आख़िर लॉकडाउन बढ़ाने की क्या वजह है?

by Darain Shahidi 4 years ago Views 57336

After all, what is the reason for increasing the l
देश में कोरोना का ख़तरा बरक़रार है। बल्कि बढ़ता जा रहा है। इसलिए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। अब 3 मई तक लॉकडाउन जारी रहेगा। क्या देश में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए जो क़दम उठाए गए उसमें देर हो गई?

कोरोना का पहला मामला देश में 30 जनवरी को दर्ज हुआ था. मार्च में ही पीटीआई न्यूज़ एजेन्सी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से हमें बताया की कोरोना भारत के लिए बहुत बड़ा ख़तरा नहीं है। विदेशों से हवाई जहाज़ भारत आते रहे। चीन के वहाँ से भी भारतीयों को निकाल के लाया गया। तमाम विदेशी टूरिस्ट भारत आते रहे और भारत से जाते रहे। निज़ामुद्दीन मरकज़ के भी कार्यक्रम बेरोक-टोक चलते रहे। जलसे जुलूस निकलते रहे मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार गिरी और भाजपा सरकार बनी। शपथ लिए गए।


24 मार्च की रात पीएम मोदी ने जब 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया तो देश में कुल 550 मामले थे लेकिन 21 दिनों के लॉकडाउन में ही 9,800 मामले मिल गए। अब देश में कुल मरीज़ों की संख्या 10,815 हो चुकी है। इंडियव काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर के मुताबिक़ दो लाख 32 हज़ार टेस्टिंग हुई है।

सरकार के अथक प्रयासों के बीच हमने ताली बजाई थाली बजायी और दिए जलाए। सड़कों पर पैदल निकल पड़े दिहाड़ी मज़दूरों को रोका। कई जगह लॉकडाउन तोड़ने पर पुलिस ने लोगों को ठोका। कई अस्पतालों में डाक्टर्स और नर्सज ने बदसलूकी की शिकायत की। ऐसा किसी देश में नहीं हुआ।

आँकड़ों को देखें तो पाँच हज़ार तक पहुँचने में दस हफ़्तों का वक़्त लगा और ये संख्या आख़री के छह दिनों में दुगनी हो गयी। यानी महज़ छह दिनों में पाँच हज़ार से बढ़कर दस हज़ार और ये लॉकडाउन के बावजूद हुआ है। लाखों मज़दूर बेरोज़गार हो गए हैं और लाखों की तादाद में लोग भुखमरी की कगार पर खड़े हैं। सूरत में मज़दूर सड़कों पर उतर आए और मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर जमा हुए मज़दूरों पर लाठी चार्ज कर दिया गया। ये मज़दूर यहाँ लॉकडाउन टूटने की आस में जमा हुए थे।  

प्रधानमंत्री काफ़ी चिंतित हैं। देश की जनता से लॉकडाउन का पालन करने के लिए गुहार लगा रहे हैं और अपनी पीठ भी थपथपा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने हमें बताया की भारत ने काफ़ी बढ़िया ढंग से कोरोनावायरस फैलने से रोकने में कामयाबी पायी है। उन्होंने कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े सामर्थ्यवान देशों की तुलना में भारत बहुत संभली हुई स्थिति में है। महीने डेढ़ महीने पहले कोरोना संक्रमण के मामले में कई देश भारत के बराबर खड़े थे, आज उन देशों में 25 गुना भारत के मुकाबले बढ़ गए हैं। हज़ारों लोगों की दुखद मृत्यु हो गई है। भारत ने हॉलिस्टिक अप्रोच न अपनाई होती, समय पर तेज़ फैसले न लिए होते तो आज भारत की स्थिति क्या होती, इसकी कल्पना करते ही रोएं खड़े हो जाते हैं।

प्रधानमंत्री की बात सही है। अमरीका, स्पेन, इटली, ईरान जैसे देशों की हालत सचमुच भयावह है। उनकी तुलना में भारत बेहतर स्थिति में है। लेकिन अगर दक्षिण एशिया के दूसरे देशों पर नज़र डालें तो कई देश जो हमसे कमज़ोर हैं क्या हमसे बेहतर स्थिति में हैं। ये तस्वीर का दूसरा रूख है। सिक्के का एक और पहलू है। कुछ देश ऐसे हैं जो हमसे ग़रीब हैं हमसे पिछड़े हैं वहाँ क्या हालात है? ये सारे देश हमारे आस पड़ोस में हैं। ये दक्षिण एशिया के देश हैं। आइए एक नज़र डालते हैं।  

मिसाल के तौर पर बांग्लादेश में 1012 मामले सामने आए हैं और 46 लोगों की मौत हुई है। बांग्लादेश ने 26 मार्च से लॉकडाउन कर दिया था और तब से लेकर आज तक हालात पर क़ाबू पाने के लिए आठ अरब डॉलर के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। भारत की तुलना में बांग्लादेश की आबादी काफ़ी कम है लेकिन आर्थिक पैकिज बड़ा है।  

श्रीलंका में 218 लोगों के मरने की ख़बर है, सात लोगों की मौत हुई है और 56 लोग ठीक हो चुके हैं। श्रीलंका ने 20 मार्च को पूरे देश में कर्फ़्यू की घोषणा कर दी थी। ख़बर है कि सरकार ने कोरोना से मरने वालों को जलाने का प्रावधान किया है। हालाँकि डब्ल्यूएचओ ने दफ़नाए जाने का प्रावधान भी रखा है और अमरीका में बड़े पैमाने पर लाशों को दफ़नाया जा रहा है।

पाकिस्तान में हालात बुरे हैं 5716 मामले सामने आ चुके हैं। 96 मरीज़ों की मौत हो चुकी है। वहाँ के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आर्थिक हालात का हवाला देते हुए लॉकडाउन से इंकार दिया था लेकिन ख़बरें आ रही हैं कि फ़ौज दख़ल दे रही है और लॉकडाउन करवा सकती है। 

अफ़ग़ानिस्तान में 714, मामले सामने आए हैं। 23 की मौत हो चुकी है और 40 ठीक हो गए हैं। कोरोना का क़हर वहाँ हैरत शहर से शुरू हुआ और काबुल तक पहुँचा। सरकार ने तुरंत ऐलान किया की जेल में बंद दस हज़ार क़ैदीयों को छोड़ दिया जाए। ख़ासकर बीमार क़ैदीयों को और उनको ज 55 साल से ज़्यादा उम्र के हैं। जेलों में बंद औरतों और उनके साथ रह रहे बच्चों को भी रियायत दी गयी। अफग़ानिस्तान में 22 मार्च से पर्शियल लाक्डाउन है। 

मालदीव में 20 मामले पॉज़िटिव पाए गए लेकिन इनमें से 14 ठीक भी हो गए। पहला मामला आते ही सरकार ने इन देशों से आने-जाने वाले यात्रियों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। मॉल्दीव सरकार ने एक पूरे आइसलैंड में बने रिज़ॉर्ट को क्वारंटीन फैसिलिटी में तब्दील कर दिया है। जहाँ रहना खाना और इलाज मुफ़्त हो रहा हैं।  

नेपाल में 16 लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए गए। इनमें से तीन भारतीय हैं। एक मरीज़ के ठीक होने की पुष्टि हुई है। नेपाल ने भी लॉकडाउन 27 अप्रैल तक बढ़ा दिया है। भारत से मिलने वाली सभी सीमाएँ नेपाल ने सील कर दी हैं।

भूटान में सिर्फ़ 5 मामले सामने आए हैं और इनमें से भी 2 ठीक होकर घर वापस जा चुके हैं। भूटान के 134 छात्र पंजाब में फ़ेज़ हुए थे जिन्हें भूटान सरकार ने स्पेशल प्लेन भेजकर रेस्क्यू करवा लिया है। भारत ने मरीज़ों के मामले में साउथ कोरिया की बराबरी कर ली है जबकि मौतों के मामले में साउथ कोरिया से आगे है।

साउथ कोरिया के मॉडल की दुनियाभर में चर्चा हो रही है जिसने कोरोना वायरस की सबसे ज़्यादा जांच की और इसपर लगभग काबू पा लिया है। साउथ कोरिया में कोरोना का पहला मामला 20 जनवरी को मिला था। यानी कि भारत से ठीक 10 दिन पहले। फिलहाल यहां मरीज़ों की संख्या 10,564 है। यहां सिर्फ 222 लोगों की मौत हुई है। लेकिन भारत की एक और समस्या है। जिसका ज़िक्र प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश में किया। वो है लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मज़दूरों और ग़रीबों का ध्यान रखना। उन्होंने अपील की कि जितना हो सके ग़रीबों का ध्यान रखें और उनके खाने-पीने की ज़रूरत पूरी करें। हालाँकि ये सरकार की ज़िम्मेदारी है। लेकिन आपको तो पता ही है सरकार की और भी ढेर सारी ज़िम्मेदारियाँ हैं इतना बोझ एक अकेली सरकार कहाँ उठा पाएगी।

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