हमले के ख़िलाफ़

by Darain Shahidi 4 years ago Views 3318

Against the attack
हमले के ख़िलाफ़


मंगलवार सुबह के अख़बार इन ख़बरों से रंगे पड़े हैं

क़रीब सौ लोगों की भीड़ JNU में घुस गई, सब के सब नक़ाब पहने हुए थे। किसी को लोहे की रॉड से मारा, मार के सर फाड़ दिया। किसी को डंडे से मारा, ब्लाइंड स्टूडेंट के कमरे में घुस कर उसे भी मारा।टीचर्स को मारा। लड़कियों को मारा। चुन चुन के मारा। निहत्थे छात्र जान बचाने को भागे कोई बाल्कनी से कूद गया। जो पचास साल में कभी नहीं हुआ वो इस सरकार के राज में हो रहा है। 2016 में भी नक़ाब पहनकर JNU में नारे लगाए गए थे याद होगा। किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई थी। ना उस बार नक़ाबपोश पकड़े गए थे और ना अब नक़ाबपोश पकड़े गए हैं।

Times Of India ने लिखा है कि Goons Ran Riot As Cops Awaited JNU Nod. University का कहना है कि साढ़े चार बजे उन्होंने पुलिस को बुलाया था लेकिन पुलिस का कहना है कि सात बजके पैतालीस मिनट पर अंदर घुसने की परमिशन मिली।

times of india ने नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी का बयान भी छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि

“I think any Indian who cares about the nation’s image in the world should worry,” “This has too many echoes of the years when Germany was moving towards Nazi rule.”

क्या सचमुच हम नाज़ी जर्मनी की तरफ़ बढ़ रहे हैं?

हिंदुस्तान times ने अपनी हेड्लायन बनाई है स्टूडेंट्स स्टैंड विध JNU. अख़बार ने एक मैप भी छापा है जिसमें ये विस्तार से बताया गया है कि पूरे देश में कहाँ कहाँ JNU के समर्थन में स्टूडेंट्स सड़कों पर उतर आए हैं। हिंदुस्तान times ने JNU के VC से और पुलिस से कई सवाल भी पूछे हैं।

VC से पूछा है कि नक़ाब पोश हमलावर यूनिवर्सिटी में घुसे कैसे। security गार्ड ने उन्हें रोका क्यूँ नहीं। VC ने तुरंत पुलिस क्यूँ नहीं बुलाइ । टीचर्ज़ और स्टूडेंट्स को जब पीटा जा रहा था तब VC कहाँ थे? घायल बच्चों से VC अभी तक क्यूँ नहीं मिले

इसी अख़बार ने पुलिस से भी सवाल पूछे हैं।

FIR के मुताबिक़ पुलिस को कैम्पस में घुसने की अनुमति दोपहर को ही मिल गई थी लेकिन फिर भी पुलिस गेट पर इंतज़ार करती रही। गेट के बाहर जो लोग दंगे भड़का रहे थे उन्हें पुलिस ने क्यूँ नहीं रोका।अंदर और बाहर स्ट्रीट लाइट्स किसने बंद की ?

जब नक़ाब पोश हमलावर गेट से बाहर निकले तब भी पुलिस खड़ी देखती रही। अभी तक एक भी हमलावर गिरफ़्तार क्यूँ नहीं हुआ।

Indian Express का कहना है कि JNU में पुलिस यूँ ही खड़ी रही जबकि Jamia में एक्शन में थी। आगे लिखा है कि Day After Delhi Police Watched Mob, Not One Arrest, No Attacker Identified. Indian Express ने तीन वट्सऐप ग्रूप को डिकोड किया है जिसमें JNU के प्रॉक्टर विवेकानंद सिंह, DU के एक टीचर, दो PHD scholar और ABVP के आठ ऑफ़िस Bearers ऐक्टिव हैं । ये वो whatsapp ग्रूप्स हैं जिनमे JNU में घुसकर हमला करने की बात हो रही है।     

Economic Times ने एडिटोरीयल छापा है कि हिंसा किसी भी क़ीमत पर मान्य नहीं है। अख़बार ने सीधे-सीधे दिल्ली पुलिस को हिंसा का ज़िम्मेदार बताया है।

द हिंदू अख़बार ने अपनी हेड्लायन में लिखा है कि JNU के छात्र और स्टाफ़ सभी लोग चाहते हैं कि VC को हटाया जाय।

जनसत्ता अख़बार ने लिखा है “दंगे का मामला, पर कोई गिरफ़्तारी नहीं।

नीचे दो छात्रों के दिल दहला देने वाले अकाउंट्स छापे गए हैं। हेडिंग है ऐसा ख़ौफ़नाक मंज़र कभी नहीं देखा।

एक छात्र सूर्यप्रकाश  जो देख नहीं सकते उन्होंने बताया की उनके कमरे के बाहर अम्बेडकर की फ़ोटो लगी थी शायद इसलिए उन्हें बेरहमी से पीटा गया।

क्या देश के संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की फ़ोटो लगाना गुनाह है। ये नक़ाबपोश कौन थे जिन्होंने अम्बेडकर की फ़ोटो के कारन एक न देख सकने वाले स्टूडेंट के कमरे घुसकर उसकी पिटाई कर दी? दिल्ली पुलिस अभी तक उनकी पहचान क्यूँ नहीं कर पाई।

BBC, CNN और चाइना पोस्ट ने भी हमले पर काफ़ी हार्ड हिटिंग रिपोर्ट लिखी है

ताज़ा ख़बर ये है की उलटे JNSU की अध्यक्ष Aishi घोष पर FIR कर दी गई है। आपको बता दें की इस हमले में AISHI के सर पर रॉड से मारा गया था जिसके कारण उसका सर फट गया और टाँके लगाने पड़े। ये ठीक उसी तरह से हुआ जैसे 2016 में नारे लगाने के ख़िलाफ़ kanhayya को गिरफ़्तार गिया गया था जबकि असली नक़ाबपोश का पुलिस आज तक पता नहीं लगा पायी है।

अब सवाल ये है कि जब देश विदेश के सारे अख़बार एक आवाज़ में JNU हमले के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं तो सरकार और सरकार के मंत्री उलटे सीधे बयान देकर क्या साबित करना चाहते हैं। एक तरफ़ देश का युवा है जो सरकार से नाराज़ है और ये नाराज़गी बढ़ती जा रही है। देश भर में कैम्पस और कैम्पस के बाहर स्टूडेंट्स सरकार के ख़िलाफ़ नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। इसका असर चुनावों पर भी पड़ रहा है। भाजपा के हाथ से कई राज्यों में सत्ता निकाल चुकी है।

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