कोरोना की चपेट में मुंबई का धारावी
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए एक दूसरे से दूरी बनाना सबसे कारगर उपाय है. केंद्र और राज्य सरकारें सोशल डिस्टेंसिंग को सख़्ती से लागू करवाने की कोशिश कर रही हैं. मगर भारत जैसे देश में सोशल डिस्टेंसिंग बहुत हद तक इसलिए भी मुमकिन नहीं है क्योंकि यहां करोड़ों लोग झुग्गियों में रहते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में तक़रीबन साढ़े छह करोड़ लोग सघन आबादी वाली झुग्गी बस्तियों में रहते हैं. यह संख्या इतनी बड़ी है कि अगर इन्हें अलग देश माना जाये तो दुनिया का 23वां सबसे बड़ा देश होंगे.
सघन आबादी के चलते झुग्गियों में संक्रमण तेज़ी से फैलता है और हालात बेक़ाबू हो सकते हैं. एशिया के सबसे बड़े स्लम मुंबई के धारावी में ऐसा देखने को भी मिला. यहां देखते ही देखते संक्रमण एक हज़ार लोगों तक में फैल गया.
वीडियो देखिए सेंसस 2011 के मुताबिक देश में सबसे ज़्यादा 1 करोड़ 18 लाख 48 हज़ार लोग महाराष्ट्र में झुग्गी बस्ती में रहते हैं. वहीं पश्चिम बंगाल में 64 लाख 18 हज़ार, उत्तर प्रदेश में 62 लाख 39 हज़ार, तमिलनाडु में 58 लाख और मध्य प्रदेश में 56 लाख 88 हज़ार लोग झुग्गी बस्ती में रहते हैं. कुछ राज्यों में झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की आबादी बेहद कम है. इनमें केरल, जम्मू-कश्मीर, असम और झारखंड जैसे राज्य शामिल हैं. कोरोनावायरस एक शहरी बीमारी है जिसका संक्रमण दूर दराज़ के गांव और क़स्बों तक पहुंच गया है. झुग्गी बस्ती तक संक्रमण पहुंचने पर आबादी तेज़ी से इसकी चपेट में आएगी क्योंकि झुग्गी में कई-कई घर एक नल से पानी भरते हैं और सामुदायिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं.
वीडियो देखिए सेंसस 2011 के मुताबिक देश में सबसे ज़्यादा 1 करोड़ 18 लाख 48 हज़ार लोग महाराष्ट्र में झुग्गी बस्ती में रहते हैं. वहीं पश्चिम बंगाल में 64 लाख 18 हज़ार, उत्तर प्रदेश में 62 लाख 39 हज़ार, तमिलनाडु में 58 लाख और मध्य प्रदेश में 56 लाख 88 हज़ार लोग झुग्गी बस्ती में रहते हैं. कुछ राज्यों में झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की आबादी बेहद कम है. इनमें केरल, जम्मू-कश्मीर, असम और झारखंड जैसे राज्य शामिल हैं. कोरोनावायरस एक शहरी बीमारी है जिसका संक्रमण दूर दराज़ के गांव और क़स्बों तक पहुंच गया है. झुग्गी बस्ती तक संक्रमण पहुंचने पर आबादी तेज़ी से इसकी चपेट में आएगी क्योंकि झुग्गी में कई-कई घर एक नल से पानी भरते हैं और सामुदायिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं.
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