हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस फेल, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए
सांप्रदायिक हिंसा की आग में तीन दिन तक झुलसने के बाद चौथे दिन हिंसाग्रस्त उत्तर पूर्वी इलाक़े में हालात में थोड़ा सुधार हुआ. सुबह से ही दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवानों ने प्रभावित इलाक़ों में फ्लैगमार्च शुरू कर दिया तो शाम तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी ज़मीनी हालात का जायज़ा लेने पहुंच गए. अब सवाल यही उठ रहा है कि देश की सबसे चुस्त दुरस्त दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में तीन दिन तक हिंसा का खुला खेल कैसे चलता रहा.
तीन दिन तक हिंसा की आग में जलता रहा राजधानी उत्तर पूर्वी ज़िला चौथे दिन थोड़ा शांत दिखा. पथराव और मारपीट के छिटपुट मामलों के अलावा ज़्यादातर इलाक़ों में सन्नाटा पसरा रहा. हिंसा और तनाव की वजह से लोग चौथे दिन अपने घरों में दुबके रहे.
दूसरी ओर दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवानों ने प्रभावित इलाक़ों में फ्लैगमार्च किया. जवानों की गश्त के दौरान तबाही का मज़र साफ नज़र आया…क़दम-क़दम पर टूटे हुए शटर, जली हुई दुकानें और सामान बिखरे पड़े मिले. ज़्यादातार इलाक़ों में दंगाइयों ने दुकानों में लूटपाट के बाद आगज़नी की. घर और दुकानों के बाहर खड़ी कारों भी फूंक दी गईं. खुलेआम हिंसा के इस खेल में दिल्ली पुलिस की भूमिका सबसे ज़्यादा संदिग्ध रही. सोशल मीडिया पर वायरल तमाम वीडियो में जवान कार्रवाई की बजाय दंगाइयों के साथ खड़े नज़र आए. दिल्ली पुलिस के इस ग़ैरपेशेवर रवैये पर सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सवाल उठाए. कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर समेत तमाम बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषण पर एफआईआर दर्ज नहीं करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर हैरानी जताई. हालांकि दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने पुलिस की कमियां या ग़लतियां मानने से इनकार कर दिया. तीन दिन तक चली हिंसा में अभी तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि घायलों की तादाद 200 से ऊपर पहुंच गई है. घायलों को जीटीबी के अलावा एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है. मरने वालों में आईबी के एक ट्रेनी अफ़सर अंकित शर्मा भी हैं जो हिंसाग्रस्त चांदबाग़ इलाक़े में रहते थे. अंकित के घर में अब मातम पसरा हुआ है. वीडियो देखिये इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘शांति और सद्भाव हमारी मूल भावना है. मैं दिल्ली के अपने सभी भाइयों और बहनों से अपील करता हूं कि वे शांति और भाईचारा बनाए रखें. यह ज़रूरी है कि जल्द से जल्द हालात सामान्य हों और अमन बहाली हो सके.
तीन दिन तक हिंसा की आग में जलता रहा राजधानी उत्तर पूर्वी ज़िला चौथे दिन थोड़ा शांत दिखा. पथराव और मारपीट के छिटपुट मामलों के अलावा ज़्यादातर इलाक़ों में सन्नाटा पसरा रहा. हिंसा और तनाव की वजह से लोग चौथे दिन अपने घरों में दुबके रहे.
दूसरी ओर दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवानों ने प्रभावित इलाक़ों में फ्लैगमार्च किया. जवानों की गश्त के दौरान तबाही का मज़र साफ नज़र आया…क़दम-क़दम पर टूटे हुए शटर, जली हुई दुकानें और सामान बिखरे पड़े मिले. ज़्यादातार इलाक़ों में दंगाइयों ने दुकानों में लूटपाट के बाद आगज़नी की. घर और दुकानों के बाहर खड़ी कारों भी फूंक दी गईं. खुलेआम हिंसा के इस खेल में दिल्ली पुलिस की भूमिका सबसे ज़्यादा संदिग्ध रही. सोशल मीडिया पर वायरल तमाम वीडियो में जवान कार्रवाई की बजाय दंगाइयों के साथ खड़े नज़र आए. दिल्ली पुलिस के इस ग़ैरपेशेवर रवैये पर सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सवाल उठाए. कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर समेत तमाम बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषण पर एफआईआर दर्ज नहीं करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर हैरानी जताई. हालांकि दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने पुलिस की कमियां या ग़लतियां मानने से इनकार कर दिया. तीन दिन तक चली हिंसा में अभी तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि घायलों की तादाद 200 से ऊपर पहुंच गई है. घायलों को जीटीबी के अलावा एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है. मरने वालों में आईबी के एक ट्रेनी अफ़सर अंकित शर्मा भी हैं जो हिंसाग्रस्त चांदबाग़ इलाक़े में रहते थे. अंकित के घर में अब मातम पसरा हुआ है. वीडियो देखिये इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘शांति और सद्भाव हमारी मूल भावना है. मैं दिल्ली के अपने सभी भाइयों और बहनों से अपील करता हूं कि वे शांति और भाईचारा बनाए रखें. यह ज़रूरी है कि जल्द से जल्द हालात सामान्य हों और अमन बहाली हो सके.
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