डायलोग ऑफ सिविलाजेशन की वेबिनार सीरीज़- 'ग्लोबल पैंडमिक: द वे फॉरवर्ड'
कोरोना वायरस महामारी ने जियोपॉलिटिक्स, वैश्विक अर्थव्यवस्था और मानव जीवन के लिए एक बड़ी संकट पैदा की है। इस बीच बर्लिन स्थित एक रिसर्च इंस्टिट्यूट डीओसी यानि डायलोग ऑफ सिविलाजेशन एक नई वेबिनार सीरीज़ 'ग्लोबल पंडामिक: द वे फॉरवर्ड' लॉन्च करने जा रही है। इस वेबिनार का मक़सद कोरोना वायरस संकट के दौरान वैश्विक संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना है।
दुनियाभर के देशों में लॉकडाउन की वजह से पड़ने वाले प्रभाव पर चिंता जताते हुए डीओसी ने कहा कि "हम में से कई लोग घरों तक ही सीमित हैं, इस समय वैश्विक संवाद की सख्त ज़रूरत है। क्योंकि इस वैश्विक चुनौतियों के लिए वास्तव में प्रतिक्रियाएं कम बल्कि अंतराष्ट्रीय सहयोग ज़्यादा ज़रूरी है।"
अप्रैल महीने में कुल तीन वेबिनार आय़ोजित किए जाएंगे, जिनमें दुनियाभर के वक्ता कोरोनो वायरस संकट के परिणामों और इससे पड़ने वाले प्रभावों पर विचार करेंगे। तीनों वेबिनार अलग-अलग इकॉनोमिक्स, जियोपॉलिटिक्स और कल्चर और सिविलाइजेशन पर आधारित होंगे। वीडियो देखिए पूरा शेड्यूल:- 1) 9 अप्रैल गुरुवार को 04:30 बजे: इकॉनोमिक्स और ग्लोबल मंदी के ख़तरे पर चर्चा होगी। इसमें जोमो क्वामे सुंदरम (Jomo Kwame Sundaram), जोम्स के. गालब्रेथ (James K. Galbraith) और व्लादिमिर पोपोव हिस्सा लेंग। चर्चा के विषय:-
अप्रैल महीने में कुल तीन वेबिनार आय़ोजित किए जाएंगे, जिनमें दुनियाभर के वक्ता कोरोनो वायरस संकट के परिणामों और इससे पड़ने वाले प्रभावों पर विचार करेंगे। तीनों वेबिनार अलग-अलग इकॉनोमिक्स, जियोपॉलिटिक्स और कल्चर और सिविलाइजेशन पर आधारित होंगे। वीडियो देखिए पूरा शेड्यूल:- 1) 9 अप्रैल गुरुवार को 04:30 बजे: इकॉनोमिक्स और ग्लोबल मंदी के ख़तरे पर चर्चा होगी। इसमें जोमो क्वामे सुंदरम (Jomo Kwame Sundaram), जोम्स के. गालब्रेथ (James K. Galbraith) और व्लादिमिर पोपोव हिस्सा लेंग। चर्चा के विषय:-
- डिप्रेशन और रिकवरी का पूर्वानुमान
- उभरते आर्थिक मॉडल-संकट के प्रभाव का विश्लेषण
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (ग्लोबल सप्लाई चेन्स)
- उत्पादन, व्यापार, और काम काज-संकट के बाद की दुनिया की कल्पना
- जोमो क्वामे सुंदरम, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सेक्रेटरी (इकॉनोमिक डेवलपमेंट)।
- जेम्स के. गालब्रेथ, अर्थशास्त्री और लिंडन बी जॉनसन स्कूल में सार्वजनिक मामलों के प्रोफेसर, सैंडर्स राष्ट्रपति कैंपेन के पूर्व सलाहकार।
- व्लादिमीर पोपोव, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सीनियर एडवाइज़र, डीओसी के आर्थिक और सामाजिक रिसर्च मामलों के डायरेक्टर।
- दूसरे देशों से सहयोग या क्लोज़ बॉर्डर राष्ट्रवाद की संभावनाएँ
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध "रिसेट"- संकट के बाद रेन्युअल की उम्मीद
- वैश्विक गठबंधनों या संगठनों का आकलन
- डॉ वांग हुइयो (Wang Huiyao), चीन और वैश्वीकरण के केंद्र के अध्यक्ष और सह-संस्थापक
- शादा इस्लाम, 'फ्रेंड्स ऑफ यूरोप' में यूरोप और जियोपॉलिटिक्स के निदेशक
- सुरेश प्रभु, G-20 के लिए भारत के शेरपा
- क्राइसिस प्रोवोकेशन- ह्युमनिटी
- इग्ज़िसटेंशियल सवाल- संस्कृतियों के बीच संवाद के संभावित परिणाम
- केजे अल्फोंस (KJ Alphons), भारत के पूर्व संस्कृति मंत्री, सांसद
- रुबेन वर्दयान (Ruben Vardanyan), उद्योगपति और समाजसेवी और मास्को स्कूल ऑफ मैनेजमेंट SKOLKOVO के सह-संस्थापक
- हकीमा अल हायते (Hakima Al Haité), जलवायु परिवर्तन वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ, ये COP21 के अंतर्राष्ट्रीय लिबरल पूर्व उपाध्यक्ष और मोरक्को में पूर्व पर्यावरण मंत्री भी रहे हैं।
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