भीमा कोरेगांव हिंसा: रूसी लेखक लियो तोलस्तोय का मशहूर उपन्यास घर में रखना गुनाह है?
मशहूर नॉवेल वॉर एंड पीस विश्व साहित्य के क्लासिक उपन्यासों में गिना जाता है जो 1869 में रूस पर फ्रांस के हमले और उसके बाद के हालात पर आधारित है। इस उपन्यास को रखने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पिछले साल गिरफ़्तार हुईं सुधा भारद्वाज, अरुण फ़रेरा और वर्नन गोंज़ाल्वेज़ से अजीबोग़रीब सवाल पूछा है जिन्होंने अपनी ज़मानत याचिका के लिए अर्ज़ी लगाई है।
पुणे पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट में क़िताबों, दस्तावेज़ों और सीडी की एक सूची सौंपी है। पुलिस का दावा है कि ये सामग्री वर्नन गोंज़ाल्वेज़ के घर से बरामद हुई है। इनमें रूसी लेखक लियो तोलस्तोय के मशहूर उपन्यास वॉर एंड पीस और मार्किस्ट आर्काइव के अलावा दो डॉक्यूमेंट्री जय भीम कॉमरेड और राज्य दमन विरोधी शामिल हैं।
जस्टिस एसवी कोतवाल की पीठ ने कहा कि इन क़िताबों और सीडी की प्रकृति बताती है कि आप एक प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा हैं। जस्टिस कोतवाल ने पूछा कि आपके घर में ये किताबें क्यों हैं? वहीं इनके वकील मिहिर देसाई ने कहा कि इन क़िताबों को रखने से कोई आतंकवादी नहीं हो जाता। बॉम्बे हाईकोर्ट के अजीबोग़रीब सवाल पर लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। पत्रकार काजल अय्यर ने पूछा है कि जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर की आत्मकथा के बारे में क्या ख़्याल है? क्या इसे रखने की इजाज़त है?
जस्टिस एसवी कोतवाल की पीठ ने कहा कि इन क़िताबों और सीडी की प्रकृति बताती है कि आप एक प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा हैं। जस्टिस कोतवाल ने पूछा कि आपके घर में ये किताबें क्यों हैं? वहीं इनके वकील मिहिर देसाई ने कहा कि इन क़िताबों को रखने से कोई आतंकवादी नहीं हो जाता। बॉम्बे हाईकोर्ट के अजीबोग़रीब सवाल पर लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। पत्रकार काजल अय्यर ने पूछा है कि जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर की आत्मकथा के बारे में क्या ख़्याल है? क्या इसे रखने की इजाज़त है?
पत्रकार स्मिता नायर ने लिखा है कि उनके पास वॉर एंड पीस की दो प्रतियां हैं। भागो और छिपाओ।What about Mein Kampf, is that allowed?
— Kajal K Iyer (@Kajal_Iyer) August 28, 2019
वहीं पत्रकार इफ़्तिख़ार गिलानी ने लिखा है, क्या आपको याद है कि मेरे मुक़दमे में फ्रीडम एट मिडनाइट और गिलगिट में सुरक्षाबलों की क्रूरता शीर्षक वाले संयुक्त राष्ट्र के एक मेमोरेंडम को आपत्तिजनक दस्तावेज़ के रूप में पेश किया गया था।Aiyoo ! I have two copies at home *runs and hides*
— smitha nair (@smitharnair) August 28, 2019
बता दें कि, महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा 1 जनवरी 2018 को हुई थी। इसके कुछ महीने बाद पुणे पुलिस ने देश के अलग-अलग हिस्सों से कई लोगों को गिरफ़्तार किया था। इनमें मशहूर वकील सुधा भारद्वाज, शिक्षाविद् वरनन गोंज़ाल्वेज़, अरुण फ़रेरा के अलावा लेखक सुधीर धावले, वकील सुरेंद्र गाडलिंग, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत, मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन, प्रोफ़ेसर शोमा सेन, शामिल हैं। इन सभी पर प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी से जुड़े होने के आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में सिर्फ वरिष्ठ पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ज़मानत पर हैं।Do u remember in my case Freedom at Midnight was shown incriminating document n UN memorandum titled atrocities of forces in Gilgit..I remember u had reported perhaps .
— Iftikhar Gilani (@iftikhargilani) August 28, 2019
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