पलायन कर रहे दिहाड़ी मज़दूर बोले, ‘दिल्ली में रहे तो भूख से मर जाएंगे’
लॉकडाउन का सबसे ज़्यादा ख़ौफ़ दिहाड़ी मज़दूरों में है जो दिनभर मेहनत करते हैं, तब शाम को घर का चूल्हा जलता है. देश में दिहाड़ी मज़दूरों की तादाद करोड़ों में है जिनके घरों में 21 दिनों की रसद नहीं होती ही नहीं. राजधानी दिल्ली और अन्य महानगरों के दिहाड़ी मज़दूरों को समझ नहीं आ रहा कि अगले 21 दिन उनका परिवार क्या खाएगा. यही वजह है कि हर दिन बड़े पैमाने पर दिहाड़ी मज़दूर पलायन कर रहे हैं. सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए सामान समेटकर निकल गए हैं.
दिल्ली ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर मज़दूरों का एक जत्था उत्तर प्रदेश के लिए निकलता हुआ दिखा. इस जत्थे में शामिल महिला ने कहा कि उनके पास न तो पैसा है और न ही काम. ऐसे में परिवार खाएगा क्या. अगर हम दिल्ली से पलायन नहीं करेंगे तो भूख से मर जाएंगे.
16 साल का नाबालिग शांति पाल दिल्ली के एंड्र्यूज़ गंज इलाक़े में छोटे भटूरे का ठेला लगाता था. लॉकडाउन होने के बाद उसकी दुकान बंद हो गई है और अब वो पैदल अपने घर के लिए निकल चुका है. शांति पाल यूपी के बंदायूं का रहने वाला है और दिल्ली से बंदायूं की दूरी 285 किलोमीटर है.
Delhi: Daily wage workers walk near Delhi-Ghazipur border for their homes in different districts of Uttar Pradesh. A woman says, "We have no money left as we don't get any work here. What shall we eat? If we would not leave the city, we would die of hunger". #CoronavirusLockdown pic.twitter.com/WcZHY4jt9X
— ANI (@ANI) March 26, 2020
16 साल का नाबालिग शांति पाल दिल्ली के एंड्र्यूज़ गंज इलाक़े में छोटे भटूरे का ठेला लगाता था. लॉकडाउन होने के बाद उसकी दुकान बंद हो गई है और अब वो पैदल अपने घर के लिए निकल चुका है. शांति पाल यूपी के बंदायूं का रहने वाला है और दिल्ली से बंदायूं की दूरी 285 किलोमीटर है.
Shanti Pal, 16-year-old, at Delhi's Anand Vihar: I sell chhole-bhature in Andrews Ganj area from where I started walking on foot towards my home in Badaun (Uttar Pradesh). I hope to reach there by tomorrow. I have not eaten anything since yesterday. #CoronavirusLockdown pic.twitter.com/6OEGGzVmgd
— ANI (@ANI) March 26, 2020
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