उत्तर प्रदेश में फ़र्ज़ी डिग्री लेकर पढ़ाने वाले 8 उर्दू शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज़
उत्तर प्रदेश में शिक्षा की खस्ता हालत किसी से छुपी नहीं है। अब राज्य के काउंसिल स्कूलों में फ़र्ज़ी उर्दू की डिग्री लेकर पढ़ा रहे आठ शिक्षकों पर मुक़दमा दर्ज कर दिया गया है। ये सभी शिक्षक 2019 में ही बर्खास्त कर दिए गए थे लेकिन तब इनपर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई थी। हाल में ही अनामिका शुक्ला वाला मामला सामने आने के बाद प्रशासन इस मामले में भी हरकत में आ गया है।
जिन आठ उर्दू शिक्षकों पर मुक़दमा दर्ज़ हुआ है, उन पर शुरू में उर्दू की साधारण जानकारी भी ना होने के आरोप लगे थे। बाद में, जांच-पड़ताल किए जाने पर उनकी उर्दू में अदीबे कामिल और मुअल्लिम की डिग्री फर्जी पाई गई जिसके बाद इन्हें स्कूल से बर्खास्त कर दिया गया था। बर्खास्त किए गए आठ शिक्षकों में दो रामपुर, तीन सुईथाकला और शाहगंज, महराजगंज और मुफ्तीगंज ब्लॉक के एक-एक शिक्षक शामिल हैं। अब बेसिक शिक्षा अधिकारी और ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों की बैठक के बाद इन सभी पर मुक़दमा दर्ज किया गया है।
वहीं इससे पहले लखनऊ के कायमगंज प्राथमिक विद्यालय में उर्दू शिक्षक के तौर पर 2016 से नौकरी कर रहे पवन कुमार के ख़िलाफ भी मुक़दमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा उनसे चार साल की तनख्वाह वसूलने के ज़िला फाइनेंस एंड अकाउंट ऑफिसर को निर्देश दे दिए गए हैं। हालांकि इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी भी सवालों के घेरे में है। घोटाले में अनामिका शुक्ला का नाम आने के बाद शिक्षा विभाग के कई अधिकारी रडार पर हैं। इससे पहले यूपी के बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट में 69,000 शिक्षक घोटाले की बात खुलकर सामने आ चुकी है। हालांकि इस घोटाले में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनमें एक टॉपर धर्मेंद्र पटेल भी शामिल है। धर्मेंद्र पटेल ने 150 में 142 अंक प्राप्त किए हैं। हालांकि ये बेसिक शिक्षा से भी अछूते हैं। पूछ-ताछ में सामने आया है कि धर्मेंद्र पटेल को देश के राष्ट्रपति का नाम भी मालूम नहीं है। इन घोटालों और जालसाज़ियों ने यूपी की शिक्षा व्यवस्था को ज़मींदोज़ करने का काम किया है। यही वजह है कि देश में शिक्षा रैंक में उत्तर प्रदेश का नाम निचले पायदान पर है।
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वहीं इससे पहले लखनऊ के कायमगंज प्राथमिक विद्यालय में उर्दू शिक्षक के तौर पर 2016 से नौकरी कर रहे पवन कुमार के ख़िलाफ भी मुक़दमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा उनसे चार साल की तनख्वाह वसूलने के ज़िला फाइनेंस एंड अकाउंट ऑफिसर को निर्देश दे दिए गए हैं। हालांकि इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी भी सवालों के घेरे में है। घोटाले में अनामिका शुक्ला का नाम आने के बाद शिक्षा विभाग के कई अधिकारी रडार पर हैं। इससे पहले यूपी के बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट में 69,000 शिक्षक घोटाले की बात खुलकर सामने आ चुकी है। हालांकि इस घोटाले में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनमें एक टॉपर धर्मेंद्र पटेल भी शामिल है। धर्मेंद्र पटेल ने 150 में 142 अंक प्राप्त किए हैं। हालांकि ये बेसिक शिक्षा से भी अछूते हैं। पूछ-ताछ में सामने आया है कि धर्मेंद्र पटेल को देश के राष्ट्रपति का नाम भी मालूम नहीं है। इन घोटालों और जालसाज़ियों ने यूपी की शिक्षा व्यवस्था को ज़मींदोज़ करने का काम किया है। यही वजह है कि देश में शिक्षा रैंक में उत्तर प्रदेश का नाम निचले पायदान पर है।
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