अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा- भारत में कोरोना से डरो ना
कोरोना वायरस के ख़तरे के चलते भारत में भी कदम उठाए गए हैं. अब तक दो मौतें हो चुकी हैं और तक़रीबन नब्बे केस सामने आ चुके हैं. लेकिन अमेरिका की जॉन हॉप्सकिन यूनिवर्सिटी और मेन यूनिवर्सिटी के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पाएंगे कि भारत में इसके और प्रभाव पड़ने की आशंका ज़्यादा नहीं है.
अमेरिका की जॉन हॉप्सकिन यूनिवर्सिटी के कोरोना वायरस केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में अब तक एक लाख 45 हज़ार लोग वायरस की चपेट में आ चुके हैं जिसमें से 5,429 लोगों की मौत हो चुकी है. दूसरी तरफ मेन यूनिवर्सिटी के मौसम के आंकड़ों पर नज़र डालें तो यह साफ़ हो जाता है कि कोरोना वायरस का कहर उन इलाक़ों में पड़ा है जहां तापमान पिछले तीन महीनों में पांच और 11 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है. दुनियाभर के 97 फ़ीसदी कोरोना वायरस के केस ऐसे ही 10 देशों में पाए गए हैं. सिर्फ सात फ़ीसदी बाक़ी दुनिया में हैं.
ग़ौरतलब है कि 15 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा तामपान वाले देशों में वही लोग इसके शिकार हुए हैं जो इन देशों की यात्रा कर चुके हैं या ऐसे लोगों के संपर्क में आए हैं जो ऐसे देशों में रह चुके हैं. दूसरी ओर यूरोप और अमेरिका में नए मामलों की संख्या बढ़ रही है. जैसे इटली, स्पेन और जर्मनी. मार्च का महीना ख़त्म होने को है और दक्षिणी चीन में भी गर्मी बढ़ रही है और जहां से मामलों की संख्या कम होती जा रही है. भारत में भी तापमान अगले हफ्ते के बाद बढ़ने के आसार हैं. इसलिए उम्मीद है कि कोरोना वायरस के ख़त्म होने में मदद मिलेगी. सरकार के एहतियाती कदम उठाने से भी संक्रमण फैलने का ख़तरा कम होगा. एक नज़र पिछले तीन महीने के तापमान के आंकड़े पर
ग़ौरतलब है कि 15 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा तामपान वाले देशों में वही लोग इसके शिकार हुए हैं जो इन देशों की यात्रा कर चुके हैं या ऐसे लोगों के संपर्क में आए हैं जो ऐसे देशों में रह चुके हैं. दूसरी ओर यूरोप और अमेरिका में नए मामलों की संख्या बढ़ रही है. जैसे इटली, स्पेन और जर्मनी. मार्च का महीना ख़त्म होने को है और दक्षिणी चीन में भी गर्मी बढ़ रही है और जहां से मामलों की संख्या कम होती जा रही है. भारत में भी तापमान अगले हफ्ते के बाद बढ़ने के आसार हैं. इसलिए उम्मीद है कि कोरोना वायरस के ख़त्म होने में मदद मिलेगी. सरकार के एहतियाती कदम उठाने से भी संक्रमण फैलने का ख़तरा कम होगा. एक नज़र पिछले तीन महीने के तापमान के आंकड़े पर
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