कोरोना काल: पॉज़िटिव होना ज़्यादा ज़रूरी या नेगेटिव ?

by GoNews Desk 3 years ago Views 5660

Corona virus: more important to be positive or neg
देशभर में कोरोना वायरस के मामलों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है। रोज़ाना तकरीबन 40 हज़ार नए मरीज़ सामने आ रहे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी लगातार पॉज़िटिव रहने की अपील कर रहे हैं। गोन्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ पंकज पचौरी ने इसका विश्लेषण किया है कि अभी पॉज़िटिव होना ज़्यादा ज़रूरी है या नेगेटिव ?

देशभर में कोरोना वायरस के कुल मामले 12 लाख के करीब पहुंच चुके हैं। इनमें सात लाख 52 हज़ार 393 मरीज़ ठीक हुए हैं और चार लाख 12 हज़ार 515 मरीज़ एक्टिव हैं। केन्द्र सरकार का मानना है कि देश में कोरोना मरीज़ों की रिकवरी दर ज़्यादा है। सरकार यह भी कहती है आबादी के हिसाब से देश में कोरोना के मामले बेहद कम है और मरीज़ों की मृत्यु दर लगातार घट रही है, ऐसे में पॉज़िटिव रहने की ज़रूरत है। हालांकि कुछ देशों को छोड़ दिया जाए तो दुनियाभर में कोरोना मरीज़ों की मृत्यु दर 2-3 फीसदी के बीच है।


अगर सेन्टर्स फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल यानि सीडीसी के आंकड़ों पर ग़ौर करें तो पता चलता है कि देश में हर 9 टेस्ट पर एक की रिपोर्ट पॉज़िटिव है। इसी तरह ब्रिटेन में 168 टेस्ट पर एक पॉज़िटिव मरीज़ मिल रहे हैं। वहीं रुस में हर 38 टेस्ट में एक पॉज़िटिव मरीज़ सामने आ रहे हैं।

इसी तरह देश में कोरोना पॉज़िटिविटी दर दस फीसदी है। यानि हर 100 टेस्ट में दस लोगों की टेस्ट रिपोर्ट पॉज़िटिव सामने आ रही है। आसाना भाषा में कहें तो अगर देश के सभी 135 करोड़ लोगों की टेस्टिंग की जाए तो उनमें 7.4 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित मिलेंगे। यही दर मेक्सिको में 66.9 फीसदी है जबकि साउथ अफ्रीका में 24.7 फीसदी है। वहीं ब्रिटेन में यही दर महज़ 0.6 फीसदी है।

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