GoFlashback: जब रातों-रात घाटी से निकाल दिये गए कश्मीरी पंडित

by M. Nuruddin 4 years ago Views 4795

kashmiri padit, central gov
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दी गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि कश्मीर घाटी के मूल निवासी कश्मीरी पंडितों को उनका हक कैसे मिलेगा? कश्मीरी पंडितों का इतिहास काफी पुराना है। घाटी से उनता पलायन राज्य की एक बड़ी त्रासदी है।

बात साल 1989 की है जब घाटी में हिंसा चरम पर थी। 1989 में पहली बार जेकेएलएफ समर्थकों ने कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाना शुरू किया जब बीजेपी के खास नेता टीका लाल टपलू कि हत्या कर दी गई। तुरंत बाद ही श्रीनगर हाई कोर्ट के जज नीलकंठ गंजू की जेकेएलएफ के संस्थापक मकबूल भट को फांसी की सज़ा सुनाने के कारण हत्या कर दी गई।


वहीं साल 1989 में ही केन्द्रीय मंत्री रहे पीडीपी के मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी को जेकेएलएफ समर्थकों ने अपहरण कर अपने पांच साथियों की रिहाई की मांग की। 1990 में ही एक कवि सर्वानंद कौल प्रेमी की हत्या और श्रीनगर दूर्रदर्शन स्टेशन के निदेशक लासा कौल जैसे बड़े लोगों की हत्याएं की गईं।

सैफुद्दीन सोज़ अपनी किताब 'कश्मीर, ग्लिंपस ऑफ हिस्ट्री एंड स्टोरी ऑफ स्ट्रगल' में लिखते हैं, कि जगमोहन को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त करने के पीछे कारण था कि कश्मीर के पंडित सुरक्षित महसूस कर सकें। उस दौरान प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार दिल्ली में बीजेपी के समर्थन से चल रही थी।साल 1990 में देश के तत्कालीन गृह मंत्री रहे मुफ्ति मुहम्मद सईद ने जगमोहन मल्होत्रा को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया। 

20 और 21 जनवरी को जगमोहन के राज्यपाल का कार्यभार संभालने के दो दिनों बाद कश्मीरी पंडितों का एक प्रतिनिधिमंडल जगमोहन से मिलने राजभवन गया तो उन्हें कहा गया कि वे कश्मीर घाटी छोड़ कर किसी सुरक्षित जगह पर चले जाएं, सरकार उनके लिए सुरक्षा का इंतेज़ाम कर देगी। 

उस समय कोठीबाग के सब-डिविज़नल पुलिस अधिकारी यानि एसडीपीओ थे इसरार खान, कश्मीर लाइफ को दिये एक इंटर्व्यू में वो कहते हैं कि उन्हें जगमोहन ने राजभवन बुलाया और जगमोहन के प्रमुख सचिव अल्लाह बख्श ने उन से कहा कि पंडितों को बस में भर कर जम्मू पहुंचा दें। 

इसरार खान बताते हैं कि जगमोहन बोले 'लोडिंग शोडिंग में मदद करना और अटैक शटैक नहीं होना'  इस दौरान चरमपंथी गुट पंडितों को कश्मीर छोड़ने की धमकियां दे रहे थे। अखबारों में ज्ञापन दिया जाने लगा।

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21 जनवरी की रात को घाटी में बड़े पोस्ट पर रहे पंडितों को जगमोहन ने जम्मू भेज दिया। जम्मू-कश्मीर के एक अखबार रौशनी के संपादक को जम्मू के नगरोटा कैंप से पंडितों ने पत्र लिखा था कि उन्हें कश्मीर घाटी से संगठित तरीके से निकाला गया है। वहीं मार्च के महीने में घाटी में रह रहे मिडिल क्लास पंडित, घाटी छोड़ कर जम्मू या दिल्ली जैसे शहरों को चले गए। 

सैफुद्दीन सोज़ लिखते हैं कि घाटी छोड़ने के लिये पंडितों को प्रोत्साहित किया गया। वहीं कश्मीरी पंडितों के नेता जगमोहन पर घाटी से संगठित तरीके से निकाले जाने का आरोप लगाते हुए नज़र आते हैं। 
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में विस्थापित किये गए कश्मीरी पंडितों की घर वापसी पर कोई चर्चा नहीं की। आज भी कश्मीरी पंडित अपने घरों से बाहर हैं। वे 30 सालों से दर-बदर हैं। उन्हें वापस भेजने की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं। देखना ये है कि धारा 370 हटने के बाद वो अपने घर पहुंच पाएंगे या नहीं।

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