अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में घट रहा है कच्चे तेल का दाम लेकिन भारत में पेट्रोल और डीज़ल हो रहा है महंगा
सऊदी अरब में हुए ड्रोन हमले के बाद 16 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम में उछाल आया, उसी की दलील देकर देश की तेल कम्पनियों ने पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ाने शुरु कर दिए. 17 सितम्बर को कच्चे तेल के दाम स्थिर रहने के बाद. 18 सितम्बर से लगातार नीचे जा रहे हैं मगर फिर भी देश में पेट्रोल और डीज़ल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. तेल कम्पनियां कहती हैं कि कच्चे तेल के दाम और रुपये की वेल्यु पेट्रोल और डीज़ल के दाम तय करने महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
16 सितम्बर से लेकर अब तक कच्चे तेल के दाम में 8.7 प्रतिशत की कमी आई है. दूसरी तरफ़ 16 सितम्बर से लेकर अब तक पेट्रोल के दाम में लगभग 3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी और डीज़ल के दाम में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. जबकि इसी दरमियान रुपया भी 16 सितम्बर को 71 रुपये 76 पैसे से मज़बूत होकर 70 रुपये 90 पैसे पर आ गया.
ऐसे में तेल कम्पनियों की ये दलील बेमानी लगती है कि पेट्रोल और डीज़ल के दाम कच्चे तेल और रुपये की कीमत के हिसाब से घटते बढ़ते हैं. आपको बता दें कि तेल कम्पनियां कच्चा तेल Monthly Contract पर ख़रीदती हैं लेकिन हमे हर रोज़ अलग-अलग दामों पर पेट्रोल और डीज़ल बेचती हैं.
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