दुनियाभर में केमिकल पेस्टिसाइड्स के ख़िलाफ़ मुहिम, कृषि प्रधान भारत में फलफूल रहा कारोबार

by Rahul Gautam 4 years ago Views 1598

Campaign against chemical pesticides worldwide, bo
खेती में रासायानिक कीटनाशक के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ दुनियाभर में मुहिम चल रही है लेकिन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में ज़मीन पर इसका असर नदारद है. लोकसभा के ताज़ा आंकड़ें बताते हैं कि पेस्टिसाइड्स बेचने वाली ताक़तवर कंपनियों का कारोबार भारत में जमकर फलफूल रहा है.

आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2019 के बीच महाराष्ट्र में पेस्टिसाइड्स की खपत 2806 मीट्रिक टन से बढ़कर 4894 हो गई. इसी तरह उत्तर प्रदेश में 9736 मिट्रिक टन से बढ़कर 11116 मिट्रिक टन, जम्मू कश्मीर में 1921 मिट्रिक टन से बढ़कर 2459 मिट्रिक टन, ओडिशा में 1278 मिट्रिक टन से बढ़कर 1609 मिट्रिक टन, बिहार में 787 मिट्रिक टन से बढ़कर 981 मिट्रिक टन, हिमाचल प्रदेश में 379 मिट्रिक टन से बढ़कर 407 मिट्रिक टन, केरल में 910 मिट्रिक टन से बढ़कर 1037 मिट्रिक टन, असम में 190 मिट्रिक टन से बढ़कर 385 मिट्रिक टन और त्रिपुरा में 346 मिट्रिक टन से बढ़कर 349 मिट्रिक टन हो गया है।


जहां एक तरफ केमिकल पेस्टीसिड्स बनाने वाली कमपनीज़ का भारत में कारोबार लगातार बढ़ रहा है, वही इसके मुक़ाबले सरकारी कोशिशों के बावजूद जैविक कीटनाशक की खपत बहुत कम बढ़ी है। उल्टा, आंध्र प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में तो इनकी खपत कम हो गयी है।    

तमाम अध्ययनों से यह साफ़ हो चुका है कि पेस्टिसाइड्स के अत्यधिक इस्तेमाल से आमलोगों की सेहत पर असर पड़ता है और ग्राउंड वॉटर भी तेज़ी से नीचे जाता है. यही वजह है कि कृषि पर काम करने वाले तमाम विशेषज्ञ पेस्टिसाइड्स के इस्तेमाल का विरोध करते हैं और सरकार भी पेस्टिसाइड्स बनाने वाली कंपनियों को प्रोमोट नहीं करती है. इसके बावजूद देश में साल दर साल पेस्टिसाइड्स की खपत बढ़ती जा रही है.

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