महाराष्ट्र में फिर किसानों की ख़ुदकुशी बढ़ी
किसानों की कब्रगाह बन चुके महाराष्ट्र में एक बार फिर ख़ुदकुशी के मामले बढ़ रहे हैं. राज्य सरकार के नए आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में राज्य में किसानों की ख़ुदकुशी के 2,808 मामले दर्ज किए गए. राज्य सरकार के लिए यह आंकड़ा इसलिए भी झटका है क्योंकि 2018 के मुक़ाबले 2019 में 47 ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र किसानों के लिए कब्रगाह है. साल 2018 में खेती किसानी से जुड़ी ख़ुदकुशी में 34.7 फ़ीसदी अकेले महाराष्ट्र में दर्ज की गई थी.
किसान आंदोलनों के चलते महाराष्ट्र की पिछली सरकार ने राहत पैकेजों और कर्ज़माफ़ी का ऐलान किया था और ख़ुदकुशी का आंकड़ा साल दर साल घटने लगा था. यहां साल 2015 में 3,228, 2016 में 3,052, 2017 में 2,917 और 2018 में 2,761 किसानों ने ख़ुदकुशी की लेकिन 2019 में ख़ुदकुशी के आंकड़ों में दोबारा उछाल आ गया है. 2018 के मुक़ाबले 2019 में 47 ज़्यादा किसानों ने ख़ुदकुशी की और यह आंकड़ा बढ़कर 2,808 हो गया. वीडियो देखिये हालांकि साल 2019 महाराष्ट्र के किसानों के लिए बेहद मुश्किल भरा था. मॉनसून के शुरुआती दिनों में मराठवाड़ा और विदर्भ के क्षेत्र में सूखा पड़ा था लेकिन जुलाई-अगस्त में आई भीषण बाढ़ से तकरीबन 4 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो गई. इसी तरह खरीफ की फसल के समय बेमौसम बारिश से 93 लाख हेक्टेयर फसल पर असर पड़ा और किसानों में हाहाकार मच गया. हालांकि नवंबर 2019 में राज्य की कमान संभालने वाले सीएम उद्धव ठाकरे ने कर्ज़माफी का ऐलान किया है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के किसान उनकी सरकार की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर हैं. अब देखना यह है कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास आघाड़ी सरकार राज्य में किसानों की ख़ुदकुशी पर रोक लगा पाती है या नहीं.
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