दिल्ली यूनिवर्सिटी के 85 फ़ीसदी स्टूडेंट्स ऑनलाइन एग्ज़ाम नहीं चाहते: डूटा का सर्वे

by Shahnawaz Malik 3 years ago Views 1301

85% students of Delhi University do not want onlin
कोरोना महामारी के चलते देशभर में विश्वविद्यालय बंद हैं लेकिन स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन क्लासेज़ और ऑनलाइन एग्ज़ाम की तैयारी चल रही है. अचानक थोप दी गई ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था से लाखों स्टूडेंट्स का करियर ख़तरे में पड़ सकता है. दिल्ली यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ का सर्वे कहता है कि यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे स्टूडेंट्स इसके ख़िलाफ़ हैं.

डूटा के सर्वे में 51 हज़ार 452 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया जिनमें 92.2 फ़ीसदी अंडरग्रेजुएट और 7.8 फ़ीसदी पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के स्टूडेंट्स थे. सर्वे के मुताबिक ऑनलाइन क्लासेज़ और एग्ज़ाम के लिए ज़रूरी लैपटॉप, स्मार्टफोन और इंटरनेट जैसी सुविधा सभी स्टूडेंट्स के पास नहीं है जो ऑनलाइन क्लासेज़ में शामिल नहीं हो सके हैं और ऑनलाइन एग्ज़ाम भी नहीं दे पाएंगे.


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सर्वे में 90.5 फ़ीसदी स्टूडेंट्स ने कहा कि मौजूदा हालात में वे ख़ुद को ऑनलाइन परीक्षा के लिए तैयार नहीं मानते.

85 फ़ीसदी स्टूडेंट्स ने साफ किया कि वे ओपन बुक एग्ज़ामिनेशन यानी ऑनलाइन एग्ज़ामिनेशन के पक्ष में नहीं हैं.

80.5 फ़ीसदी स्टूडेंट्स ने कहा है कि कोरोना के चलते पैदा हुए हालात में वे अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.

इस सर्वे में 50 फीसदी स्टूडेंट्स ने कहा कि उन्हें ऑनलाइन मटेरियल नहीं मिला या फिर वे इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. 38 फ़ीसदी स्टूडेंट्स ने कहा कि टीचर्स ने ऑनलाइन मटेरियल भेजा है लेकिन इसके बावजूद वे इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

33.7 फ़ीसदी बच्चों ने कहा कि वे ऑनलाइन क्लासेज़ में शामिल नहीं हो सके जबकि 38.5 फ़ीसदी बच्चे सिर्फ 50 फ़ीसदी ऑनलाइन क्लासेज़ का ही हिस्सा बन सके. सिर्फ 27.8 फ़ीसदी बच्चे 50 फ़ीसदी से ज़्यादा क्लासेज़ में शामिल हुए.

सर्वे के मुताबिक 6.7 फ़ीसदी स्टूडेंट्स के पास इंटरनेट कनेक्शन नहीं है. 10.9 फ़ीसदी के पास 2जी स्पीड और 25.6 फ़ीसदी के पास 3जी स्पीड का इंटरनेट है. 10 फ़ीसदी के पास ब्रांडबैंड सेवा है और 46 फ़ीसदी 4जी स्पीड का इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं.

इसी तरह 8.3 फ़ीसदी के पास कंप्यूटर, लैपटॉप या टैब नहीं है. सिर्फ 15.5 फ़ीसदी स्टूडेंट्स के पास लैपटॉप है और 74.1 फ़ीसदी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं.

55.4 फ़ीसदी स्टूडेंट्स ने कहा है कि उनके पास लॉकडाउन से पहले हुई क्लासेज़ के नोट्स नहीं हैं और ना ही अब मिल पाएंगे. सिर्फ 23.5 फ़ीसदी के पास पहले की क्लासेज़ की नोट्स हैं.

डूटा समेत कई शिक्षक संघ ऑनलाइन एग्ज़ामिनेशन की व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं. शिक्षक संघों का तर्क है कि देश की आधी आबादी 3 हज़ार 800 रुपए प्रति माह की आमदनी पर गुज़ारा कर रही है, ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा के लिए महंगे गैजेट्स ख़रीद पाना सभी के लिए मुमकिन नहीं है.

विश्वविद्यालयों में 50 फ़ीसदी छात्र एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के होते हैं जिनकी आर्थिक पृष्ठभूमि जगज़ाहिर है. ऑनलाइन एग्ज़ामिनेशन की व्यवस्था में इस वर्ग का भी बड़ा हिस्सा बाहर हो जाएगा.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि साल 2017-18 में उच्च शिक्षा के लिए 3 करोड़ 66 लाख छात्रों ने देशभर में दाख़िला लिया था जो 2018-19 में बढ़कर 3 लाख 74 हज़ार हो गया. मगर ऑनलाइन क्लासेज़ और एग्ज़ाम की व्यवस्था के चलते इनके भविष्य पर तलवार लटकना शुरू हो गई है.

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