क्या कहते हैं दिल्ली में वोटिंग के आंकड़े?

by Renu Garia 4 years ago Views 4511

Campaigning over, campaign for voting intensifies,
दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार ख़त्म हो गया है। अब आठ फरवरी को वोटिंग करने वाले मतदाता तय करेंगे कि राजधानी दिल्ली में सरकार किसकी बनेगी. इस बीच ज़्यादा से ज़्यादा मतदान के लिए चुनाव आयोग ने वोटरों में जागरूकता पैदा करने के लिए अपना अभियान तेज़ कर दिया है. कहीं कैंडल मार्च निकाला जा रहा है तो कहीं अन्य कार्यक्रम के ज़रिए वोटरों को जागरूक करने की कोशिश जारी है. 

साउथ ईस्ट दिल्ली में असिस्टेंट कलेक्टर अंकिता मिश्रा ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए कैंडल मार्च निकलवाया और घर घर जाकर लोगों से वोट डालने की अपील की. कलेक्टर अंकिता ने कहा कि उनका वोट अंधेरे में उजाला लाने की ताकत रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों की जो भी समस्याएं हैं, उनका समाधान सरकार से होकर ही निकलता है. लिहाज़ा, 8 तारीख़ को ज़्यादा से ज़्यादा लोग बाहर निकलें और भारी मात्रा में वोट करें।


इसके अलावा चुनाव आयोग के सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन के तहत ‘Oath To Vote’ जैसा प्रोग्राम चलाया गया है तो कहीं नुक्कड़ नाटक के ज़रिए लोगों को मतदान का महत्व समझाया गया है. 

केंद्रीय चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली विधानसभा में पिछले चुनाव में वोटरों की संख्या 1 करोड़ 19 लाख 36 हज़ार 360 थी और 78  लाख  33 हज़ार 919 मतदाता वोट करने पहुंचे थे. यानी 2013 के विधानसभा चुनाव में यह 65.63 प्रतिशत था. वहीं 2015 में विधानसभा चुनाव में मतदाताओं संख्या बढ़कर 67.12  फ़ीसदी हो गई थी. 2015 में 89 लाख 36 हज़ार 159 दिल्लीवालों ने मतदान किया था. 

पिछले UPA के टर्म में मनमोहन सिंह की सरकार ने 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे मनाने की घोषणा की थी। जिसका मकसद यही था कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को घरों से निकालकर पोलिंग बूथ तक पहुंचाया जा सके. अब देखना यह है कि चुनाव आयोग और राजनैतिक दलों के इस अभियान का दिल्लीवालों पर क्या असर पड़ता है. 

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