मज़दूरों के पलायन से धंधा ठप, महाराष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने की मांग

by Shahnawaz Malik 3 years ago Views 1664

Business stalled due to exodus of workers, demand
महाराष्ट्र सरकार ने 33 फ़ीसदी वर्कफोर्स के साथ उद्योग धंधा शुरू करने की इजाज़त तो दी है लेकिन कुशल कामगारों और मज़दूरों के बिना कारख़ाने बंद पड़े हैं. पुणे के कारोबारियों ने पूछा कि जब मज़दूर और कामगार शहर से पलायन कर गए हैं तो उत्पादन कैसे किया जाए. कारोबारी अब मन बना रहे हैं कि राज्य के युवाओं का कौशल विकास किया जाए और प्रवासी मज़दूरों पर निर्भरता घटाई जाए.

पिंपरी चिंचवाड़ में कुल 11 हज़ार छोटे, मझोले और मध्यम लघु उद्योग हैं जहां तक़रीबन 5 लाख कामगारों को रोज़गार मिलता था. इनमें से तीन लाख कामगार दूसरे राज्यों के थे जबकि डेढ़ लाख महाराष्ट्र के थे. पिंपरी चिंचवाड़ स्मॉल इंडस्ट्रीज़ के प्रेज़िडेंट संदीप बेलसारे का दावा है कि लॉकडाउन होने से ढाई लाख मज़दूर और कामगार अपने गांवों को लौट गए हैं. इनमें ज़्यादातर लोगों को मार्च और अप्रैल की पगार भी दी गई थी. अनिल बलसारे ने कहा कि वो राज्य सरकार के साथ बातचीत का मन बना रहे हैं ताकि राज्य के उद्योग धंधों से स्थानीय युवाओं को जोड़ा जा सके ताकि प्रवासी मज़दूरों पर निर्भरता कम हो जाए.


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महाराष्ट्र सरकार ने 13 मई से उद्योग धंधों को सशर्त काम करने की इजाज़त दी थी और 7 हज़ार उद्योग मालिक काम शुरू करने के लिए तैयार हैं लेकिन उनके पास पर्याप्त मज़दूर और कामगार नहीं हैं. ओलिव ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के प्रबंध निदेशक निसार सुतार कहते हैं कि उनके कारख़ाने मे 65 से 67 फ़ीसदी कामगार महाराष्ट्र से बाहर के हैं जिनमें से 50 फ़ीसदी घर लौट गए हैं. उन्होंने कहा कि कारोबार लगभग 70 फ़ीसदी तक गिर गया है और दोबारा रफ़्तार पकड़ने में 4-5 महीने का वक़्त लग सकता है.

क्वाड्रोगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रोडक्शन हेड संदीप निलख ने कहा कि ज़्यादातर प्रवासी मज़दूर कुशल कामगार थे जो अब चले गए हैं. उनके बिना प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता बनाए रखना मुमकिन नहीं है. एक और कारोबारी ने कहा कि उनकी कंपनी में 25 लोग काम करते थे लेकिन 23 लोग लौट चुके हैं. फिर बचे हुए दो लोगों के साथ कैसे काम चलाया जाए.

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