पटना एम्स के निदेशक बोले, ‘लॉकडाउन हटने के बाद कोरोना संक्रमण में उछाल आया’
बिहार की राजधानी पटना स्थित एम्स के निदेशक प्रभात कुमार ने साफ किया है कि जब तक लॉकडाउन लगा रहा, तब तक कोरोना का संक्रमण क़ाबू में रहा लेकिन पाबंदी हटते ही मामले बढ़ने लगे. गाइडलाइंस का पालन में लोगों की लापरवाही से हालात हर दिन बिगड़ रहे हैं.
राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में एक जून तक 67 हज़ार 655 मामले थे और दो हज़ार 286 लोग मारे गए थे लेकिन अब ये आंकड़ा 3 लाख के उपर है जहां 12 हज़ार 854 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है जहां एक जून को महज़ 22 हज़ार के करीब मामले थे और सिर्फ 173 जानें गई थी लेकिन अब मामले दो लाख के करीब है और 3 हज़ार 200 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं. वहीं दिल्ली में जून के पहले दिन सिर्फ 19 हज़ार 884 मामले थे पर अब एक लाख 25 हज़ार, कर्नाटक में इस दौरान 3 हज़ार 200 से बढ़कर 80 हज़ार और आंध्र प्रदेश में तीन हज़ार 600 से बढ़कर मामले अब 72 हज़ार से ज्यादा हो चुके हैं. सभी राज्य में बिगड़ते हालात के मद्देनज़र पाबंदियां दोबारा लगना शुरू हो गई हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है. अन्य राज्य भी एहतियाती क़दम उठा रहे हैं. इन सबके बीच सवाल यह उठ रहा है कि क्या 25 मार्च से देशभर में लगाए गए लॉकडाउन की टाइमिंग ग़लत थी और वह हड़बड़ी में किया गया एक फैसला था.
एम्स के निदेशक प्रभात कुमार ने यह दावा बिहार के संदर्भ में किया है लेकिन कमोबेश पूरे देश में कोरोना का संक्रमण लॉकडाउन हटने के बाद तेज़ी से बढ़ा है. देशभर में 25 मार्च से एक जून तक लॉकडाउन रहा और एक जून को देश में एक लाख 90 हज़ार 535 लोग कोरोना संक्रमित थे और मरने वालों की संख्या 5 हज़ार 394 थी. मगर इसी वक़्त लॉकडाउन की पाबंदियां लगभग हटा ली गईं और ज़्यादातर राज्य में कोरोना का विस्फोट हो गया. आंकड़े बताते हैं कि महज़ एक महीने और 24 दिन में देशभर में लगभग 11 लाख नए मरीज़ जुड़े हैं और 25 हज़ार नई मौतें हुई हैं. जून के पहले हफ्ते में भारत विश्व तालिका में सातवें स्थान पर था लेकिन अब यह तीसरे नंबर पर है. 23 जुलाई को देशभर में रिकॉर्ड 49 हज़ार से ज़्यादा मरीज़ मिले हैं.Till the time lockdown was imposed in Bihar, the spread of #COVID was under control. But, after lockdown was lifted, the number of cases has been increasing. The situation is worsening due to carelessness by people in following the guidelines: Prabhat Kumar, Director AIIMS Patna pic.twitter.com/AL5kXW1ZDO
— ANI (@ANI) July 24, 2020
राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में एक जून तक 67 हज़ार 655 मामले थे और दो हज़ार 286 लोग मारे गए थे लेकिन अब ये आंकड़ा 3 लाख के उपर है जहां 12 हज़ार 854 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है जहां एक जून को महज़ 22 हज़ार के करीब मामले थे और सिर्फ 173 जानें गई थी लेकिन अब मामले दो लाख के करीब है और 3 हज़ार 200 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं. वहीं दिल्ली में जून के पहले दिन सिर्फ 19 हज़ार 884 मामले थे पर अब एक लाख 25 हज़ार, कर्नाटक में इस दौरान 3 हज़ार 200 से बढ़कर 80 हज़ार और आंध्र प्रदेश में तीन हज़ार 600 से बढ़कर मामले अब 72 हज़ार से ज्यादा हो चुके हैं. सभी राज्य में बिगड़ते हालात के मद्देनज़र पाबंदियां दोबारा लगना शुरू हो गई हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है. अन्य राज्य भी एहतियाती क़दम उठा रहे हैं. इन सबके बीच सवाल यह उठ रहा है कि क्या 25 मार्च से देशभर में लगाए गए लॉकडाउन की टाइमिंग ग़लत थी और वह हड़बड़ी में किया गया एक फैसला था.
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