उन्नाव गैंगरेप कांड में बीजेपी से बर्ख़ास्त विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रक़ैद की सज़ा
यूपी के बहुचर्चित उन्नाव गैंगरेप कांड में बीजेपी के बर्ख़ास्त विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी गई है. दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने सज़ा के अलावा सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है जिसमें से 10 लाख रुपए पीड़िता को दिए जाएंगे. डिस्ट्रिक्ट जज धर्मेश शर्मा ने जांच एजेंसी सीबीआई को भी निर्देश दिया है कि वह पीड़िता और उसके परिवार की हर तीन महीने में सुरक्षा की समीक्षा करती रहे.
उन्नाव कांड की बलात्कार पीड़िता को इंसाफ़ के लिए लगभग ढाई साल लंबा संघर्ष करना पड़ा. इस दौरान 8 अप्रैल 2018 को लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ के घर के बाहर आग लगाकर ख़ुदकुशी की कोशिश की और 28 जुलाई 2019 को रायबरेली में उनपर जानलेवा हमला हुआ. इस कांड में इंसाफ़ पाने की लड़ाई के दौरान पीड़िता ने अपने पिता, चाची और मौसी को भी खो दिया.
उन्नाव कांड की पीड़िता के मुताबिक 4 जून 2017 को वह विधायक कुलदीप सिंह सेंगर से नौकरी दिलाने में मदद मांगने गई थी जहां उसके साथ बलात्कार हुआ. 22 जून 2017 को पीड़िता की मैजिस्ट्रेट के सामने पेशी हुई लेकिन उसे कुलदीप सिंह सेंगर का नाम नहीं लेने दिया गया. 3 अप्रैल को पीड़िता के पिता के साथ कुलदीप सिंह सेंगर के भाई ने मारपीट की और उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ़्तार करवा दिया और 9 अप्रैल को पुलिस कस्टडी में लड़की के पिता की मौत हो गई. इसके बाद यूपी की योगी सरकार पर कुलदीप सिंह सेंगर को बचाने का आरोप लगा और सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया. 11 अप्रैल 2018 को यह केस सीबीआई को सौंपा गया जिसने 13 अप्रैल 2018 को कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ़्तार किया. यहीं से कुलदीप सिंह सेंगर पर शिकंजा कसना शुरू हो गया. इस कांड में उस वक़्त सनसनीख़ेज़ मोड़ आया जब पीड़िता अपने वकील और परिवार के साथ 28 जुलाई 2019 को रायबरेली जा रही थी. इसी दौरान एक ट्रक ने कार को टक्कर मारी जिसमें पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई. जबकि पीड़िता और वकील लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर चले गए. वीडियो देखिये इस एक्सिडेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला दिल्ली की सीबीआई अदालत में ट्रांसफर कर दिया और मामले की सुनवाई 45 दिन में पूरी करने का आदेश दिया. 16 दिसंबर को कुलदीप सिंह सेंगर को पीड़िता के साथ बलात्कार और अपहरण मामले में दोषी क़रार दिया गया और अब अदालत ने उन्हें उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी है.
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उन्नाव कांड की पीड़िता के मुताबिक 4 जून 2017 को वह विधायक कुलदीप सिंह सेंगर से नौकरी दिलाने में मदद मांगने गई थी जहां उसके साथ बलात्कार हुआ. 22 जून 2017 को पीड़िता की मैजिस्ट्रेट के सामने पेशी हुई लेकिन उसे कुलदीप सिंह सेंगर का नाम नहीं लेने दिया गया. 3 अप्रैल को पीड़िता के पिता के साथ कुलदीप सिंह सेंगर के भाई ने मारपीट की और उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ़्तार करवा दिया और 9 अप्रैल को पुलिस कस्टडी में लड़की के पिता की मौत हो गई. इसके बाद यूपी की योगी सरकार पर कुलदीप सिंह सेंगर को बचाने का आरोप लगा और सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया. 11 अप्रैल 2018 को यह केस सीबीआई को सौंपा गया जिसने 13 अप्रैल 2018 को कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ़्तार किया. यहीं से कुलदीप सिंह सेंगर पर शिकंजा कसना शुरू हो गया. इस कांड में उस वक़्त सनसनीख़ेज़ मोड़ आया जब पीड़िता अपने वकील और परिवार के साथ 28 जुलाई 2019 को रायबरेली जा रही थी. इसी दौरान एक ट्रक ने कार को टक्कर मारी जिसमें पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई. जबकि पीड़िता और वकील लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर चले गए. वीडियो देखिये इस एक्सिडेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला दिल्ली की सीबीआई अदालत में ट्रांसफर कर दिया और मामले की सुनवाई 45 दिन में पूरी करने का आदेश दिया. 16 दिसंबर को कुलदीप सिंह सेंगर को पीड़िता के साथ बलात्कार और अपहरण मामले में दोषी क़रार दिया गया और अब अदालत ने उन्हें उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी है.
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