कोरोना वायरस: फेक न्यूज़ की भेंट चढ़ा पोल्ट्री उद्योग, दस हज़ार करोड़ के नुकसान की आशंका

by GoNews Desk 4 years ago Views 5024

Corona virus: Poultry industry gets fake news, the
केंद्र सरकार, खाद्य रेगुलेटर, और विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन सोशल मीडिया पर पॉल्ट्री को लेकर चल रही अफवाहबाज़ी को एडवाइज़री जारीकर ख़ारिज कर चुके हैं। लेकिन दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की वजह से फेक न्यूज़ और अफवाहों का बाज़ार भी गर्म है और लोग चिकन-अंडा खाने से परहेज़ कर रहे है। अफ़वाहों की वजह से खुदरा बाज़ार में चिकन 25 रुपए से लेकर 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है और पॉल्ट्री सेक्टर पर 10 हज़ार करोड़ की मार पड़ने की आशंका है. 

कोरोना वायरस के चलते फेक न्यूज़ और अफ़वाहों का बाज़ार इतना गर्म है कि पॉल्ट्री सेक्टर को दो हज़ार करोड़ रूपये का नुकसान हो चुका है। और अगर स्थिति यूं ही बनी रही तो इस सेक्टर को दस हज़ार करोड़ रूपये का नुकसान हो सकता है। इन अफवाहों का असर देश के उत्तरी राज्यों में सबसे ज़्यादा देखने को मिल रहा है। याद रहे, उत्तरी राज्यों की तुलना में देश के बाकी राज्यों में चिकेन, अंडा और समुद्री भोजन ख़ासा पसंद किया जाता है।


इन अफवाहों के चलते चिकन की क़ीमत ज़मीन पर आ गई है और बाज़ार में यह 25 रूपये प्रति किलो तक बिक रहा है जबकि पोल्ट्री उद्योग में एक किलो के उत्पादन में 80 रूपये का ख़र्च आता है. हाल यह है कि इस उद्योग से जुड़े व्यापारियों को घर चलाने के लिए अन्य विकल्प तलाशने पड़ रहे हैं। 

ऑनलाइन हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म 1 MG ने इन अफवाहों को ख़ारिज करते हुए कहा कि कोरोना वायरस पोल्ट्री के माध्यम से नहीं फैलता है। वहीं केन्द्र सरकार ने 6 मार्च को एक बयान जारी कर कहा था कि अंडे सहित मुर्गी और पोल्ट्री उत्पादों का सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है और कोरोना वायरस खाने-पीने के उत्पादों से नहीं फैलता।

यही नहीं 5 मार्च को खाद्य सुरक्षा और मानव प्राधिकरणन यानि एफएसएसएआई ने बयान जारी कर कहा था कि कोरोना वायरस इंसान से इंसानों में फैलता है। शोध बताते हैं कि इसका खाने से कोई लेना-देना नहीं है। इससे पहले, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने भी साफ किया था कि स्वस्थ मवेशियों के मांस को अच्छी तरह से पकाया जाए तो उपभोग के लिए सुरक्षित रहता है।

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2 मार्च को, ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन ने पशुपालन मंत्रालय को एक प्रतिनिधित्व के दौरान सरकार से 1,750 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग की थी । एआईपीबीए के अध्यक्ष बहादुर अली ने कहा, "उपभोक्ताओं पर गलत जानकारी के साथ सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से लोगों का विश्वास कम हो गया है और चिकन उत्पादों की मांग घट गई है।"

लेकिन सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं के बार-बार आश्वासन के बाद भी, भारतीय उपभोक्ता चिकन के सेवन करने से डर रहे हैं। यहाँ तक की, यूपी सरकार ने लखनऊ में एहतियात के तौर पर खुले में किसी भी प्रकार के मांस की बिक्री पर रोक लगा दी है। बता दें कि भारत में पोल्ट्री क्षेत्र में एक मिलियन से अधिक किसान काम करते हैं और देश की जीडीपी में इसका योगदान 1.2 लाख करोड़ रुपये है।

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