ट्रंप के दौरे से पहले अहमदाबाद की एक और झुग्गी निशाने पर, निगम ने बेदखली का नोटिस दिया
अहमदाबाद की देवसरन झुग्गी को दीवार से ढंकने के बाद अहमदाबाद नगर निगम ने मोटेरा स्टेडियम के नज़दीक एक झुग्गी बस्ती वालों को बेदख़ली का नोटिस जारी किया है. 45 परिवारों को दिए गए नोटिस में कहा गया है कि वे जल्द से जल्द झुग्गी बस्ती ख़ाली कर दें. इसी झुग्गी बस्ती से तक़रीबन डेढ़ किलोमीटर दूर मोटेरा स्टेडियम है जहां 24 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप केम छो ट्रंप प्रोग्राम में हिस्सा लेंगे.
इस झुग्गी बस्ती में कुल 65 परिवार हैं जिनमें ज़्यादातर निर्माणाधीन इमारतों में 300 रुपए की दिहाड़ी पर काम करने वाले मज़दूर हैं. अचानक मिली नोटिस और जल्दी से जल्दी जगह खाली करने के फरमान से मज़दूरों में दहशत है कि वे अपना परिवार लेकर कहां जाएं. दाहोद के रहने वाले 24 वर्षीय पंकज दामोर के मुताबिक अफ़सरों ने उनसे कहा कि जहां जाना चाहते हो जाओ लेकिन जगह ख़ाली करो. झुग्गीवालों को जगह खाली करने के लिए सात दिन की डेडलाइन मिली है.
अहमदाबाद नगर निगम का कहना है कि बेदख़ली के नोटिस का अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रोग्राम से कोई लेना देना नहीं है. झुग्गीवालों ने शहर की एक ज़मीन पर अतिक्रमण कर लिया था जिसकी वजह से उन्हें हटाया जा रहा है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि हम एक विकासशील देश हैं और हमें अपनी सच्चाई छिपाने की ज़रूरत नहीं है. वैसे भी सबकुछ गूगल मैप पर पहले से मौजूद है. अहमदाबाद गुजरात की वित्तीय और औद्योगिक राजधानी कहलाता है. झुग्गी बस्तियों की संख्या के मामले में भी यह सूरत के बाद गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. पिछले 20 सालों में यहां झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की तादाद लगभग दोगुनी हो गई है. अहमदाबाद नगर निगम और सेंसस 2011 के आंकड़े बताते हैं कि 2001 में शहर की कुल आबादी 35 लाख 20 हज़ार 85 थी जिनमें से चार लाख 39 हज़ार 843 लोग झुग्गी बस्तियों में रह रहे थे. यानी शहर की कुल आबादी का 12.40 फ़ीसदी झुग्गी झोपड़ी में थे. 2011 में अहमदाबाद शहर की आबादी 55 लाख 68 हज़ार 695 हो गई जिनमें से झुग्गी में रहने वालों की संख्या 7 लाख 98 हज़ार 206 दर्ज की गई. यानी शहर की कुल आबादी का 14.30 फ़ीसदी झुग्गी झोपड़ी में थे. वीडियो देखिये अहमदाबाद की झुग्गी बस्तियों में लोग बेहद अमानवीय हालात में रह रहे हैं. यहां बिजली, पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की भीषण किल्लत है. आंकड़े यह भी बताते हैं कि 2001 में 68 हज़ार 994 परिवार 708 झुग्गी झोपड़ी में रहते थे. 2011 में ऐसे परिवारों की संख्या बढ़कर 1 लाख 82 हज़ार 239 और झुग्गियों की संख्या बढ़कर 722 हो गई.
अहमदाबाद नगर निगम का कहना है कि बेदख़ली के नोटिस का अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रोग्राम से कोई लेना देना नहीं है. झुग्गीवालों ने शहर की एक ज़मीन पर अतिक्रमण कर लिया था जिसकी वजह से उन्हें हटाया जा रहा है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि हम एक विकासशील देश हैं और हमें अपनी सच्चाई छिपाने की ज़रूरत नहीं है. वैसे भी सबकुछ गूगल मैप पर पहले से मौजूद है. अहमदाबाद गुजरात की वित्तीय और औद्योगिक राजधानी कहलाता है. झुग्गी बस्तियों की संख्या के मामले में भी यह सूरत के बाद गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. पिछले 20 सालों में यहां झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की तादाद लगभग दोगुनी हो गई है. अहमदाबाद नगर निगम और सेंसस 2011 के आंकड़े बताते हैं कि 2001 में शहर की कुल आबादी 35 लाख 20 हज़ार 85 थी जिनमें से चार लाख 39 हज़ार 843 लोग झुग्गी बस्तियों में रह रहे थे. यानी शहर की कुल आबादी का 12.40 फ़ीसदी झुग्गी झोपड़ी में थे. 2011 में अहमदाबाद शहर की आबादी 55 लाख 68 हज़ार 695 हो गई जिनमें से झुग्गी में रहने वालों की संख्या 7 लाख 98 हज़ार 206 दर्ज की गई. यानी शहर की कुल आबादी का 14.30 फ़ीसदी झुग्गी झोपड़ी में थे. वीडियो देखिये अहमदाबाद की झुग्गी बस्तियों में लोग बेहद अमानवीय हालात में रह रहे हैं. यहां बिजली, पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की भीषण किल्लत है. आंकड़े यह भी बताते हैं कि 2001 में 68 हज़ार 994 परिवार 708 झुग्गी झोपड़ी में रहते थे. 2011 में ऐसे परिवारों की संख्या बढ़कर 1 लाख 82 हज़ार 239 और झुग्गियों की संख्या बढ़कर 722 हो गई.
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