'नोटबंदी को तीन साल पूरे' बैंकों में पैसा जमा करने को लेकर आम लोगों का विश्वास कम हुआ
बैैंकों में पैसा जमा करने को लेकर आम लोगों का विश्वास कम
8 नंबवर यानि आज ही के दिन नोटबंदी को तीन साल पूरे हो गए हैं। नोटबंदी के दौरान पांच सौ और हजार रुपए के नोट बंद कर दिये गये थे। साल 2016 में रात 8 बजे पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में नोटबंदी की घोषणा की। सरकार को उम्मीद थी कि उनके इस फैसले के बाद नकली नोट, काले धन और आतंकवाद पर लगाम लग सकेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और नोटबंदी पूरी तौर पर विफल ही साबित हुई।
भारत में आम लोगों के दायित्व उनकी सम्पित से ज्यादा तेज़ी से बढ़ रहे है। RBI ने पिछले महीने CSO के आंकड़े को जानकारी दी है उनके हिसाब से भारतीय हाऊस होल्ड की Liability 80 फीसदी बढ़ी है जबकि सम्पति में 33 फीसदी का इज़ाफा हुआ है। बैंको से लिए गए कर्जों की विकास दर एक साल में 71 फीसदी बढ़ी है जबकि दूसरे वित्तीय संस्थानों से ली गई देनदारियां लगभग दुगनी हो गई है। इससे साफ है कि भारतीय Households में पैसे की तंगी है जिसकी वज़ह से लोग उधार ज्यादा ले रहे हैं।
वीडियो देखें: 2017-18 के आंकड़ों से दिलचस्प बात ये भी सामने आई है कि लोगों का विश्वास बैंकों में कम हो रहा है। बैंक Deposit लगभग आधे हो गये है। लोग कैश पर ज्यादा विश्वास कर रहे हैं जो 2.5 गुना बढ़ गए हैं। साथ ही लोग सम्पति के मान पर शेयर और म्यूचअल फंड्स में ज्यादा पैसे जमा कर रहे हैं।, जो तीन गुना बढ़ गए है। नोटबंदी के वक्त ये कहा गया था कि इससे आतंकी और कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में भी कमी आएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। साउथ एशिया टेररिज़म पोर्टल के डाटा के मुताबिक साल 2016, 2017 और 2018 में 2015 के मुकाबले आतंकी घटनाओं में इजाफा देखने को मिला है. 2015 में जहां 728 लोग आतंकी हमले का शिकार हुए थे, वहीं साल 2016 में 905, साल 2017 में 812 और साल 2018 में 940 लोग आतंकी हमले का शिकार हुए.
वीडियो देखें: 2017-18 के आंकड़ों से दिलचस्प बात ये भी सामने आई है कि लोगों का विश्वास बैंकों में कम हो रहा है। बैंक Deposit लगभग आधे हो गये है। लोग कैश पर ज्यादा विश्वास कर रहे हैं जो 2.5 गुना बढ़ गए हैं। साथ ही लोग सम्पति के मान पर शेयर और म्यूचअल फंड्स में ज्यादा पैसे जमा कर रहे हैं।, जो तीन गुना बढ़ गए है। नोटबंदी के वक्त ये कहा गया था कि इससे आतंकी और कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में भी कमी आएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। साउथ एशिया टेररिज़म पोर्टल के डाटा के मुताबिक साल 2016, 2017 और 2018 में 2015 के मुकाबले आतंकी घटनाओं में इजाफा देखने को मिला है. 2015 में जहां 728 लोग आतंकी हमले का शिकार हुए थे, वहीं साल 2016 में 905, साल 2017 में 812 और साल 2018 में 940 लोग आतंकी हमले का शिकार हुए.
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