अब स्कॉटलैंड और न्यूयॉर्क के युनिवर्सिटी कैंपसों में नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शन
केंद्र सरकार के विवादित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ देश विदेश के कैंपसों में विरोध की आवाज़ बढ़ती जा रही है. तमाम विदेशी कैंपसों में इस क़ानून को भारतीय संविधान के ख़िलाफ़ बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की गई है.
धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले विवादित क़ानून के ख़िलाफ़ देश विदेश में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है. प्रदर्शनकारियों का साफ़ कहना है कि देश का संविधान धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव की इजाज़त नहीं देता और नागरिकता क़ानून में संशोधन ग़ैरसंवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के ख़िलाफ़ है
यही वजह है कि देश के अलग-अलग कैंपसों में संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया जा रहा है. बेंगलुरु के प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के छात्रों ने जमा होकर संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया और इस विवादित क़ानून को वापस लेने की मांग की. न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में भी भारतीय छात्रों ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ रखी है. यूनिवर्सिटी कैंपस में जमा छात्रों ने भारत के संविधान को बचाने के साथ-साथ क़ौमी एकता का नारा दिया. स्कॉटलैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में भी संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया है. हाथों में बैनर पोस्टर लिए छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस में भारत के संविधान को बचाने की अपील कर रहे हैं. फ्रांस की राजधानी पेरिस के मशहूर एफिल टावर की सामने भी भारतीय छात्र इस क़ानून के ख़िलाफ़ जमा हुए और यहां भी संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई. इसी तरह इंडिया गेट और मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान में भी जुटी हज़ारों की भीड़ ने विरोध प्रदर्शन के दौरान संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया. भारतीय संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा मानी जाती है जिसमें साफ़तौर पर लिखा है कि भारतीय गणराज्य में किसी के भी साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता।
यही वजह है कि देश के अलग-अलग कैंपसों में संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया जा रहा है. बेंगलुरु के प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के छात्रों ने जमा होकर संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया और इस विवादित क़ानून को वापस लेने की मांग की. न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में भी भारतीय छात्रों ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ रखी है. यूनिवर्सिटी कैंपस में जमा छात्रों ने भारत के संविधान को बचाने के साथ-साथ क़ौमी एकता का नारा दिया. स्कॉटलैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में भी संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया है. हाथों में बैनर पोस्टर लिए छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस में भारत के संविधान को बचाने की अपील कर रहे हैं. फ्रांस की राजधानी पेरिस के मशहूर एफिल टावर की सामने भी भारतीय छात्र इस क़ानून के ख़िलाफ़ जमा हुए और यहां भी संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई. इसी तरह इंडिया गेट और मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान में भी जुटी हज़ारों की भीड़ ने विरोध प्रदर्शन के दौरान संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया. भारतीय संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा मानी जाती है जिसमें साफ़तौर पर लिखा है कि भारतीय गणराज्य में किसी के भी साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता।
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