कोरोनालॉजी: लॉकडाउन के बीच जानिए देश का हाल
ख़बर ये है कि दिल्ली से दो मज़दूर पैदल ही ग्वालियर के लिए निकल पड़े गवालियर में उनकी मां रहती है। सिर्फ़ दिल्ली नहीं बल्कि मुंबई, अहमदाबाद, नॉएडा, ग़ाज़ियाबाद समेत कई शहरों में रहने वाले दिहाड़ी मज़दूर अब सैंकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल निकल रहे हैं. ये तो हो गई पहली ख़बर। कोरोनालॉजी में दूसरी बात करेंगे मेडिकल स्टाफ़ हेल्थ वर्कर्स की जो किराए पर रहते हैं उन्हें तंग किया जा रहा है और तीसरी बात ज़रूरी समान की क़ीमत बढ़ रही है।
कोरोनालॉजी समझिए। कोरोना से बचना है और देश को भी बचाना है। सरकार ने कहा है कि घर बैठिए। संकट की घड़ी है पूरे देश को सरकार का साथ देना चाहिए लेकिन सरकार को भी तो जनता का साथ देना चाहिए। दिहाड़ी मज़दूरों का कहना है कि बड़े शहर में घर बैठे तो खाएँगे कहाँ से और किराया कैसे देंगे। इंदर सिंह राजधानी दिल्ली के टैंक रोड पर कपड़ों का थोक बाज़ार में दिहाड़ी मज़दूर हैं।लॉकडाउन होने से पूरा बाज़ार बंद हो गया और उनकी दिहाड़ी भी रुक गई। अब मकान का किराया है तीन हज़ार रुपया, मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया तो इंदर ने तय कर लिया कि वो ग्वालियर चला जाएगा। लेकिन जाए कैसे? इंदर ने तय किया कि वो पैदल ग्वालियर जाएगा। दिल्ली से ग्वालियर की दूरी 363 किलोमीटर है। उनके और उनके भाई के पास पांच-पांच सौ की दो नोट हैं। रास्ते में ख़र्च के लिए यही पैसा है। उनके एक हाथ में सोने का बिस्तर और कंबल भी है। दिल्ली में जान निकलने से बेहतर है कि चलते-चलते निकल जाए। इसी तरह उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में दादरी से एक बुज़ुर्ग पैदल चलकर दिल्ली निकल पड़े। इसी तरह गुजरात के साबरकांठा ज़िले में कई मज़दूर परिवार सड़क पर देखे गए। पूछने पर पता चला कि सभी मज़दूर अहमदाबाद में काम करते हैं, काम बंद होने पर मालिक ने पाँच सौ रुपय दिए और कहा घर जाओ अब ये लोग पैदल राजस्थान जा रहे हैं। दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे के पास जमा मज़दूरों को पुलिस के जवानों ने लाठी मारकर भगा दिया और यहां से भी मज़दूर अपने घरों के लिए पैदल ही निकल गए हैं। सैकड़ों मज़दूर मेरठ, हापुड़ की तरफ जाते हुए देखे गए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के मज़दूर इधर उधर भटक रहे हैं। सड़कों पर पुलिस उन्हें भगा रही है और राज्य सरकारें उनकी सकुशल वापसी का कोई इंतेज़ाम नहीं कर रही हैं। पीएम मोदी ने भी देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मज़दूरों की सहूलियत के लिए किसी तरह का ऐलान नहीं किया। अब ये आँकड़ा देखिए देश भर में रोज़गार कमाने वाले लोगों में 62 फ़ीसदी लोग ऐसे हैं जो 140 रुपये रोज़ कमाते हैं। 25 फ़ीसदी लोग ऐसे हैं जिनकी रोज़ाना की कमाई 100 रुपये से कम है। ये 2013 का आँकड़ा है। उसके बाद से हालात बदतर हुए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भूख से किसी की मौत न हो इसके लिए एक ज़रूरी एलान किया है। लॉकडाउन कोरोनालॉजी में दूसरे नम्बर पर हैं मेडिकल स्टाफ़ हेल्थ वर्कर्स जानते हैं कुछ जगहों पर उनके साथ क्या सलूक हुआ है? रविवार को हमने उनके लिए ताली बजाई थी लेकिन उसके बाद क्या किया? दुनिया भर में हेल्थ वर्कर्स की पूजा हो रही है और यहाँ लोग इन्हें अपने आस-पास से भागने के लिए धमकियाँ दे रहे हैं। देश के कई शहरी इलाकों में किराए पर रह रहे डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को घर खाली करने की धमकी दी जा रही है। इस पर केन्द्र और दिल्ली सरकार ने संज्ञान लेते हुए ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ सख्ती से निपटने के आदेश दिए हैं। डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को मिल रही धमकियों को लेकर एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर मदद की मांग की। स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा गया है कि इस कारण कई डॉक्टर्स अपने सामानों के साथ सड़क पर फंसे हैं। अस्ताल के कर्चारियों को विभिन्न अस्पतालों में जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि दिल्ली, नोइडा और चेन्नई में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ द्वारा सभी सावधानियां बरती जा रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसी भी तरह से इस वायरस से संक्रमित न हो पाएं। उन्होंने लिखा कि ऐसे करने से डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ डिमोरेलाइज़ होंगे और ऐसा करना स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी से उतार देगा। डॉ हर्षवर्धन ने लिखा कि उनका मनोबल बढ़ाना हमारा कर्तव्य है। इस पर पंजाब के सीएम अरेंद्र सिंह ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा “केंद्र को डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए, जो अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं। उनके लिए सेफ्टी गियर मुहैया कराया जाए। कोरोनालॉजी समझिए और अब तीसरे पहलू पर नज़र डालिए। लॉकडाउन का ऐलान होने के कुछ ही देर बाद गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया था, ‘मैं समस्त देशवासियों को आश्वस्त करता हूँ कि लॉकडाउन के समय देश में आवश्यक चीजों की कोई कमी नहीं होगी। केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर इसके लिए पर्याप्त प्रयास कर रही है। किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है, इस लड़ाई में पूरा देश एक साथ है।' ज़रूरी समान और सेवाओं को लाक्डाउन से अलग रखा गया है। इसके बावजूद लोगों ने दुकानों पर भीड़ लगा दी होर्डिंग शुरू हो गई, घरों में महीने महीने का समान भर के आराम से नेटफ्लिक्स देखने वालों को सरकार पर भरोसा नहीं है क्या? जब सारा सामान आप ख़रीद के घर में भर लेंगे तो ग़रीब आदमी जिसकी महीने की तनख्वाह कम है वो क्या करेगा। मार्केट में सामान कम होगा तो काला बाज़ारी होगी। हालाँकि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि सब्ज़ी, दूध, फल, दवाएं और अन्य ज़रूरी सामान लोगों के घर तक पहुंचाए जाएंगे। इसके लिए 10 हज़ार गाड़ियों की पहचान भी कर ली गई है। योगी ने अपील की कि लोग ज़रूरी सामानों के लिए बाज़ारों में न जाएं। सीएम योगी का यह ऐलान कितना कारगर होगा, यह वक़्त बताएगा लेकिन लॉकडाउन के पहले ही दिन नोएडा के सेक्टर 40 और 41 में लोग रोज़मर्रा के सामानों के लिए भटकते दिखे। एक महिला ने कहा, ‘लोकल बाज़ार बंद होने की वजह से सारी भीड़ सफल की दुकानों पर पहुंच रही है लेकिन यहां सभी सामान नहीं मिल रहे। सफल की दुकानों पर जो सामान मौजूद है, लोग वही लेकर जा रहे हैं। महिला ने कहा कि लॉकडाउन समझ में आता है लेकिन जब दुकानों पर सामान नहीं है तो हम खाएं क्या। अगर दूध, अंडे, ब्रेड नहीं मिलेंगे तो बच्चों को क्या खिलाया जाएगा?’ एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि बाज़ार में सामान उपलब्ध नहीं है। घर से सामानों की लिस्ट बनाकर निकलते हैं लेकिन दुकानों पर मिलता नहीं। इसलिए घर से बार-बार निकलना पड़ता है और इससे संक्रमण का डर बना रहता है। सरकार के एफसीआई गोदामों में अनाज भरा पड़ा है। जहाँ चूहे अनाज खा रहे हैं। वो अनाज जनता को उपलब्ध करवाया जा सकता है। सप्लाई चेन रुकने ना पाए। वरना कुछ लोगों को इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वे भूख से मरे या कोरोना से। सरकार की ज़िम्मेदारी बढ़ गई है कि भूख से भी मारने से बचायें और कोरोना से भी। कोरोनालॉजी तभी कामयाब होगी।
कोरोनालॉजी समझिए। कोरोना से बचना है और देश को भी बचाना है। सरकार ने कहा है कि घर बैठिए। संकट की घड़ी है पूरे देश को सरकार का साथ देना चाहिए लेकिन सरकार को भी तो जनता का साथ देना चाहिए। दिहाड़ी मज़दूरों का कहना है कि बड़े शहर में घर बैठे तो खाएँगे कहाँ से और किराया कैसे देंगे। इंदर सिंह राजधानी दिल्ली के टैंक रोड पर कपड़ों का थोक बाज़ार में दिहाड़ी मज़दूर हैं।लॉकडाउन होने से पूरा बाज़ार बंद हो गया और उनकी दिहाड़ी भी रुक गई। अब मकान का किराया है तीन हज़ार रुपया, मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया तो इंदर ने तय कर लिया कि वो ग्वालियर चला जाएगा। लेकिन जाए कैसे? इंदर ने तय किया कि वो पैदल ग्वालियर जाएगा। दिल्ली से ग्वालियर की दूरी 363 किलोमीटर है। उनके और उनके भाई के पास पांच-पांच सौ की दो नोट हैं। रास्ते में ख़र्च के लिए यही पैसा है। उनके एक हाथ में सोने का बिस्तर और कंबल भी है। दिल्ली में जान निकलने से बेहतर है कि चलते-चलते निकल जाए। इसी तरह उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में दादरी से एक बुज़ुर्ग पैदल चलकर दिल्ली निकल पड़े। इसी तरह गुजरात के साबरकांठा ज़िले में कई मज़दूर परिवार सड़क पर देखे गए। पूछने पर पता चला कि सभी मज़दूर अहमदाबाद में काम करते हैं, काम बंद होने पर मालिक ने पाँच सौ रुपय दिए और कहा घर जाओ अब ये लोग पैदल राजस्थान जा रहे हैं। दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे के पास जमा मज़दूरों को पुलिस के जवानों ने लाठी मारकर भगा दिया और यहां से भी मज़दूर अपने घरों के लिए पैदल ही निकल गए हैं। सैकड़ों मज़दूर मेरठ, हापुड़ की तरफ जाते हुए देखे गए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के मज़दूर इधर उधर भटक रहे हैं। सड़कों पर पुलिस उन्हें भगा रही है और राज्य सरकारें उनकी सकुशल वापसी का कोई इंतेज़ाम नहीं कर रही हैं। पीएम मोदी ने भी देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मज़दूरों की सहूलियत के लिए किसी तरह का ऐलान नहीं किया। अब ये आँकड़ा देखिए देश भर में रोज़गार कमाने वाले लोगों में 62 फ़ीसदी लोग ऐसे हैं जो 140 रुपये रोज़ कमाते हैं। 25 फ़ीसदी लोग ऐसे हैं जिनकी रोज़ाना की कमाई 100 रुपये से कम है। ये 2013 का आँकड़ा है। उसके बाद से हालात बदतर हुए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भूख से किसी की मौत न हो इसके लिए एक ज़रूरी एलान किया है। लॉकडाउन कोरोनालॉजी में दूसरे नम्बर पर हैं मेडिकल स्टाफ़ हेल्थ वर्कर्स जानते हैं कुछ जगहों पर उनके साथ क्या सलूक हुआ है? रविवार को हमने उनके लिए ताली बजाई थी लेकिन उसके बाद क्या किया? दुनिया भर में हेल्थ वर्कर्स की पूजा हो रही है और यहाँ लोग इन्हें अपने आस-पास से भागने के लिए धमकियाँ दे रहे हैं। देश के कई शहरी इलाकों में किराए पर रह रहे डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को घर खाली करने की धमकी दी जा रही है। इस पर केन्द्र और दिल्ली सरकार ने संज्ञान लेते हुए ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ सख्ती से निपटने के आदेश दिए हैं। डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को मिल रही धमकियों को लेकर एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर मदद की मांग की। स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा गया है कि इस कारण कई डॉक्टर्स अपने सामानों के साथ सड़क पर फंसे हैं। अस्ताल के कर्चारियों को विभिन्न अस्पतालों में जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि दिल्ली, नोइडा और चेन्नई में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ द्वारा सभी सावधानियां बरती जा रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसी भी तरह से इस वायरस से संक्रमित न हो पाएं। उन्होंने लिखा कि ऐसे करने से डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ डिमोरेलाइज़ होंगे और ऐसा करना स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी से उतार देगा। डॉ हर्षवर्धन ने लिखा कि उनका मनोबल बढ़ाना हमारा कर्तव्य है। इस पर पंजाब के सीएम अरेंद्र सिंह ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा “केंद्र को डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए, जो अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं। उनके लिए सेफ्टी गियर मुहैया कराया जाए। कोरोनालॉजी समझिए और अब तीसरे पहलू पर नज़र डालिए। लॉकडाउन का ऐलान होने के कुछ ही देर बाद गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया था, ‘मैं समस्त देशवासियों को आश्वस्त करता हूँ कि लॉकडाउन के समय देश में आवश्यक चीजों की कोई कमी नहीं होगी। केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर इसके लिए पर्याप्त प्रयास कर रही है। किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है, इस लड़ाई में पूरा देश एक साथ है।' ज़रूरी समान और सेवाओं को लाक्डाउन से अलग रखा गया है। इसके बावजूद लोगों ने दुकानों पर भीड़ लगा दी होर्डिंग शुरू हो गई, घरों में महीने महीने का समान भर के आराम से नेटफ्लिक्स देखने वालों को सरकार पर भरोसा नहीं है क्या? जब सारा सामान आप ख़रीद के घर में भर लेंगे तो ग़रीब आदमी जिसकी महीने की तनख्वाह कम है वो क्या करेगा। मार्केट में सामान कम होगा तो काला बाज़ारी होगी। हालाँकि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि सब्ज़ी, दूध, फल, दवाएं और अन्य ज़रूरी सामान लोगों के घर तक पहुंचाए जाएंगे। इसके लिए 10 हज़ार गाड़ियों की पहचान भी कर ली गई है। योगी ने अपील की कि लोग ज़रूरी सामानों के लिए बाज़ारों में न जाएं। सीएम योगी का यह ऐलान कितना कारगर होगा, यह वक़्त बताएगा लेकिन लॉकडाउन के पहले ही दिन नोएडा के सेक्टर 40 और 41 में लोग रोज़मर्रा के सामानों के लिए भटकते दिखे। एक महिला ने कहा, ‘लोकल बाज़ार बंद होने की वजह से सारी भीड़ सफल की दुकानों पर पहुंच रही है लेकिन यहां सभी सामान नहीं मिल रहे। सफल की दुकानों पर जो सामान मौजूद है, लोग वही लेकर जा रहे हैं। महिला ने कहा कि लॉकडाउन समझ में आता है लेकिन जब दुकानों पर सामान नहीं है तो हम खाएं क्या। अगर दूध, अंडे, ब्रेड नहीं मिलेंगे तो बच्चों को क्या खिलाया जाएगा?’ एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि बाज़ार में सामान उपलब्ध नहीं है। घर से सामानों की लिस्ट बनाकर निकलते हैं लेकिन दुकानों पर मिलता नहीं। इसलिए घर से बार-बार निकलना पड़ता है और इससे संक्रमण का डर बना रहता है। सरकार के एफसीआई गोदामों में अनाज भरा पड़ा है। जहाँ चूहे अनाज खा रहे हैं। वो अनाज जनता को उपलब्ध करवाया जा सकता है। सप्लाई चेन रुकने ना पाए। वरना कुछ लोगों को इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वे भूख से मरे या कोरोना से। सरकार की ज़िम्मेदारी बढ़ गई है कि भूख से भी मारने से बचायें और कोरोना से भी। कोरोनालॉजी तभी कामयाब होगी।
Latest Videos