नागरिकता क़ानून के विरोध में मौत का आंकड़ा 21 पहुंचा
केंद्र सरकार के विवादित नागरिकता क़ानून के चलते देश के कई राज्यों में हिंसा और आगज़नी हो रही है. इन प्रदर्शनों के चलते हर दिन मौत का आंकड़ा भी बदल रहा है. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक अभी तक उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक में 21 मौतें हो चुकी हैं. सबसे ज़्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में दर्ज हुई हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 20 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में 13 लोगों की मौत हुई. इनमें मेरठ में चार, फ़िरोज़ाबाद, बिजनौर और कानपुर में दो-दो, वाराणसी, मुज़फ़्फ़रनगर और संभल में एक-एक शख़्स की मौत हुई है. वहीं 19 दिसंबर को एक मौत लखनऊ में हो चुकी है.
नागरिकता बिल संसद से पास होने के बाद से पूर्वोत्तर के राज्य असम में पांच मौतें हो चुकी हैं. इनमें चार गुवाहाटी और एक सोनितपुर में हुई है. वहीं कर्नाटक के मैंगलोर में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है जिसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है. कर्नाटक की बीजेपी सरकार विपक्षी दलों के नेताओं को ज़मीनी हालात का जायज़ा लेने के लिए मैंगलोर जाने की इजाज़त नहीं दी है. मालूम हो कि यह सभी मौतें बीजेपी शासित राज्यों में हुई है जहां नागरिकता क़ानून के चलते क़ानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. राज्य सरकार की एजेंसियां तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदर्शनकारियों को सड़क पर उतरने से रोकने में नाकाम साबित हुई हैं.
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नागरिकता बिल संसद से पास होने के बाद से पूर्वोत्तर के राज्य असम में पांच मौतें हो चुकी हैं. इनमें चार गुवाहाटी और एक सोनितपुर में हुई है. वहीं कर्नाटक के मैंगलोर में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है जिसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है. कर्नाटक की बीजेपी सरकार विपक्षी दलों के नेताओं को ज़मीनी हालात का जायज़ा लेने के लिए मैंगलोर जाने की इजाज़त नहीं दी है. मालूम हो कि यह सभी मौतें बीजेपी शासित राज्यों में हुई है जहां नागरिकता क़ानून के चलते क़ानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. राज्य सरकार की एजेंसियां तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदर्शनकारियों को सड़क पर उतरने से रोकने में नाकाम साबित हुई हैं.
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