गौमाता को बचाने के लिए फैज़ की नज़्म गुनगुना रहे हरियाणा के गौरक्षक

by Ankush Choubey 4 years ago Views 2268

Faiz's nazm lukewarm to protect Gaumata, Haryana's
फैज़ अहमद फैज़ की जिस नज़्म लाज़िम है कि हम भी पूछेंगे को आईआईटी कानपूर के एक प्रोफेसर ने हिन्दू विरोधी बताया था, अब उसी नज़्म को लेकर हरियाणा के गौरक्षक पिछले एक महीने में 500 से ज़्यादा गायों की हुई मौत को लेकर स्थानीय प्रशासन और नेताओं के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं।  

हरियाणा में हिसार के गांव ढंढूर की गौशाला में 500 से ज़्यादा गायों की पिछले एक महीने में मौत हुई है। गायों की मौत भूख प्यास के चलते हुई जिससे प्रशासन की लापरवाही और हरियाणा की बीजेपी सरकार के गौ सेवा के बड़े-बड़े दावों की भी पोल खुल गई है। अब इसी घटना को लेकर गौरक्षक सड़क पर उतर गए हैं। बुधवार को गौरक्षकों ने हिसार के मेयर गौतम सरदाना का पुतला जलाकर जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। लेकिन मज़ेदार बात ये रही की प्रदर्शन के दौरान उनके हाथों में जो पोस्टर्स थे उन पर फैज़ अहमद फैज़ की नज़्म ‘लाज़िम है कि हम भी पूछेंगे’ के बोल लिखे हुए थे।


ये फैज़ की वही नज़्म है जिसको आईआईटी कानपूर के एक प्रोफेसर ने हिन्दू विरोधी बताया था जिस आरोप पर अब वहां जांच चल रही है। गौ रक्षकों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा की सही तरीके से देखभाल नहीं होने के कारण गायों की मौत भूख, प्यास और ठंड से हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर भी आरोप लगाया की शहर को आवारा पशु-मुक्त करने और गौ सेवा के बड़े-बड़े दावे करते थे लेकिन उनकी गौ सेवा की सच्चाई जनता के सामने आ गई है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार गायों की देखभाल के लिए 10 करोड़ से अधिक रुपयों का आवंटन हुए था लेकिन फिर भी देखभाल व संसाधनों के अभाव में 500 गाय मर गई।  

प्रदर्शनकारियों ने यह मांग भी की इसमें अगर कोई निगम अधिकारी, विधायक जो भी शामिल है तो उसकी जांच कर उसके ख़िलाफ़ एफआईआर होने चाहिए। वहीं इस पूरे मामले पर हिसार निगम आयुक्त जय कृष्ण अबीर ने कहा कि अधिकतर गायों की हालत बेहद कमजोर, कुपोषित, और बीमार थीं। साथ ही कई गायों का पोस्टमॉर्टम भी कराया गया जहाँ गायों के पेट में से काफी मात्रा में पॉलीथिन भी निकली है।

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2014 में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से ही देशभर में गौशालाओं के सुधार के लिए कई करोड़ रुपयों का आवंटन किया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी देश के कई राज्यों में गायों को पर्याप्त खाने-पीने की सुविधा और उनकी देखरेख में हो रही लापरवाही के कारण हज़ारों की तादात में गायों मर रही हैं।

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