भारत में 18 सालों में 124 बाघों की मौत
टाइगर सेंसस 2018 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2014 से बाघों की संख्या में वृद्धी हुई है। साल 2014 में 2014 में बाघों की संख्या 2,226 थी, जो अब 2,967 हो गई है। इसके बावजूद तस्करों और सिकुड़ते जंगलों की वजह से बाघों के सामने अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती बरकरार है।
हालात ये है कि देश बीते 18 सालों में 124 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा मौतें अवैध शिकार के कारण हुई है। एक अंतरराष्ट्रीय नजीओ 'ट्रैफिक' के मुताबिक इन 18 वर्षों में, दुनिया भर के 32 देशों और क्षेत्रों में कुल 2,359 बाघों के शरीर के अंगों को ज़ब्त किया गया है। इनमे से अधिकांश मामले भारत के हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में कुल 1,142 बरमदगी हुई है। इनमें से 95.1 फीसदी यानि 1,086 घटनाएं एशियाई बाघ रेंज के 13 देशों में हुई हैं, जहाँ 2,241 बाघ रहते है। हर साल औसतन 60 बरमदगी दर्ज की गई है, जिसका मतलब है कि प्रत्येक वर्ष लगभग 124 बाघों के शरीर के अंगों को जब्त किया गया है। इनमें कुल बरमदगी का 41 प्रतिशत यानि 463 बरमदगी के साथ भारत सबसे ऊपर है। इसके बाद चीन में 126 और इंडोनेशिया में 119 मामले सामने आए। जानकारों का कहना है कि भारत में ज़्यादा बरामदगी बाघों की ज़्यादा आबादी के कारण है। उनका कहना है कि हमारे पास भारत में बाघों की इतनी अच्छी आबादी है, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है। इसलिए, यह स्वाभाविक है कि शिकारियों की नज़र यहाँ के बाघों पर है।
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में कुल 1,142 बरमदगी हुई है। इनमें से 95.1 फीसदी यानि 1,086 घटनाएं एशियाई बाघ रेंज के 13 देशों में हुई हैं, जहाँ 2,241 बाघ रहते है। हर साल औसतन 60 बरमदगी दर्ज की गई है, जिसका मतलब है कि प्रत्येक वर्ष लगभग 124 बाघों के शरीर के अंगों को जब्त किया गया है। इनमें कुल बरमदगी का 41 प्रतिशत यानि 463 बरमदगी के साथ भारत सबसे ऊपर है। इसके बाद चीन में 126 और इंडोनेशिया में 119 मामले सामने आए। जानकारों का कहना है कि भारत में ज़्यादा बरामदगी बाघों की ज़्यादा आबादी के कारण है। उनका कहना है कि हमारे पास भारत में बाघों की इतनी अच्छी आबादी है, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है। इसलिए, यह स्वाभाविक है कि शिकारियों की नज़र यहाँ के बाघों पर है।
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