भारत के पहले शिक्षा मंत्री जिन्होंने IIT, IIS और UGC जैसे संस्थानों की नींव रखी
देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने देश में पहले आईआईटी यानी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की नींव रखी थी. उन्होंने देश के आम जनमानस में वैज्ञानिक चेतने के लिए विस्तार के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान भी बनाया था और विश्वविद्यालों के संचालन के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी की स्थापना की थी. उनके शुरूआती प्रयासों से भारत निरंदतर शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में तरक़्क़ी कर रहा है.
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद बेहद कम उम्र में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने थे और स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख चेहरों में से एक थे. देश में हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम करने के साथ-साथ उन्होंने धर्म के नाम पर मुस्लिम राष्ट्र यानी पाकिस्तान के सिद्धांत को ख़ारिज किया था. उन्होंने भारत के मुसलमानों से पाकिस्तान जाने की बजाय भारत में रहने की अपील की थी.
विद्रोही प्रकृति और राजनीति के प्रति झुकाव के चलते आज़ाद ने बंगाल, बिहार और बॉम्बे में क्रांतिकारी गतिविधियों और बैठकों को व्यवस्थित करने के लिए गुप्त रूप से काम शुरू किया था. उन्होंने 1912 में एक उर्दू साप्ताहिक अखबार अल-हिलाल शुरू किया और आम लोगों की चुनौतियों का पता लगाने के दौरान खुले तौर पर ब्रिटिश नीतियों पर हमला किया लेकिन 1914 में इस अख़बार को ब्रितानी हुकूमत ने प्रतिबंधित कर दिया. 1923 में वे भारतीय नेशनल काग्रेंस के सबसे कम उम्र के प्रेज़िडेंट बने और 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्हें कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के तौर पर चुना गया. वो 1940 और 1945 के बीच काग्रेंस के प्रेज़िडेंट रहे और जिन्ना के दो राष्ट्र सिद्धांत का विरोध किया और सभी मुसलमानों से हिंदुस्तान में ही रहने की बात कही. वह उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने. कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में कैद रहना पड़ा वे वैज्ञानिक सीखा पर विश्वास रखते थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम को देखते हुए 1989 में केंद्र सरकार ने maulana azad education foundation बनाया. साल 1992 में मरणोपरान्त मौलाना अबुल कलम आज़ाद को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया. इंडिया विन्स फ्रीडम उनकी सबसे चर्चित किताबों में से एक रही है. हर साल 11 नवंबर को उनके जन्मदिवस के मौक़े पर National Education Day मनाया जाता है. दिल्ली में Maulana Azad Medical College दिल्ली और हैदराबाद में Maulana Azad National Urdu University उनके ही नाम पर हैं.
Also Read:
विद्रोही प्रकृति और राजनीति के प्रति झुकाव के चलते आज़ाद ने बंगाल, बिहार और बॉम्बे में क्रांतिकारी गतिविधियों और बैठकों को व्यवस्थित करने के लिए गुप्त रूप से काम शुरू किया था. उन्होंने 1912 में एक उर्दू साप्ताहिक अखबार अल-हिलाल शुरू किया और आम लोगों की चुनौतियों का पता लगाने के दौरान खुले तौर पर ब्रिटिश नीतियों पर हमला किया लेकिन 1914 में इस अख़बार को ब्रितानी हुकूमत ने प्रतिबंधित कर दिया. 1923 में वे भारतीय नेशनल काग्रेंस के सबसे कम उम्र के प्रेज़िडेंट बने और 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्हें कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के तौर पर चुना गया. वो 1940 और 1945 के बीच काग्रेंस के प्रेज़िडेंट रहे और जिन्ना के दो राष्ट्र सिद्धांत का विरोध किया और सभी मुसलमानों से हिंदुस्तान में ही रहने की बात कही. वह उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने. कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में कैद रहना पड़ा वे वैज्ञानिक सीखा पर विश्वास रखते थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम को देखते हुए 1989 में केंद्र सरकार ने maulana azad education foundation बनाया. साल 1992 में मरणोपरान्त मौलाना अबुल कलम आज़ाद को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया. इंडिया विन्स फ्रीडम उनकी सबसे चर्चित किताबों में से एक रही है. हर साल 11 नवंबर को उनके जन्मदिवस के मौक़े पर National Education Day मनाया जाता है. दिल्ली में Maulana Azad Medical College दिल्ली और हैदराबाद में Maulana Azad National Urdu University उनके ही नाम पर हैं.
Latest Videos