दिहाड़ी मज़दूर और विदेशी मीडिया
ये तस्वीरें बरेली की हैं जहाँ दिहाड़ी मज़दूरों के ऊपर सप्रे कर दिया गया। दिहाड़ी मज़दूरों का पलायन जारी है और ऐसे में इनके साथ जिस तरह से बर्ताव किया जा रहा है उससे देश-विदेश की मीडिया में ज़बरदस्त आलोचना हो रही है। लोग हज़ारों लाखों की संख्या में भूखे प्यासे अपने घर पैदल चले जा रहे हैं। महामारी से लड़ने के लिए उठाया गया कदम अब मानवीय संकट बन गया है।
लंदन के प्रसिद्ध अख़बार द गार्डियन में 29 मार्च को छपे एक लेख में बिना किसी स्वास्थ्य सेवाओं और मूलभूत चीज़ों की कमी के चलते, लॉकडाउन के कारण भारत अब दोहरी बर्बादी की कगार पर खड़ा है। एक है कोरोना वायरस और दूसरा है भूख। अख़बार ने दिल्ली से पैदल अपने घरों को जाते दिहाड़ी मज़दूरों की तस्वीरों की तुलना 1943 में बंगाल में आए भयंकर अकाल से की।
इन मज़दूरों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार ने मीडिया का ध्यान खींचा है। ब्रिटेन के दूसरे अख़बार ‘डेलीमेल’ ने रिपोर्ट किया की जब दुनिया में सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही है तब भारत में कैसे दिहाड़ी मज़दूरों को बसों में ठूस-ठूस कर बसों में दिल्ली यूपी बॉर्डर से उनके घर भेजा जा रहा है। अख़बार ने लिखा की भारत में सरकार ने 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है लेकिन हज़ारों मज़दूर, जिन्हें भूख सता रही है, उन्होंने अपने गांव लौटने का फैसला ही किया है। वीडियो देखिए अमेरिका की मशहूर अख़बार न्यू यॉर्क टाइम्स ने लिखा कैसे भारत में हुए अचानक हुए लॉकडाउन ने एक बड़ी आबादी को भूखा और बेसहारा करके छोड़ दिया है। अख़बार के मुताबिक वैसे तो दुनिया में कई मुल्क लॉकडाउन की अवस्था में है, लेकिन भारत जैसे गरीब और ज्यादा जनसँख्या घनत्व वाले मुल्क में इससे समाज में रोष फ़ैल सकता है। सिंगापुर के ‘स्ट्रेट टाइम्स’ ने लॉकडाउन को रिपोर्ट करते हुए आर्टिकल लिखा ' Police violence and stranded migrants mark India's coronavirus lockdown.' आर्टिकल में बताया गया की कैसे दक्षिण भारत की राज्यों में भी दिहाड़ी मज़दूर जगह-जगह फंसे हुए हैं और कैसे पुलिस डंडे के ज़ोर पर लॉकडाउन का पालन सख्ती से करवा रही है। खाड़ी देशों के एक बड़े मीडिया हाउस ‘गल्फ न्यूज़’ ने आर्टिकल लिखा की कैसे कोरोना वायरस ने भारत के विभाजन के बाद का सबसे बड़ा मार्च शुरू कर दिया है। अख़बार के मुताबिक़ देश में कोरोना वायरस की समस्या दिहाड़ी मज़दूरों के पलायन से और बढ़ गई है क्योंकि इससे वायरस देश के गावों में पहुंचने की संभावना है। वैश्विक स्तर पर हो रही आलोचना से साफ़ है कि जहां दूसरे मुल्कों में कोरोना वायरस का दौर अभूतपूर्व प्रयासों के लिए याद रखा जाएगा लेकिन भारत में हुए दिहाड़ी मज़दूर की तस्वीरें याद की जाएगी
इन मज़दूरों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार ने मीडिया का ध्यान खींचा है। ब्रिटेन के दूसरे अख़बार ‘डेलीमेल’ ने रिपोर्ट किया की जब दुनिया में सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही है तब भारत में कैसे दिहाड़ी मज़दूरों को बसों में ठूस-ठूस कर बसों में दिल्ली यूपी बॉर्डर से उनके घर भेजा जा रहा है। अख़बार ने लिखा की भारत में सरकार ने 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है लेकिन हज़ारों मज़दूर, जिन्हें भूख सता रही है, उन्होंने अपने गांव लौटने का फैसला ही किया है। वीडियो देखिए अमेरिका की मशहूर अख़बार न्यू यॉर्क टाइम्स ने लिखा कैसे भारत में हुए अचानक हुए लॉकडाउन ने एक बड़ी आबादी को भूखा और बेसहारा करके छोड़ दिया है। अख़बार के मुताबिक वैसे तो दुनिया में कई मुल्क लॉकडाउन की अवस्था में है, लेकिन भारत जैसे गरीब और ज्यादा जनसँख्या घनत्व वाले मुल्क में इससे समाज में रोष फ़ैल सकता है। सिंगापुर के ‘स्ट्रेट टाइम्स’ ने लॉकडाउन को रिपोर्ट करते हुए आर्टिकल लिखा ' Police violence and stranded migrants mark India's coronavirus lockdown.' आर्टिकल में बताया गया की कैसे दक्षिण भारत की राज्यों में भी दिहाड़ी मज़दूर जगह-जगह फंसे हुए हैं और कैसे पुलिस डंडे के ज़ोर पर लॉकडाउन का पालन सख्ती से करवा रही है। खाड़ी देशों के एक बड़े मीडिया हाउस ‘गल्फ न्यूज़’ ने आर्टिकल लिखा की कैसे कोरोना वायरस ने भारत के विभाजन के बाद का सबसे बड़ा मार्च शुरू कर दिया है। अख़बार के मुताबिक़ देश में कोरोना वायरस की समस्या दिहाड़ी मज़दूरों के पलायन से और बढ़ गई है क्योंकि इससे वायरस देश के गावों में पहुंचने की संभावना है। वैश्विक स्तर पर हो रही आलोचना से साफ़ है कि जहां दूसरे मुल्कों में कोरोना वायरस का दौर अभूतपूर्व प्रयासों के लिए याद रखा जाएगा लेकिन भारत में हुए दिहाड़ी मज़दूर की तस्वीरें याद की जाएगी
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