गिरती अर्थव्यवस्था के बीच कर्ज़ का डर बढ़ा, कई सेक्टरों के क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट दर्ज
देश में अर्थव्यवस्था पर छाए संकट के बादल छटने का नाम नहीं ले रहे है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया यानी आरबीआई के हालिया आंकड़े बताते हैं कि अब किसान और कारोबारी पहले से कम क़र्ज़ ले रहे है। इससे पता चलता है कि कैसे तमाम वर्ग मंदी में जकड़े हुए हैं और क़र्ज़ लेकर व्यापर चलाने से परहेज़ कर रहे है।
आरबीआई के मुताबिक देश में क़र्ज़ वृद्धि दर में लगातार गिरावट दर्ज़ हो रही है। नए आंकड़ों के मुताबिक चाहे किसान हों या कारोबारी, इस अनिश्चितता के माहौल में क़र्ज़ से मुँह फेर बैठे हैं जिसकी वजह से आर्थिक गतिविधियों को धक्का लगा है।
आरबीआई के मुताबिक साल 2014 दिसंबर में कृषि क्षेत्र में क्रेडिट ग्रोथ यानि क़र्ज़ वृद्धि दर 18.3 फीसदी थी जो 2018 दिसंबर में घटकर 8.4 फीसदी हुई और अब दिसंबर 2019 में 5.3 फीसदी रह गयी है। इसका सीधा मतलब है कि पहले के मुक़ाबले अब किसान लोग क़र्ज़ ले रहे हैं। बात की जाए छोटे, मझोले और बड़े कारोबारियों की तो दिसंबर 2014 में उनका क़र्ज़ वृद्धि दर 6.7 फीसदी थी जो दिसंबर 2018 में घटकर 4.4 फीसदी हो गयी और अब दिसंबर 2019 में 1.6 फीसदी रह गयी है। क़र्ज़ लेने की रफ्तार में कमी आना बताता है कि कैसे देश में छोटे उद्योग सिकुड़ रहे हैं। सबसे चिंताजनक आंकड़ा एडुकेशन लोन का है. आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2014 में शिक्षा लोन की वृद्धि दर 4.1 फीसदी थी जो दिसंबर 2018 में नेगेटिव हो गई है. दिसंबर 2019 में एडुकेशन लोन की रफ्तार -6.1 दर्ज की गई. साफ शब्दों में कहें तो अब उच्च शिक्षा के लिए पहले के मुकाबले कम क़र्ज़ लिए जा रहे हैं और छात्र उच्च शिक्षा से दूर हो रहे है। वीडियो देखिये इसके अलावा सेवा क्षेत्र और निजी लोन लेने की वृद्धि दर में भी कमी आयी है। हालांकि, कमज़ोर तपको को दिए जाने क़र्ज़ और होम लोन में वृद्धि दर्ज़ हुई है। लेकिन बड़ी तस्वीर देखे तो क़र्ज़ लेने की घटती रफ़्तार बता रही है कि लोगों में इसे न चुका पाने का डर बढ़ रहा है और सरकार की लाख कोशिशों के बाजवूद क़र्ज़ लेने लोग नहीं आ रहे हैं।
आरबीआई के मुताबिक साल 2014 दिसंबर में कृषि क्षेत्र में क्रेडिट ग्रोथ यानि क़र्ज़ वृद्धि दर 18.3 फीसदी थी जो 2018 दिसंबर में घटकर 8.4 फीसदी हुई और अब दिसंबर 2019 में 5.3 फीसदी रह गयी है। इसका सीधा मतलब है कि पहले के मुक़ाबले अब किसान लोग क़र्ज़ ले रहे हैं। बात की जाए छोटे, मझोले और बड़े कारोबारियों की तो दिसंबर 2014 में उनका क़र्ज़ वृद्धि दर 6.7 फीसदी थी जो दिसंबर 2018 में घटकर 4.4 फीसदी हो गयी और अब दिसंबर 2019 में 1.6 फीसदी रह गयी है। क़र्ज़ लेने की रफ्तार में कमी आना बताता है कि कैसे देश में छोटे उद्योग सिकुड़ रहे हैं। सबसे चिंताजनक आंकड़ा एडुकेशन लोन का है. आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2014 में शिक्षा लोन की वृद्धि दर 4.1 फीसदी थी जो दिसंबर 2018 में नेगेटिव हो गई है. दिसंबर 2019 में एडुकेशन लोन की रफ्तार -6.1 दर्ज की गई. साफ शब्दों में कहें तो अब उच्च शिक्षा के लिए पहले के मुकाबले कम क़र्ज़ लिए जा रहे हैं और छात्र उच्च शिक्षा से दूर हो रहे है। वीडियो देखिये इसके अलावा सेवा क्षेत्र और निजी लोन लेने की वृद्धि दर में भी कमी आयी है। हालांकि, कमज़ोर तपको को दिए जाने क़र्ज़ और होम लोन में वृद्धि दर्ज़ हुई है। लेकिन बड़ी तस्वीर देखे तो क़र्ज़ लेने की घटती रफ़्तार बता रही है कि लोगों में इसे न चुका पाने का डर बढ़ रहा है और सरकार की लाख कोशिशों के बाजवूद क़र्ज़ लेने लोग नहीं आ रहे हैं।
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