कोरोना की दवाई खोजने का दावा, बाबा रामदेव समेत चार के ख़िलाफ़ एफआईआर
कोरोना की दवाई खोजने का दावा करने वाले योग गुरू और पतंजलि प्रमुख बाबा रामदेव पर फर्जीवाड़ा करने का मामला दर्ज़ कराया गया है। बाबा पर कोरोना की दवाई ‘कोरोनिल’ को लेकर भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाकर 420 की एफआईआर दर्ज़ कराई गई है।
बाबा के साथ पतंजलि आयुर्वेद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आचार्य बालाकृष्णन के ख़िलाफ भी एफआईआर दर्ज़ हुई है। इन दोनों के अलावा उन अन्य लोगों पर भी मामला दर्ज कराया गया है जिन्होंने कोरोना की दवाई बनाने का दावा किया है। जिनमें वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के अध्यक्ष बलबीर सिंह तोमर और निदेशक अनुराग तोमर का नाम शामिल है।
इन सभी के ख़िलाफ राजस्थान के एक शख़्स बलराम जाखड़ ने जयपुर के ज्योतिनगर थाने में 420 यानि फर्ज़ीवाड़ा का मामला दर्ज कराया और आरोप लगाया है कि बाबा रामदेव लोगों के साथ दवाई के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं। इससे पहले बाबा रामदेव और उनकी आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि ने सफलतापूर्वक कोरोना की दवाई 'कोरोनिल' बनाने का दावा किया था। हालांकि बाद में आयुष मंत्रालय और फिर उत्तराखंड सरकार ने भी बाबा के इस दावे को ख़ारिज कर दिया था और इस दवाई के प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी थी। इसी बीच, आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की कथित कोरोना की दवाई से जुड़ी सभी जानकारी मांगी है ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। आयुष मंत्रालय ने कहा है इस बात की जानकारी नहीं है कि किस तरह के वैज्ञानिक अध्ययन के बाद दवा बनाने का दावा पतंजलि ने किया है। वहीं उत्तराखंड सरकार ने साफ़ किया है कि बाबा जिस दवाई को कोरोना की दवाई बताकर पेश कर रहे हैं वो गलत है क्योंकि पतंजलि को इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवा बनाने के लिए लाइसेंस जारी किए गए थे। अपने दावे में रामदेव ने कहा था कि ’कोरोनिल’ दवाई देने पर सात दिन के भीतर कोरोना मरीज़ 100 फीसद ठीक हो गए। दवाई की लॉन्चिंग के दौरान पतंजलि की ओर से कहा गया, ‘कोरोना किट या कोरोनिल दवाई में अश्वगंधा मिलाया गया है जो कोरोना वायरस को इंसान के शरीर की कोशिकाओं में नहीं घुसने देता।
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