कोरोना से बड़ी बीमारी ‘भ्रष्टाचार’

by Darain Shahidi 3 years ago Views 6091

Corruption is a major disease than corona
कोरोना फैल रहा है, जनता बेहाल है और भ्रष्टाचार पर कोई रोक नहीं है। मौक़े का फ़ायदा उठाकर कहीं कमिशन, कहीं घुसख़ोरी और कहीं खुल्लम-खुल्ला लूट मची हुई है। कहा जा रहा है कि टिकट एजेंट से लेकर ठेकेदार और सरकारी अफ़सर तक सब इसमें शामिल हैं।

कोरोना से भी ख़तरनाक बीमारी है भ्रष्टाचार। याद कीजिए 2014 का नारा। बहुत हुआ भ्रष्टाचार, अबकि बार मोदी सरकार लेकिन आज छह साल बाद भी हम अपने आदरनीय प्रधानमंत्री की बात नहीं मान रहे हैं। भ्रष्टाचार में बुरी तरह से लिप्त हैं। हर दिन भ्रष्टाचार के नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री के ’20 लाख करोड़’ के पैकेज का कितना हिस्सा भ्रष्टाचारी डकार जाएँगे, कहा नहीं जा सकता। वादे बहुत किए गए हैं। कोरोना से निपटने के लिए अलग से पैसे बहाए जा रहे हैं लेकिन लोगों तक कितना पैसा पहुँच पा रहा है?


एक तो भारत स्वास्थ्य व्यवस्था पर बहुत कम खर्च करता है लेकिन सबसे बड़ी समस्या ये है कि इतने कम ख़र्चे का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार निगल जाता है। हिमाचल प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष राजीव बिन्दल ने इस्तीफ़ा दे दिया है। हिमाचल प्रदेश में पीपीई किट खरीदने को लेकर घोटाला हुआ है। काेराेना संकट में भ्रष्टाचार के आराेपों पर देश में पहली बार किसी पार्टी के अध्यक्ष को पद छाेड़ना पड़ा है।

कोरोना से बचाव के उपकरण खरीदने की एवज में सप्लायर से पांच लाख रुपये मांगने के आराेप में विजिलेंस ने 21 मई को राज्य के स्वास्थ्य निदेशक डाॅ. अजय कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया था। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि वे नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा दे रहे हैं। बहुत दिनों के बाद ये शब्द नैतिक ज़िम्मेदारी सुनने को मिला।

बहरहाल भ्रष्टाचार, घुसख़ोरी और बेईमानी सिर्फ़ हिमाचल में नहीं बल्कि देश के हर राज्य में नज़र आ रहा है। कहीं नक़ली वेंटिलेटर, कहीं घटिया पीपीई किट तो कहीं मास्क के नाम पर लूट। महाराष्ट्र सरकार पर आरोप है कि मुंबई और आस-पास के इलाक़ों में क्वॉरंटीन सेंटर में खाने के पैकेट का ठेका देने को लेकर भारी भ्रष्टाचार हुआ है। कहीं 172 रुपय तो कहीं 344 रुपये का एक पैकेट खाना दिया जा रहा है। मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक़ 20-20 लाख के टेंडर डेली बेसिस पर निकाले जा रहे हैं और सारे ठेके इतनी हड़बड़ी में दिए जा रहे हैं कि दाएँ हाथ को पता नहीं कि बायां हाथ क्या कर रहा है।

मध्य प्रदेश में सरकार पर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ग़रीबों को दिए जाने वाले आटे में घोटाला हो रहा है। काग़ज़ों पर दस किलो आटा दिखाया जा रहा है लेकिन कहीं सात किलो कहीं, आठ किलो आटा ही दिया जा रहा है। ग़रीब जनता तो पहले से ही कंगाल है, पर यहाँ भी ठेकेदार मालामाल है। एक तरफ़ अस्पतालों में डॉक्टर और नर्स और तमाम स्वास्थ्य कर्मचारी दिन रात एक करके मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं और दूसरी तरफ़ भ्रष्टाचारी अपना धंधा चमकाने में जुटे हैं।

भारत में कुल मिलाकर स्वास्थ्य व्यवस्था पर वैसे ही बहुत कम ख़र्चा होता है। यहां एक व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सरकार 1,944 रूपये खर्च कर रही है। केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर कुल जीडीपी का 1.29 फीसदी ही स्वास्थ्य पर खर्च कर रही है। जबकि इसमें केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत जैसी स्कीम भी शामिल है। 

ब्रिक्स देशों में स्वास्थ्य पर भारत सबसे कम ख़र्चा करता है। ब्राज़ील सबसे अधिक, उसके बाद दक्षिण अफ़्रीका रूस और चीन का नम्बर आता है। दुनिया के बाक़ी विकसित देश तो हमसे कहीं आगे हैं। कोरोना से निपटने के लिए बड़ी बातें की जाती है। कभी कोरिया मॉडल की बात की गई, कभी किसी और देश से तुलना की गई। लेकिन क्या आपको मालूम है कि कोरिया में हर दस हज़ार लोगों पर अस्पताल में सौ बेड हैं। और हमारे देश में? दस हज़ार लोगों पर सिर्फ साढ़े आठ बेड।

एक तो स्वास्थ्य पर ख़र्चा कम, ऊपर से भ्रष्टाचार। स्वास्थ्य पर ख़र्चे में हम जितने नीचे हैं, भ्रष्टाचार में उतने ही ऊपर हैं। करप्शन पर्सेप्शन इंडेक्स। जिससे कि पूरी दुनिया में कहाँ, कितना भ्रष्टाचार है पता लगाया जाता है।

ट्रैन्स्पेरेन्सी इंटर्नैशनल के 2019 के आँकड़ों के मुताबिक़ ये वो देश हैं जहाँ भ्रष्टाचार बहुत कम या ना के बराबर है। डेनमार्क, न्यूजीलैंड, फ़िनलैंड, सिंगापुर, स्वीट्ज़रलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया ये सब देश ऐसे हैं जो स्वास्थ्य पर ख़ूब ख़र्चा करते हैं और भ्रष्टाचार भी नहीं है। शायद ये राज है इनकी ख़ुशहाली का।

लेकिन इस लिस्ट में भारत कहाँ है? भारत का स्थान 80वें नम्बर पर आता है। 41 अंकों के साथ चीन के बराबर। लेकिन मज़े की बात ये है कि भूटान हमसे ऊपर है। यानी भूटान में भारत से कम भ्रष्टाचार है। हालाँकि भारत ने पिछले कुछ सालों में अपना स्कोर ठीक किया है 2014 में हम 38 पर थे अब 41 पर हैं। ये स्कोर जब तक ऊपर नहीं जाएगा ख़ुशहाली नहीं आएगी।

सरकार वादे करती है और उसे पूरा नहीं करती वो भी भ्रष्टाचार है।

सरकार झूठे दावे करती है वो भी भ्रष्टाचार है।

कोरोना के इस दौर में मरीज़ों का दुश्मन भ्रष्टाचार है।

ईमानदारी से रात दिन काम कर रहे डाक्टरों और नर्सों का दुश्मन भ्रष्टाचार है।

मेहनत की कमाई का पैसा कोरोना के लिए सरकारी ख़ज़ाने में दान करने वालों का दुश्मन भ्रष्टाचार है।

ख़ुशहाली का दुश्मन भ्रष्टाचार है।

देश का दुश्मन भ्रष्टाचार है।

इसके लिए कोई सर्जिकल स्ट्राइक या मास्टरस्ट्रोक है क्या?

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