लॉकडाउन के दौरान भुखमरी की कगार पर पहुंचे दिहाड़ी मज़दूर: रिपोर्ट

by Renu Garia 3 years ago Views 3530

Daily workers on the verge of starvation during lo
देशभर में लॉकडाउन की सबसे तगड़ी मार प्रवासी मज़दूरों को झेलनी पड़ी है. 73 स्वयंसेवी समूहों के संगठन स्ट्रैन्डेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. इस समूह ने 640 मज़दूर संगठनों के साथ मिलकर देशभर में 11,159 मजदूरों पर सर्वेक्षण किया जिसकी रिपोर्ट बेहद परेशान करने वाली है.

यह रिपोर्ट बताती है कि महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में फंसे प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए वायदे बेशक़ किए गए लेकिन राज्य और केंद्र सरकार उनके खाने का बंदोबस्त नहीं कर सकीं.


लॉकडाउन को तीन हफ्ते से ज़्यादा का वक़्त गुज़र चुका है, इसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकारें अलग जगह जगह पर फंसे लोगों तक खाना पहुंचाने की कोई ठोस नीति नहीं बना पायी हैं जिससे दिहाड़ी मजदूरों के सामने भूख मिटाने का संकट खड़ा हो गया है.

15 अप्रैल को जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 8 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच तकरीबन 96 फ़ीसदी प्रवासी मज़दूरों को सरकार से कोई राशन नहीं मिला और 70 फ़ीसदी मज़दूर पका हुआ भोजन नहीं पा सके. इतना ही नहीं, तकरीबन 70 फ़ीसदी दिहाड़ी मजदूरों के पास 13 अप्रैल तक सिर्फ 200 रूपए बचे थे. रिपोर्ट बताती है कि जेब खाली होने और खाने की तंगी के चलते मज़दूरों को भूख मिटाने से पहले सोचना पड़ रहा था और कई मज़दूर भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं.

स्वान की यह रिपोर्ट बताती है कि पीएम मोदी की अपील और गृह मंत्रालय के निर्देश के बावजूद मालिकों ने मज़दूरों की तनख़्वाहें काट लीं. तालाबंदी के चलते 89 फ़ीसदी मज़दूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिली. स्वान के पास बीते दिनों में मदद के लिए जितने भी फ़ोन आये हैं, उनमे से 44 फ़ीसदी के पास न तो राशन था और न ही घर का चूल्हा जलाने के लिए पैसे थे. लॉकडाउन बढ़ने की वजह से मज़दूरों की ओर से मदद की गुहार भी बढ़ती जा रही है।

कई राज्य सरकारों मज़दूरों को भोजन या पैसे में से कोई एक विकल्प चुनने को कह रही हैं, जबकि इन हालात में विकल्प देना ठीक नहीं है. दिहाड़ी मज़दूरों को खाने के साथ-साथ कुछ आर्थिक मदद की फौरन ज़रूरत है. जिन 11,159 मज़दूरों का सर्वे किया गया, उनमें 1,643 बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. इनसे बात करके पता चलता है कि सिर्फ राशन से इनकी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पाएंगी.

स्वान ने अपनी रिपोर्ट में मज़दूरों को भुखमरी से बचाने के लिए राशन की मात्रा दोगुनी करने की मांग की है और फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के गोदामों में जमा 78 मिलियन टन अनाज का सही इस्तेमाल करने की अपील की गई है. इसके अलावा हरेक गरीब परिवार या दिहाड़ी मज़दूर को दो महीनों के लिए प्रति माह 7000 हजार की फौरी मदद करने के लिए कहा गया है.

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