दिल्ली दंगा: दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल की मंज़ूरी से इंसाफ़ मिलना मुश्किल
राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाक़े में हुए दंगे में 55 से ज़्यादा लोग मारे गए थे लेकिन आपसी खींचतान के चलते दंगों की जांच और अदालत में इंसाफ़ मिलना मुश्किल हो गया है. एलजी अनिल बैजल ने दिल्ली दंगों के लिए दिल्ली सरकार की ओर से गठित वकीलों के पैनल को ख़ारिज कर दिया है और उसकी जगह दिल्ली पुलिस के पैनल को मंज़ूरी देने का आदेश जारी कर दिया है. मगर इस दंगे में दिल्ली पुलिस की भूमिका संदिग्ध है और उसके पैनल को मंज़ूरी देने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं.
दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव के साथ दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के सुझाव पर विचार किया गया था. इस दौरान यह तय हुआ था कि दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने के लिए जो भी दोषी हैं, उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए. साथ ही यह भी तय हुआ था कि निर्दोष को परेशान या दंडित नहीं किया जाना चाहिए. इस कारण दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली पुलिस के पैनल की बजाय दिल्ली सरकार के वकीलों के पैनल की नियुक्ति पर सहमति जताई थी. दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने दिल्ली पुलिस के पैनल को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे के मामलों में पारदर्शी और निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी.
दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली दंगो को लेकर सुनवाई के दौरान के न्यायधीश सुरेश कुमार ने दंगो के संबंध में कहा कि दिल्ली पुलिस न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रही है और कोर्ट ने भी दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए थे. इस स्थिति में दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से दिल्ली दंगों की निष्पक्ष जांच पर संदेह था. इस कारण दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी नहीं दी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली दंगो को लेकर सुनवाई के दौरान के न्यायधीश सुरेश कुमार ने दंगो के संबंध में कहा कि दिल्ली पुलिस न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रही है और कोर्ट ने भी दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए थे. इस स्थिति में दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से दिल्ली दंगों की निष्पक्ष जांच पर संदेह था. इस कारण दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी नहीं दी थी.
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