दुनियाभर में दिल्ली हिंसा की गूंज, विदेशी मीडिया ने केन्द्र सरकार को घेरा
धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले विवादित कानून देशभर में अब तक 60 से ज़्यादा लोगों की जानें ले चुका है. सबसे ज़्यादा 34 मौतें दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में हुई है जो अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी छाया हुआ है. दुनिया के प्रतिष्ठित अख़बारों ने अपनी ज़्यादातर रिपोर्ट्स में हिंसा और मौतों के लिए केंद्र में सत्तारुढ़ दल बीजेपी और पीएम मोदी को ज़िम्मेदार ठहराया है.
देश की राजधानी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा अबतक 34 जानें ले चुकी है जिसपर अब पूरी दुनिया की नज़र टिक गई है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्त स्टीफ़न डूजारिक ने कहा कि दिल्ली में मौतों की ख़बर से महासचिव बेहद दुखी हैं. उनका कहना है कि हालात को देखते हुए संयम बरतने और हिंसा से बचने की ज़रूरत है. संयुक्त राष्ट्र संघ के अलावा दुनिया ने तमाम प्रतिष्ठित अख़बारों ने भी दिल्ली हिंसा पर केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धक्का पंहुचा है.
अमेरिका के न्यू यॉर्क टाइम्स ने हेडिंग लगाई है, ’दिल्ली दंगे की जड़: एक भड़काऊ भाषण और धमकी.’ इस रिपोर्ट में न्यू यॉर्क टाइम्स ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को कटघरे में खड़ा करते हुए लिखा कि कैसे उन्होंने पुलिस धरना दे रहे मुस्लिम प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए अल्टीमेटम और धमकी दी. अमेरिका के ही वाशिंगटन पोस्ट ने 2002 के गुजरात दंगो का ज़िक्र करते हुए दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को पीएम मोदी के राजनितिक करियर में हुए दूसरे दंगे की संज्ञा दी। फ्रांस के मशहूर अख़बार ला मोंडे ने 'New Delhi plagued by violent inter-community conflicts' के नाम से अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भेदभावपूर्ण नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन दो समुदाय के बीच संघर्ष की ओर बढ़ गए हैं जिसके लिए कथित तौर पर हिंदूवादी मानसकिता के लोग ज़िम्मेदार हैं. लंदन के मशहूर अख़बार गार्डियन ने दिल्ली दंगे के लिए सीधे पीएम मोदी को ज़िम्मेदार ठहरया. अपने संपादकीय में गार्डियन ने लिखा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने भेदभावपूर्ण नागरिकता कानून पारित किया और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने प्रदर्शन कर रहे लोगो को खदेड़ने के लिए अल्टीमेटम दिया. वीडियो देखिये लंदन की ही बड़े अख़बार इंडिपेंडेंट ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का ज़िक्र किया जिसमे सर्वोच्च अदालत ने हिंसा रोक पाने में नाकाम पुलिस को फटकार लगाई थी। अख़बार ने लिखा कि कैसे केंद्र सरकार समर्थक एक विशेष समुदाय पर हमला कर रहे थे, उनकी दुकानों में आग लगा रहे थे और भड़काऊ नारे लगा रहे थे. इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया के दा स्टार और हेराल्ड सन ने भी अपनी रिपोर्टों में दिल्ली में तीन दिन चली सांप्रदायिक हिंसा को जगह दी है जो भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को चोट पहुंचाने वाली हैं.
देश की राजधानी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा अबतक 34 जानें ले चुकी है जिसपर अब पूरी दुनिया की नज़र टिक गई है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्त स्टीफ़न डूजारिक ने कहा कि दिल्ली में मौतों की ख़बर से महासचिव बेहद दुखी हैं. उनका कहना है कि हालात को देखते हुए संयम बरतने और हिंसा से बचने की ज़रूरत है. संयुक्त राष्ट्र संघ के अलावा दुनिया ने तमाम प्रतिष्ठित अख़बारों ने भी दिल्ली हिंसा पर केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धक्का पंहुचा है.
अमेरिका के न्यू यॉर्क टाइम्स ने हेडिंग लगाई है, ’दिल्ली दंगे की जड़: एक भड़काऊ भाषण और धमकी.’ इस रिपोर्ट में न्यू यॉर्क टाइम्स ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को कटघरे में खड़ा करते हुए लिखा कि कैसे उन्होंने पुलिस धरना दे रहे मुस्लिम प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए अल्टीमेटम और धमकी दी. अमेरिका के ही वाशिंगटन पोस्ट ने 2002 के गुजरात दंगो का ज़िक्र करते हुए दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को पीएम मोदी के राजनितिक करियर में हुए दूसरे दंगे की संज्ञा दी। फ्रांस के मशहूर अख़बार ला मोंडे ने 'New Delhi plagued by violent inter-community conflicts' के नाम से अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भेदभावपूर्ण नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन दो समुदाय के बीच संघर्ष की ओर बढ़ गए हैं जिसके लिए कथित तौर पर हिंदूवादी मानसकिता के लोग ज़िम्मेदार हैं. लंदन के मशहूर अख़बार गार्डियन ने दिल्ली दंगे के लिए सीधे पीएम मोदी को ज़िम्मेदार ठहरया. अपने संपादकीय में गार्डियन ने लिखा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने भेदभावपूर्ण नागरिकता कानून पारित किया और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने प्रदर्शन कर रहे लोगो को खदेड़ने के लिए अल्टीमेटम दिया. वीडियो देखिये लंदन की ही बड़े अख़बार इंडिपेंडेंट ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का ज़िक्र किया जिसमे सर्वोच्च अदालत ने हिंसा रोक पाने में नाकाम पुलिस को फटकार लगाई थी। अख़बार ने लिखा कि कैसे केंद्र सरकार समर्थक एक विशेष समुदाय पर हमला कर रहे थे, उनकी दुकानों में आग लगा रहे थे और भड़काऊ नारे लगा रहे थे. इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया के दा स्टार और हेराल्ड सन ने भी अपनी रिपोर्टों में दिल्ली में तीन दिन चली सांप्रदायिक हिंसा को जगह दी है जो भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को चोट पहुंचाने वाली हैं.
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