विदेशी निवेशक भी छोड़ रहे हैं भारत का साथ, 13 दिनों में देश से निकाले 36 हज़ार करोड़
पहले से ही संकट में फंसी भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के कारण अब और ख़तरे की घंटी बजने लगी है। पूरी दुनिया के स्टॉक बाज़ारों में मचे कोहराम के चलते अब फॉरेन इन्वेस्टर्स यानि विदेशी निवेशक भारत से अपना पैसा तेज़ी से निकाल रहे हैं। ख़ौफ का आलम ये है कि पिछले 13 दिनों में विदेशी निवेशक 36 हज़ार 221 करोड़ रुपए भारत से निकाल चुके हैं।
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत को तगड़े झटके लगना जारी है। पहले से ही मंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था पर अब कोरोना वायरस का ख़ौफ बट्टा लगा रहा है। स्टॉक मार्केट में रोज़ाना करोड़ों रुपए का निवेश स्वाहा हो रहा है। ऐसे नाज़ुक हालत में फॉरेन इन्वेस्टर्स यानि विदेशी निवेशक भी भारत का साथ छोड़ रहे हैं। भारत की कैपिटल मार्केटों से पिछले 13 दिनों यानि फरवरी 24 से मार्च 11 के बीच 4.96 बिलियन डॉलर यानि 36 हज़ार 221 करोड़ रुपए निकाल चुके हैं। केवल गुरुवार को ही फॉरेन इन्वेस्टर्स ने 3 हज़ार 475 करोड़ के अपने निवेश को बेच दिया।
जानकारों के मुताबिक़ कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में अनिश्चितता बढ़ी है और ऐसे में भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्था की जगह निवेशक डॉलर आधारित इकॉनमी को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। यही कारण है की निवेशकों का भारत की आर्थिक मजबूती पर से विश्वास डिगा है। 114 देशों में फ़ैल चुके कोरोना वायरस से दुनिया का आर्थिक चक्का जड़ होने लगा है। दुनिया के तमाम बड़े स्टॉक बाज़ार लगातार नीचे जा रहे हैं और संकट इतना गहरा है कि आर्थिक गतिविधियों के कमज़ोर होने से कच्चे तेल की कीमतें 20 साल के निचले स्तर पर चली गई है। वीडिये देखिए कोरोना वायरस के ख़ौफ़ से दुनियाभर के निवेशकों में तनाव का माहौल है. सुरक्षित निवेश की तरफ भाग रहे निवशेकों के चलते भारत समेत वैश्विक बाज़ार में गुरुवार को कोहराम मच गया. कारोबार के दौरान सेंसेक्स 3,200 अंक तक लुढ़क गया था लेकिन फिर मामूली सुधार के बाद 2,900 अंक गिरकर बंद हो गया. इसी तरह निफ्टी में 868 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. शेयर बाज़ार के मौजूदा हाल ने 2008 में आई वैश्विक मंदी की यादें ताज़ा कर दी हैं जब निवेशकों के लाखों करोड़ रुपए डूब गए. सेंसेक्स मंगलवार को भी 5.4 फीसदी तक टूटा था और तब निवेशकों के 7 लाख करोड़ से ज्यादा रुपए स्वाहा हो गए थे.
जानकारों के मुताबिक़ कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में अनिश्चितता बढ़ी है और ऐसे में भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्था की जगह निवेशक डॉलर आधारित इकॉनमी को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। यही कारण है की निवेशकों का भारत की आर्थिक मजबूती पर से विश्वास डिगा है। 114 देशों में फ़ैल चुके कोरोना वायरस से दुनिया का आर्थिक चक्का जड़ होने लगा है। दुनिया के तमाम बड़े स्टॉक बाज़ार लगातार नीचे जा रहे हैं और संकट इतना गहरा है कि आर्थिक गतिविधियों के कमज़ोर होने से कच्चे तेल की कीमतें 20 साल के निचले स्तर पर चली गई है। वीडिये देखिए कोरोना वायरस के ख़ौफ़ से दुनियाभर के निवेशकों में तनाव का माहौल है. सुरक्षित निवेश की तरफ भाग रहे निवशेकों के चलते भारत समेत वैश्विक बाज़ार में गुरुवार को कोहराम मच गया. कारोबार के दौरान सेंसेक्स 3,200 अंक तक लुढ़क गया था लेकिन फिर मामूली सुधार के बाद 2,900 अंक गिरकर बंद हो गया. इसी तरह निफ्टी में 868 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. शेयर बाज़ार के मौजूदा हाल ने 2008 में आई वैश्विक मंदी की यादें ताज़ा कर दी हैं जब निवेशकों के लाखों करोड़ रुपए डूब गए. सेंसेक्स मंगलवार को भी 5.4 फीसदी तक टूटा था और तब निवेशकों के 7 लाख करोड़ से ज्यादा रुपए स्वाहा हो गए थे.
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