रों की प्रदर्शनी के लिए खास Invitation card बांटे जा रहे है। कार्ड पर भी ख़ुद जोधइया बाई की ही Paintings में से एक कलाकृति को चुना गया है। जोधइया बीते 15 साल से पेंटिंग्स के ज़रिए पुरानी प्रथाओं को बचाने की कोशिश में लगी है। जोधइया बाई ने विलुप्त होती बैगिन चित्रकला को एक बार फिर जीवित कर दिया है। जिस बड़ादेव और बघासुर के चित्र कभी लोगों के घरों की दीवार पर सजते थे उन्हीं चित्रों को जोधइया ने कैनवास और ड्राइंग शीट पर आधुनिक रंगों से उकेरना शुरू किया तो बैगा जनजाति की यह कला एक बार फिर जीवित हो उठी है।

हालांकि ये पहला वाक़िया वहीं जब जोधइया बाई को अपने क़ाम के लिए सराहना मिली हो इससे पहले मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में जोधइया बाई के नाम से एक स्थाई दीवार बनी गई थी जिस पर उनके बनाए गए चित्र हैं। और अमेरिका और जर्मनी के कई artist भी उनकी लोकचित्रों को ले जा चुके हैं।

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