आरबीआई के आदेश के बाद बैंकों ने ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ने का काम किया शुरू
आरबीआई के आदेश के बाद अब बैंकों ने अपनी ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ना शुरु कर दिया है। केवल कर्ज़ की ब्याज दरें ही रेपो रेट से जोड़े नहीं जा रहे हैं बल्कि वो टर्म डिपॉज़िट यानी फिक्सड डिपॉज़िट की ब्याज दरों को भी रेपो रेट से जोड़कर उन्हें कम कर रहे हैं।
पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और फिर बैंक ऑउफ इंडिया ने फिक्सड डिपॉज़िट के लिए अपनी ब्याज दरें कम कर दी हैं। बाकी बैंक भी जल्दी ही अपनी ब्याज दरों को कम करने का ऐलान कर सकते हैं जबकि दूसरी तरफ़ पोस्ट ऑफ़िस में जमा रकम पर अब भी ब्याज दर बैंकों के मुकाबले काफ़ी ऊंची हैं।
एसबीआई में पांच साल के फिक्स्ड डिपॉजिट पर 6.25 फीसदी का ब्याज मिलेगा जबकि पोस्ट ऑफिस में पांच साल के लिए जमा राशि पर 7.7 फीसदी का ब्याज़ मिलेगा। इसका मतलब अगर आप एसबीआई में पांच लाख रुपये पांच साल के लिये फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर रखते हैं तो पांच साल बाद मेच्योरिटी के वक्त आपको 682,864 रुपये मिलेंगे। लेकिन, यदि आप पोस्ट ऑफिस में पांच लाख रुपए पांच साल के लिये जमा करते हैं तो मेच्योरिटी के बाद आपको 733,903 रुपये मिलेंगे यानि आपको पोस्ट ऑफ़िस में जमा पर 51,039 ज़्यादा मिलेंगे। ज़ाहिर है इसका नुकसान बैंकों को उठाना पड़ सकता है।
एसबीआई में पांच साल के फिक्स्ड डिपॉजिट पर 6.25 फीसदी का ब्याज मिलेगा जबकि पोस्ट ऑफिस में पांच साल के लिए जमा राशि पर 7.7 फीसदी का ब्याज़ मिलेगा। इसका मतलब अगर आप एसबीआई में पांच लाख रुपये पांच साल के लिये फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर रखते हैं तो पांच साल बाद मेच्योरिटी के वक्त आपको 682,864 रुपये मिलेंगे। लेकिन, यदि आप पोस्ट ऑफिस में पांच लाख रुपए पांच साल के लिये जमा करते हैं तो मेच्योरिटी के बाद आपको 733,903 रुपये मिलेंगे यानि आपको पोस्ट ऑफ़िस में जमा पर 51,039 ज़्यादा मिलेंगे। ज़ाहिर है इसका नुकसान बैंकों को उठाना पड़ सकता है।
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