दिल्ली में कांग्रेस का शून्यकाल

by Ajay Jha 4 years ago Views 2313

Congress Zero Hour in Delhi
दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार ऐतिहासिक हार के साथ कांग्रेस अपने शून्य के आँकड़े को बनाए रखने में कामयाब रही। केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई और प्रचार में सबकुछ झोंकने के बाद भी भाजपा के सीटों महज़ मामूली इज़ाफ़ा हुआ।

एक ओर आम आदमी पार्टी के शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी के मुद्दे को जनता ने वोट देकर जीत की मुहर लगा दी। वहीं भाजपा के साम्प्रदायिक ध्रुविकारन की कोशिशों को जनता ने सिरे से नकार दिया।


शाहीन बाग, जेएनयू, जामिया, भारत-पाकिस्तान जैसे मुद्दे इस चुनाव में औंधे मुँह गिरे। लेकिन इस त्रिकोणीय चुनावी दंगल में अगर सबसे ज़्यादा किसी की दुर्गति हुई तो वो कांग्रेस की हुई। पार्टी का सफ़र शून्य से शुरू होकर शून्य पर ही ख़त्म हो गया। कांग्रेस के 66 उम्मीदवारों में से सिर्फ़ तीन उम्मीदवार ज़मानत बचाने में कामयाब रहे। पार्टी का वोट पर्सेंटेज़ जो लोकसभा चुनाव में 26 फ़ीसदी पहुँच गया था वो गिर कर चार फ़ीसदी रह गया।

चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में घमासान तेज हो गया है। पार्टी के कई नेता अब खुलकर कांग्रेस की नीति, रणनीति और विचारधारा को लेकर सवाल उठा रहे हैं। हालाँकि चुनाव हारने के बाद प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और प्रभारी पी.सी. चाको ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया है, जिसे कांग्रेस अध्यक्ष ने मंज़ूर भी कर लिया। लेकिन जाते -जाते भी पी.सी. चाको ने दिल्ली की हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को ज़िम्मेदार बता अपने सारी ज़िम्मेवरीयों से पल्ला झाड़ लिया।

पी.सी. चाको के बयान के बाद कांग्रेस की नई और पुरानी पीढ़ी के नेताओं ने सोशल मीडिया पर चाको की जमकर आलोचना की। कई नेताओं ने यहाँ तक कहा चाको की ग़लत नीतियों की वजह से दिल्ली कांग्रेस कभी गुटबाज़ी से उभर ही नहीं पाई। सूत्रों के मुताबिक़ चाको ने ही कांग्रेस नेतृत्व को ये समझाया की कांग्रेस को दिल्ली में ज़्यादा आक्रामक प्रचार नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसका फ़ायदा भाजपा को मिल सकता है। यही वजह है कि कई उम्मीदवारों की माँग के बावजूद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सभाएँ और रोड शो आख़िरी वक़्त में रद्द कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक़ चुनाव के बीच में ही प्रभारी चाको ने राहुल गांधी को चाँदनी चौक की जनसभा के दौरान बता दिया था कि कांग्रेस दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत रही है।

दिल्ली की शर्मनाक हार ने कांग्रेस के कई नेताओं को ये बोलने का मौक़ा दे दिया है कि पार्टी समय के साथ लोगों की भावनाओं के अनुरूप अपनी नीति और विचारधारा को बदलने में नाकामयाब रही है। शर्मिष्ठा मुखर्जी, संदीप दीक्षित, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब जयराम रमेश ने ऐसे सवाल उठाए हैं जो आने वाले वक़्त में इस बहस को और आगे बढ़ाएगा।

बहरहाल यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा जैसे राज्यों के साथ अब दिल्ली का भी नाम जुड़ गया है। और अगर पार्टी को फिर से दिल्ली में अपनी पुरानी ज़मीन तलाशनी है तो उसे ना सिर्फ़ आम आदमी पार्टी में चले गए अपने परम्परागत वोट बैंक को वापिस लाना होगा बल्कि शीला दीक्षित सरीखे नेतृत्व को भी तैयार करना होगा।

देखिये इस मसले पर कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने क्या कहा:

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